कढ़ी भारतीय खाना पकाने की एक पारंपरिक और लोकप्रिय डिश है, जो दही और बेसन से बनाई जाती है. यह एक प्रकार की ग्रेवी होती है, जिसमें कई तरह के मसालों, सब्जियों और पकोड़े भी मिलाए जाते हैं. कढ़ी-चावल ज्यादा लोगों को पसंद होते हैं. बहुत से लोग कढ़ी को चटकारे लेकर खाते हैं. कई लोग इसे बनाने के लिए दही तो कई लस्सी का उपयोग करते हैं.
हर राज्य में कढ़ी अलग-अलग तरह से बनाई जाती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर कढ़ी का इतिहास क्या है? सबसे पहले कहां और किस तरह से कढ़ी बनाई गई थी. कढ़ी का इतिहास भारतीय भोजन में गहरे रूप से जुड़ा हुआ है, और यह विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तरीके से बनाई जाती है. आइए जानते हैं इस आर्टिकल में इस बारे में
क्या है कढ़ी का इतिहास?
ऐसा माना जाता है कि कढ़ी की शुरुआत भारत के राजस्थान से हुई है. यह बेसन, दही और कई तरह के मसालों से बनाई जाती है. कहा जाता है कि राजस्थान में पहली बार छाछ और मक्के के आटे से कढ़ी को बनाया गया था. इसके बाद इसके रेसिपी गुजरात और सिंध के क्षेत्रों में भी लोकप्रिय हो गई. हर क्षेत्र के लोगों में अपने मुताबिक कढ़ी की रेसिपी में बदलाव कर दिया. कढ़ी का हर क्षेत्र में अपना विशेष रूप है, और इसका स्वाद व रंग विभिन्न मसालों, साग, और विशेष तत्वों पर निर्भर करता है.
कढ़ी किस तरह से सेहत के लिए फायदेमंद?
आयुर्वेद एक्सपर्ट किरण गुप्ता ने बताया कि कढ़ी एक फर्मेंटेड फूड का रूप है. इसे दही और बेसन से बनाया जाता है. ये हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है. क्योंकि कढ़ी बेसन की बनाई जाती है और ये रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी समस्याओं के लिए अच्छा होता है. बेसन से जितने भी व्यंजन बनाए जाते हैं उनमें सबसे हल्की कढ़ी होती है. इसमें बनाने के लिए कई लोग छाछ का उपयोग करते हैं. तो बेसन और छाछ को मिलाकर इसमें अच्छा प्रोटीन पाया जाता है. इसे डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं. लेकिन हाई बीपी, एसिडिटी, गैस और इनडाइजेशन की समस्या है उन्हें कढ़ी खाने से परहेज करना चाहिए.
कढ़ी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होती है. लेकिन इसे एक सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए. साथ ही बनाते समय मसालों की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही पकौड़ों भी न डालें, तो ज्यादा फायदेमंद होता है. क्योंकि ज्यादा मसाले और तले पकोड़े सेहत से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है.
कढ़ी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होती है. लेकिन इसे बनाते समय मसालों की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही पकौड़ों भी न डालें, तो ज्यादा फायदेमंद होता है. क्योंकि ज्यादा मसाले और तले पकोड़े सेहत से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है.
अलग-अलग राज्यों में इस तरह बनाई जाती हैं कढ़ी
पंजाब
पंजाबी कढ़ी एक बहुत ही मशहूर और स्वादिष्ट कढ़ी होती है, जो मुख्य रूप से बेसन दही या छाछ, बेसन और पकोड़े से बनाकर तैयार की जाती है. इसमें दही को फेंटकर उसमें बेसन और पानी मिलाया जाता है. फिर उसमें हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट और हींग डालकर उसे उबाला जाता है. इसके बाद इसमें आलू, प्याज या अपने पसंदीदा पकौड़े बनाकर मिला सकते हैं. इसे सरसों के तेल में तड़का लगाया जाता है उसमें जीरा, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च और कढ़ी पत्ते डाले जाते हैं.
गुजरात
गुजराती कढ़ी एक मीठी और खट्टी डिश होती है. इसमें दही और बेसन के मिश्रण को उबालकर उसमें शक्कर या गुड़ और इमली का भी स्वाद डाला जाता है. गुजराती कढ़ी में मुख्य रूप से तड़के में तिल और सरसों के बीज डाले जाते हैं. इसमें हल्का सा तीखापन और मीठापन दोनों होते हैं, जो इसे अद्भुत स्वाद प्रदान करता है.
राजस्थान
राजस्थान में भी कढ़ी दही और बेसन से बनाया जाता है, लेकिन इसमें आमतौर पर प्याज के पकोड़े मिलाएं जाते हैं. इसके बजाय इसमें ज्यादा मसाले और हरी मिर्च का उपयोग किया जाता है. राजस्थानी कढ़ी में गरम मसाले और घी का उपयोग किया जाता है. मसालेदार और पतली कढ़ी को चावल, गेहूं या कई बार बाजरे की रोटी के साथ खाया जाता है.
सिंधी कढ़ी
सिंधी कढ़ी में कई तरह के सब्जियां मिलाईं जाती हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले को सब्जियों को काटकर इसे इमली के पल्प के पानी में भिगोया जाता है. इसके बाद टमाटर का पेस्ट बनाना होता है. इसके बाद कढ़ाई में घी या तेल डालकर मेथी दाना, राई, जीरा, हींग डालकर तड़का बनाया जाता है, इसके बाद इसमें कढ़ी पत्ता और बेसन डालकर भूना जाता है. अब इसमें मसाले मिलाए जाते हैं, फिर टमाटर का पेस्ट और सब्जियों को मिलाया जाता है.
साउथ
तमिलनाडु में नारियल के पेस्ट का उपयोग भी कढ़ी बनाने के लिए किया जाता है. जिससे लिए सबसे पहले को मिक्सी में हरी मिर्च, जीरा और नारियल का पेस्ट बनाया जाता है. इसके बाद दही को अच्छे से फैंट कर इसमें बेसन मिलाया जाता है. इसके बाद दही में नारियल का पेस्ट मिलाकर इसका पतला घोल बनाया जाता है. इसके बाद मसाले डाले जाते हैं और तेल के साथ राई और साबुत मिर्च डालकर तड़का लगाया जाता है.
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