डिमेंशिया एक गंभीर और आम बीमारी है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. पूरी दुनिया में फिलहाल 55 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया से जूझ रहे हैं और हर साल लगभग 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं. डिमेंशिया कई प्रकार का हो सकता है, जिसमें अल्जाइमर सबसे आम और गंभीर प्रकार है. यह बीमारी धीरे-धीरे मस्तिष्क की कोशिकाओं को खत्म कर देती है, जिससे व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की क्षमता पूरी तरह प्रभावित होती है.
क्या है अल्जाइमर की बीमारी
अल्जाइमर एक प्रोग्रेसिव बीमारी है, यानी ये धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. इसमें दिमाग की कोशिकाएं और उनकी आपसी कड़ियां नष्ट होने लगती हैं, जिससे याददाश्त, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति और सामान्य जीवन जीने की योग्यता पर असर पड़ता है. इसकी मुख्य पहचान है भूलने की आदत, भ्रम की स्थिति और सामान्य कामों में परेशानी होना.
इलाज नहीं लेकिन रोकथाम संभव
अल्जाइमर का कोई पूर्ण इलाज अभी तक नहीं है, लेकिन अगर इसके शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है या इसकी गति को कम किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि शुरुआती संकेतों को पहचाना जाए और सही समय पर इलाज शुरू हो.
नई स्टडी में क्या सामने आया?
हाल ही में Current Biology नामक पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में अल्जाइमर के शुरुआती लक्षणों को लेकर नई जानकारी सामने आई है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के वैज्ञानिकों ने वर्चुअल रियलिटी की मदद से यह जानने की कोशिश की कि क्या दिशा पहचानने में कठिनाई अल्जाइमर की पहचान में मददगार हो सकती है.
कैसे की गई रिसर्च?
स्टडी में तीन समूहों को शामिल किया गया 31 युवा स्वस्थ व्यक्ति, 36 बुजुर्ग स्वस्थ व्यक्ति और 43 हल्के स्तर पर मेमोरी लॉस से पीड़ित (MCI – Mild Cognitive Impairment) मरीज़. सभी प्रतिभागियों को वर्चुअल रियलिटी हेडसेट पहनाकर एक रास्ते से गुजरने को कहा गया जिसमें उन्हें मोड़ लेकर एक चक्कर पूरा करना था और शुरुआत वाली जगह पर लौटना था.
यह रास्ता नंबर लगे हुए कोनों से बना था, जिसमें दो सीधे रास्ते और बीच में एक मोड़ होता था. प्रतिभागियों को यह रास्ता बिना किसी गाइडेंस के पूरा करना होता था. इस प्रक्रिया को तीन अलग-अलग परिस्थितियों में दोहराया गया.
क्या निकले नतीजे?
स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों में अल्जाइमर की शुरुआत हो चुकी थी, वे रास्ता तय करते समय मोड़ की दिशा और कोण का गलत अनुमान लगाते थे. वे सामान्य लोगों की तुलना में दिशा को लेकर ज्यादा भ्रम में थे और उनके निर्णय भी असंगत थे. इससे यह स्पष्ट हुआ कि यह समस्या केवल उम्र बढ़ने की वजह से नहीं, बल्कि अल्जाइमर की वजह से है.
विशेषज्ञों की राय क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि दिशा की पहचान में दिक्कत अल्जाइमर का एक खास और शुरुआती लक्षण हो सकता है. उनका मानना है कि इस स्टडी से डॉक्टरों को ऐसे आसान टेस्ट बनाने में मदद मिल सकती है जो छोटी जगह और कम समय में किए जा सकें. अल्जाइमर रिसर्च यूके की एक डॉक्टर ने कहा कि यूके में लगभग 10 लाख लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं, लेकिन सिर्फ 60% को ही आधिकारिक रूप से इसकी पहचान हो पाती है. ऐसे में यह नई तकनीक जैसे वर्चुअल रियलिटी टेस्ट शुरुआती पहचान में मददगार साबित हो सकते हैं.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस स्टडी में प्रतिभागियों की संख्या कम (50 से भी कम) थी, इसलिए भविष्य में बड़े स्तर पर रिसर्च करने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में यह तकनीक खून की जांच जैसी अन्य उभरती तकनीकों के साथ मिलकर अल्जाइमर की बेहतर पहचान कर सकती है.
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