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तुर्किए की इस लड़की से पंगा लेना एर्दोगन को पड़ा भारी, कोर्ट से फटकारे गए, अब कुर्सी पर खतरा

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May 15, 2025    15085 views     Online Now 152
तुर्किए की इस लड़की से पंगा लेना एर्दोगन को पड़ा भारी, कोर्ट से फटकारे गए, अब कुर्सी पर खतरा

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तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के खिलाफ बोलना कितना भारी पड़ सकता है, इसका ताजा उदाहरण बनी हैं बेल्जियम में पढ़ने वाली 23 साल की तुर्किए छात्रा एसीला आयक. एक छात्रा के शांतिपूर्ण विरोध को सत्ता का अपमान बताकर जेल भेज दिया गया है. लेकिन इस बार मामला सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ही नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट का भी है, जो एर्दोगन सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करता है. अब इस कार्रवाई को लेकर तुर्किए के भीतर और बाहर एर्दोगन की आलोचना तेज हो गई है, जिससे उनकी सत्ता पर सवाल उठने लगे हैं.

एसीला आयक को अप्रैल में इस्तांबुल के कादिकॉय जिले में प्रदर्शन के दौरान तानाशाह एर्दोगन लिखा पोस्टर पकड़े जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह इस समय इस्तांबुल की बकिरकॉय महिला जेल में बंद हैं, जबकि उन्हें दिल और किडनी की पुरानी बीमारी है. इसलिए उसे रोज दवाइयों की ज़रूरत होती है, लेकिन जेल में उसको दवाएं तक नहीं दी जा रहीं. उसके वकीलों ने मेडिकल आधार पर रिहाई की अपील की है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

कब शुरू हुआ था विरोध?

ये विरोध प्रदर्शन उस समय शुरू हुए थे, जब विपक्षी दल से इस्तांबुल के मेयर एकरेम इमामोग्लू को राजनीतिक साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया था. उसी के खिलाफ हजारों छात्रों ने देशभर में प्रदर्शन किए, जिनमें करीब 2,000 लोग हिरासत में लिए गए और 300 से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया. आयक भी उसी में से एक थी. जबकि वह बेल्जियम के गेंट स्थित रॉयल अकैडमी ऑफ फाइन आर्ट्स में पढ़ाई कर रही थीं और सिर्फ 20 दिन के लिए तुर्किए आई थी.

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सांसदों से लेकर यूरोप तक गुस्सा

उसकी गिरफ्तारी और बीमारी के बावजूद जेल में रखे जाने को लेकर न केवल तुर्किए बल्कि यूरोपीय देशों में भी गुस्सा है. बेल्जियम के सांसद एक्सेल रॉन्से ने तुर्किए के राजदूत को पत्र लिखकर एसीला की हालत पर चिंता जताई है. तुर्किए के मशहूर मानवाधिकार वकील जमील चिचेक ने सोशल मीडिया पर लिखा कि क्या इस लड़की ने कोई हत्या की है? वह बस तानाशाही के खिलाफ बोली थी, और अब जेल में सड़ रही है.

दुनिया में हो रही एर्दोगान की आलोचना

तुर्किए में राष्ट्रपति की आलोचना को अपराध बनाने वाला दंड संहिता का अनुच्छेद 299 अब दुनिया भर में आलोचना का केंद्र बन चुका है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि हर साल सैकड़ों बीमार कैदी इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. अकेले 2024 में अब तक 709 कैदी जेल में मारे गए हैं. एसीला का मामला अब एर्दोगन सरकार के लोकतांत्रिक चेहरे पर बड़ा सवाल बन चुका है और यही विरोध अब उनकी कुर्सी के लिए खतरा बनता जा रहा है.

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