अर्ली वार्निंग सिस्टम और वायनाड में तबाही.
9 लाख की आबादी वाले केरल के वायनाड से खिसकती जमीन, दरकते पहाड़ और खत्म होती जिंदगियों की चर्चा पूरे देश में हो रही है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर वायनाड में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से सिर्फ 3 दिन में 254 लोगों की मौत कैसे हो गई और 300 लोग लापता कैसे हो गए? वायनाड के 4 गांव कैसे विलुप्त हो गए, क्या किसी को पहले से इस आफत का पूर्वानुमान नहीं था? और अगर था तो लोगों को सुरक्षित निकाला क्यों नहीं गया? इसे प्राकृतिक आपदा माना जाए या किसी अलर्ट को लापरवाही से अनसुना करने का अंजाम माना जाए.
वायनाड के विनाश वाले पानी पर संसद में सियासी आग देखने को मिली. राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने केरल की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. अमित शाह ने कहा कि केरल सरकार को 4 दिन में 4 वॉर्निंग दी गई थी. फिर भी वायनाड को विनाश के लिए छोड़ दिया गया. उन्होंने तारीख का जिक्र करते हुए कहा कि पहली वॉर्निंग 23 जुलाई को दी गई थी. उसके बाद 24 जुलाई को दूसरी वॉर्निंग दी गई. तीसरी वॉर्निंग 25 जुलाई को और चौथी वॉर्निंग 26 जुलाई को दी गई.
फिर 29 जुलाई की रात वही हुआ जिसकी आशंका थी. अमित शाह ने राज्यसभा में केरल की सरकार पर सवाल उठाते हुए ओडिशा और गुजरात के उदाहरण भी दिए. अमित शाह के आरोपों के बाद केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से भू-स्खलन के लिए रेड अलर्ट नहीं था. उन्होंने ये भी कहा कि ये वक्त आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है. हालांकि अब केरल में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की राहत और बचाव टीम एक्टिव है, लोगों को सुरक्षित जगहों पर लाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
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23 को ही रवाना हो गई थी 9 NDRF की टीमें
अमित शाह ने सदन में बताया कि 26 तारीख को केंद्र सरकार की तरफ से अलर्ट भेजा गया कि 20 सेंटीमीटर से ज्यादा वर्षा होगी, जिससे लैंडस्लाइड होने की संभावना है. मड (कीचड़) आ सकता है और लोग इसके अंदर दबकर मर भी सकते हैं. इसके साथ ही 23 तारीख को ही अमित शाह के अनुमोदन पर 9 NDRF की टीमें केरल के लिए रवाना हो गई थीं. उन्होंने यह भी कहा कि देश में 2016 से अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रोजेक्ट चालू हुआ, जिसमें भारत 2023 में दुनिया का सबसे आधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम बनाने में कामयाब रहा. दुनिया में सिर्फ 4 देश ही इस तरह की घटनाओं के बारे में 7 दिन पहले अनुमान बता सकते हैं, जिनमें से हम एक हैं.
देश में कितने तरह का अर्ली वार्निंग सिस्टम
गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी जानकारी दी कि देश में कितने तरह की मौसमी घटनाओं के पूर्वानुमान की व्यवस्था है. अमित शाह के मुताबिक, बारिश, हीट वेव, तूफान, चक्रवात, बिजली गिरने को लेकर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम है. वज्रपात यानी बिजली गिरने की सूचना 10 मिनट पहले सीधे कलेक्टर को दी जाती है. अर्ली वॉर्निंग सिस्टम से सरकार और प्रशासन समय से पहले सचेत हो जाते हैं. जान-माल के नुकसान को रोका जा सकता है.
किसको किया जाता है अलर्ट
गृह मंत्री ने 4 दिन में राज्य सरकार को चार बार वॉर्निंग देने की बात कही. जानकारों ने बताया कि जब भी केंद्र सरकार को अर्ली वार्निंग सिस्टम से इस तरह की किसी भी घटना के बारे में सूचना मिलती है तो वह सबसे पहले उस राज्य की सरकार को इसके बारे में जानकारी देती है. इसे लिए केंद्र की तरफ से वहां के सीएम आफिस को मेल पर फैक्स करके सूचना दी जाती है. जब यह सूचना राज्य सरकार को मिलती है तो वह उस जिले के डीएम को इस बारे में अवगत कराता है. अगर अलर्ट बड़ा होता है तो इस बारे में सीएम को भी सूचना दी जाती है और वह घटना से निपटने के लिए तुरंत एक्शन टीम का गठन करता है.
