
प्रतिक गांधी और पत्रलेखा Image Credit source: सोशल मीडिया
‘ज्ञान के बिना अकल गई, अकल के बिना नैतिकता गई, नैतिकता के बिना गति गई, बिना गति के पैसे गए और पैसे के बिना शूद्र पीछे रह गए और ये सब सिर्फ ज्ञान न होने की वजह से हुआ’ ये अनुवाद है ज्योतिराव फुले के एक संदेश का. इस संदेश के साथ महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी जीवनसंगिनी, सावित्री बाई फुले ने मिलकर एक ऐसी क्रांति की शुरुआत की, जिसकी वजह से आज महिलाएं खुद के पैरों पर खड़ी हैं. हमारे देश के पहले ‘महात्मा’ और उनकी पत्नी सावित्री बाई पर बनी फिल्म बहुत स्ट्रगल के बाद आखिरकार थिएटर में रिलीज हो चुकी है. ये उनका नहीं हमारा दुर्भाग्य है कि जिस पति-पत्नी ने गोबर की मार खाकर लड़कियों को पढ़ाने की तरफ अपना पहला कदम उठाया, उनके लिए देश का पहला स्कूल खोला, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के अधिकारों के लिए सवर्णों के खिलाफ जाने की हिम्मत दिखाई, उनकी फिल्म को रिलीज होने से रोकने के लिए कई लोगों ने विरोध किया. खैर, फिल्म रिलीज हो चुकी है और इस फिल्म के जरिए निर्देशक अनंत महादेवन ने बड़ी ही ईमानदारी से एक अच्छी और सच्ची कहानी ऑडियंस के सामने पेश करने की कोशिश की है.
‘फुले’ कोई ऐसी बायोपिक नहीं है, जिसमें फिल्मी मसाला हो. कुछ लोगों को ये बोरिंग भी लग सकती है, क्योंकि फिल्म में कोई तड़का नहीं है. एक तरफ प्रतीक गांधी ने ‘महात्मा ज्योतिबा फुले’ के किरदार में जान लगा दी है, तो दूसरी तरफ उनके सामने पत्रलेखा की ‘सावित्री बाई’ की एक्टिंग कम पड़ जाती है. लेकिन ये उनकी कहानी है, जो हमारे नेशनल हीरो रहे हैं, हालांकि उन्होंने क्या कुछ किया ये उन किताबों में सीमित है, जो आज की दुनिया में कोई पढ़ना नहीं चाहता. अब उनकी मौत के 135 साल बाद हिंदी भाषा में उनपर फिल्म बनी है और वो सभी को देखनी चाहिए.
ये भी पढ़ें
कहानी
महाराष्ट्र के उस माली समाज में ज्योतिराव का जन्म हुआ था, जिनकी आर्थिक स्थिति तो अच्छी थी. लेकिन फिर भी पिछड़े वर्ग के होने के कारण उनकी परछाई को भी अशुभ माना जाता था. पिछड़े वर्ग की परछाई सवर्णों पर न पड़े, इसलिए उनके बाहर निकलने का भी समय तय किया गया था. किस तरह से स्कॉटिश स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में पढ़े एक लड़के ने घर और समाज में हो रहे विरोध के बावजूद न सिर्फ अपनी पत्नी को पढ़ाया, बल्कि उसे भारत की पहली महिला शिक्षिका बनाया, कैसे इस पति-पत्नी ने सदियों से दबी-कुचली आवाज़ों को बुलंद किया, उन पर हो रहे अन्याय और भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाई ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘फुले’ देखनी होगी.
जानें कैसी है ये फिल्म
“जो ज्ञान अरिजीत करेगा वो ब्राह्मण कहलाएगा. मैंने किया पर मुझे क्यों ब्राह्मण नहीं कहते लोग?” लगभग डेढ़ दशक पहले ये सवाल ज्योतिबा ने अपने पिता से पूछा था. लेकिन इसका जवाब आज भी हमारे पास नहीं है. लेकिन इस सवाल को उठाने वाले की ये फिल्म इसे दबाने की तमाम कोशिशों के बावजूद हमारे सामने है. अनंत महादेवन पूरी फिल्म में सिर्फ तथ्यों पर बात करते हैं, यहां कहीं पर आपको ड्रामा नहीं दिखेगा. अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि फुले के किरदार में प्रतीक गांधी अपने सिक्स पैक दिखाते हुए फाइटिंग करेंगे और पत्रलेखा के किरदार में सावित्रीबाई एक इमोशनल गाने के साथ आंसू बहाएंगी और लोगों की सोच बदल जाएगी, तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. ये उनकी कहानी है जिन्होंने लड़कियों को पढ़ाने के लिए गोबर की मार पड़ने वाली अपनी पत्नी को एक दूसरी साड़ी देकर कहा था कि तुम रोज गोबर वाली साड़ी पहनकर जाना और ये साड़ी स्कूल में रखना. ये पहनकर पढ़ाना और फिर गोबर वाली साड़ी पहने घर आ जाना. उन्हें मारने दो पत्थर, गोबर, देखते हैं पहले उनके हाथ थकते हैं या फिर हम. अनंत महादेवन की ‘फुले’ उन 2 सुपरहीरो की कहानी है, जिनके विचार ही उनकी सुपरपॉवर थी. अगर आप इस कहानी से कनेक्ट हो जाए, तो आखिर तक ये फिल्म आपको बांधे रखेगी.
