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‘सांसद’ राहुल गांधी को पूर्व सांसद करने वाले कानून के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका – Achchhi Khabar, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar

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Mar 25, 2023    150822 views     Online Now 345

नई दिल्ली. राहुल गांधी के संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित होने के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. इसमें दोषसिद्धि के बाद जनप्रतिनिधियों की ऑटोमैटिक अयोग्यता को अवैध और मनमाना बताया गया है. याचिकां में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. इसे संविधान के विपरीत घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि ऑटोमैटिक अयोग्यता समानता के अधिकार का उल्लंघन है. Also Read एक बार सगाई कर चुके BJP विधायक पर आया देश की सबसे खूबसूरत IAS का दिल

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन की तरफ से दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया कि चुने हुए प्रतिनिधि को सजा होते ही उनकी सदस्यता जाना असंवैधानिक है. दरअसल, इसी धारा के तहत किसी भी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पर उनकी सदस्यताको रद्द किया जाता है. याचिका में कहा गया है कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने के मामले के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. राहुल गांधी को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया गया है. हालांकि, अपील का चरण, अपराधों की प्रकृति, अपराधों की गंभीरता और उसका प्रभाव पर समाज आदि कारकों पर विचार नहीं किया जा रहा है और ऑटोमैटिक अयोग्यता का आदेश दिया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 8(4) को रद्द कर दिया था

2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला मशहूर लिली थॉमस बनाम भारत संघ के नाम से चर्चित हुआ था. केरल के वकील लिली थॉमस ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें इस उपबंध को रद्द करने की मांग की थी. इसके पक्ष में तर्क दिया गया कि यह धारा दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाती है, जब तक कि ऊपरी अदालत से फैसला न आ जाए.

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