इसमें कोई शक नहीं है कि वायनाड में हालात आउट ऑफ कंट्रोल हो चुके हैं. वायनाड में आर्मी, एयरफोर्स, NDRF, SDRF, पुलिस की अलग-अलग टीम राहत कार्य में जुटी है. 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों तक पहुंचा जा चुका है. 3 हजार लोगों को रिहैब सेंटर में भेजा गया है. वायनाड में इस महाविनाश से सब कुछ ठप हो गया है. हादसे के बाद केरल में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की जा चुकी है. 12 जिलों के स्कूल-कॉलेज में छुट्टी घोषित कर दी गई है. केरल यूनिवर्सिटी ने 30 और 31 जुलाई को होने वाली सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं. नई तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा.
वायनाड में ऐसा क्यों हुआ?
इस घटना में वायनाड के 4 गांव पूरी तरह से तहस-नहस हो गए. इसके पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं. बताया गया कि पूरा पश्चिमी केरल तेज ढलान वाला पहाड़ी इलाका है, जो भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील है. 2013 में के. कस्तूरीरंगन कमेटी ने इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन में डालने की सिफारिश की थी, जिनमें वायनाड के 13 गांव भी शामिल थे. लेकिन आज तक ये सिफारिशें धूल फांक रही हैं.
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वायनाड के पुथुमाला में 2019 के भूस्खलन के कारण मिट्टी की पाइपिंग उभर गई. मिट्टी की पाइपिंग का मतलब जब पानी मिट्टी को काटता है और मिट्टी के अंदर सुरंग बन जाती है. मिट्टी भुरभुरी होकर कमजोर हो जाती है. इस रिपोर्ट के आधार पर 5 साल पहले ही वायनाड के मुंदक्कई और चूरलमाला में आपदा की आशंका जताई गई थी, क्योंकि ये इलाके पुथुमाला के दो किलोमीटर के दायरे में आते हैं. ये दोनों गांव लैंडस्लाइड में तबाह हो चुके हैं.
इसके साथ ही एक और सबसे बड़ी वजह अरब सागर का गर्म होना है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अरब सागर में तापमान बढ़ने के बाद आसमान में घने बादल बने, जिससे वायनाड समेत केरल के कई जिलों में भारी बारिश और बाद में लैंडस्लाइड हुई. वायनाड जिले में सोमवार और मंगलवार की सुबह के बीच 24 घंटों में 140 मिमी से अधिक बारिश हुई, जो अनुमान से लगभग पांच गुना अधिक है.
लैंडस्लाइड को लेकर भी तैयार हो रहा है वार्निंग सिस्टम
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वह 2025 तक भारत के कुछ हिस्सों में लैंडस्लाइड के अर्ली वार्निंग सिस्टम को सक्रिय कर देंगे. यह प्रणाली चक्रवात वार्निंग सिस्टम की तर्ज पर काम करेगी और किसी विशेष क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना का पूर्वानुमान लगाने का प्रयास करेगी, जिससे अधिकारियों को तैयारी गतिविधियां शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी.
जीएसआई ने भूस्खलन की भविष्यवाणी करने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संगठनों के साथ समन्वय करते हुए पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और तमिलनाडु के नीलगिरी जिलों में दो ऐसी प्रणालियों का प्रायोगिक संचालन शुरू किया. यह सिस्टम ढलान की गति की संभावना का अनुमान लगाने के लिए क्षेत्र में पिछले लैंडस्लाइड और बारिश से उत्पन्न डेटा का उपयोग करती है. जीएसआई के अधिकारियों के अनुसार, भारत में 80 प्रतिशत से अधिक लैंडस्लाइड बारिश के कारण होते हैं और शोधकर्ता बारिश डेटा तैयार करेंगे. डेटा वर्षा की मात्रा को दर्शाएगा, जो भूस्खलन को ट्रिगर कर सकता है.
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