निर्देशन
‘सिंधुताई सपकाल’ जैसी नेशनल अवार्ड विनिंग फिल्म बनाने वाले अनंत महादेवन ने ‘फुले’ के रूप में एक मास्टरपीस बनाई है. फिल्म के विरोध के बावजूद अपनी बात पर वो अड़े रहें, इस बात की खुशी है. फुले की कहानी हमारे सामने पेश करते हुए निर्देशक ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि ये फिल्म हमें बिना कोई ज्ञान दिए सोचने पर मजबूर करें. पिछड़े वर्ग की जिस छाव को श्राप माना जाता था, उस छाव को हथियार बनाकर अपने विरोधियों को रोकने वाला एक सीन रोंगटे खड़े कर देता है. घर में अंग्रेजी सीखने वाली सावित्री और फातिमा का प्रोफेशनल एक्सेंट जरूर खटकता है, लेकिन कई बेहतरीन सीन के बाद इसे नजरअंदाज किया जा सकता है. सेंसर के बदलाव से भी फिल्म पर कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ा है. एक्टर्स के कॉस्ट्यूम की डिटेलिंग और सिनेमेटोग्राफी भी फिल्म को पूरा न्याय देती है.
एक्टिंग
प्रतीक गांधी की एक्टिंग हमें ये विश्वास दिलाती है कि शायद महात्मा फुले ऐसी ही रहे होंगे. उन्होंने इस किरदार को जीया है. अपने पिता और भाई के रवैये से नजर आने वाली निराशा, दलितों पर होने वाले अन्याय के खिलाफ क्रोध, पत्नी के लिए प्रेम, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून, अपनी आंखों से प्रतीक गांधी ने जो एक्सप्रेशन दिए हैं, वो लाजवाब हैं. ‘यहां तो तुम्हारे दरवाजे मेरे लिए बंद रहे, लेकिन ऊपर तो मेरे लिए दरवाजा खोल देंगे ना?’ ज्योतिबा ये सवाल सीधे हमारे दिल को छू लेता है.
प्रतीक के मामले में पत्रलेखा थोड़ी कमजोर नजर आती हैं. लेकिन उन्होंने भी अपने किरदार को न्याय देने की पूरी कोशिश की है. दोनों के बीच पति-पत्नी की केमिस्ट्री बहुत अच्छी है. उनका मेकअप भी बड़ा कमाल का है. ‘छावा’ में रश्मिका मंदाना जैसे अनफिट लग रही थीं, वैसे ही कुछ यहां भी होता है. लेकिन जब फिल्म अच्छी बनती है, तब ये बातें ज्यादा मायने नहीं रखतीं.
देखें ये न देखे
एक बच्चे की प्लेग से मौत न हो जाए, इसलिए उसे पीठ पर लेकर कई किलोमीटर चलकर आने वाली सावित्री बाई फुले की उसी प्लेग में मृत्यु हो गई. लड़कियों को पढ़ाना हो, विधवाओं का पुनर्विवाह हो, दलितों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी हो, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने शुरू की लड़ाई आज भी जारी है. उन्हें जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि आज भी एक दलित दूल्हे को घोड़े पर चढ़ने के लिए पीटने की खबर सुनाई देती है, निचली जाति के बच्चे को मंदिर में प्रवेश करने के लिए, गलत कुएं से पानी पीने के लिए सजा दी जाती है, आज भी अंतरजातीय शादी जैसा ‘जुर्म’ करने के लिए कई मासूम लोग अपनी गंवा देते हैं. आज के माहौल में जहां धर्म और जाति के नाम पर लड़ना बहुत आसान हो गया है, वहां सच्ची प्रगति “क्रांति की ज्योति जलाए रखना” कितना आवश्यक है? ये जानने के लिए इसे देखना चाहिए.
फिल्म किसी एक जाती के विरोध में नहीं है, जहां एक तरफ ब्राह्मण समाज ने फुले का विरोध किया, वहीं दूसरी तरफ वो ब्राह्मण समाज के ही कुछ लोग थे, जिन्होंने उनका आखिर तक साथ दिया. ‘फुले‘ साउथ की कोई धमाकेदार एक्शन फिल्म नहीं है, ये कोई बिग बजट रॉमकॉम भी नहीं है, ‘हमारी पाली हुई गाय के मलमूत्र से घर साफ करते हैं, लेकिन हमारी परछाई से डर है?’ जैसा सवाल पूछने की हिम्मत दिखाने वाले इस ‘महात्मा’ जोड़े पर बनी फिल्म हमें जरूर देखनी चाहिए.
फिल्म का नाम : फुले
एक्टर्स : प्रतीक गांधी, पत्रलेखा
डायरेक्टर : अनंत महादेवन
रिलीज : थिएटर
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login