
विदेश सचिव विक्रम मिसरी
भारत सरकार ने पाकिस्तान के आतंकी प्रोपेगेंडा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर बड़ी रणनीति बनाई है. इसी कड़ी में विदेश भेजे जा रहे तीन डेलीगेशन की आज अहम ब्रीफिंग हुई. यह ब्रीफिंग करीब डेढ़ घंटे चली और इसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने डेलीगेशन से सदस्यों को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताया.
ब्रीफिंग में विदेश सचिव ने पहलगाम आतंकी हमले से लेकर अब तक भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इन डेलीगेशनों का मकसद पाकिस्तान के झूठ, प्रोपेगेंडा और दुष्प्रचार को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करना है. मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान की भूमिका केवल भारत में ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन की ट्यूब ट्रेन में धमाका हो या अमेरिका में 9/11 हमला, हर जगह सामने आई है. सबसे बड़ा उदाहरण ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान में पाया जाना है.
मिसरी ने कहा कि अब समय आ गया है जब भारत को अपना नैरेटिव दुनिया को सुनाना होगा न कि पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को हावी होने देना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन देशों में डेलीगेशन भेजे जा रहे हैं, उनका चयन रणनीतिक रूप से किया गया है. पाकिस्तान इस वक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का एक अस्थायी सदस्य है और लगभग महीने भर रहेगा, भारत की योजना है कि पाकिस्तान जब UNSC में अपने झूठ और भ्रामक आरोप रखे, तब बाकी देश उसकी असलियत से पहले से ही वाकिफ हों. विदेश सचिव के अनुसार, भारत जिन देशों में डेलीगेशन भेज रहा है उनमें 15 देश वर्तमान UNSC सदस्य हैं जबकि 5 देश निकट भविष्य में सदस्य बनने वाले हैं.
भारत ने निशाना बनाया आतंकी ठिकानों को, नागरिकों को नहीं
पहलगाम के बाद भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई का जिक्र करते हुए मिसरी ने साफ किया कि भारत ने सिर्फ पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों और उसके बाद सैन्य एयरबेस को ही निशाना बनाया था. भारत ने किसी भी पाकिस्तानी नागरिक या नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया.
सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान का विक्टिम कार्ड
ब्रीफिंग के दौरान सिंधु जल समझौते का भी मुद्दा उठा. विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तान इस समझौते को लेकर भी दुनिया के सामने विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि समझौता रद्द नहीं, केवल स्थगित किया गया है क्योंकि पाकिस्तान कई बार आग्रह के बावजूद बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ. मिसरी ने इस समझौते की 1960 से अब तक की पूरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और मौजूदा स्थिति की भी जानकारी दी.
सदस्यों के सवाल और विदेश सचिव के जवाब
ब्रीफिंग के दौरान डेलीगेशन में शामिल होने जा रहे सदस्यों ने कई सवाल भी उठाए. एक सदस्य ने पूछा कि कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया जैसे देश खुद आंतरिक संघर्षों से जूझ रहे हैं, तो इन देशों में डेलीगेशन भेजने से क्या लाभ होगा? इस पर मिसरी ने बताया कि कांगो जैसे देशों का अपने पड़ोसी देशों और क्षेत्रीय राजनीति पर प्रभाव है, जिससे UNSC में भारत को समर्थन मिल सकता है.
एक अन्य सदस्य ने अमेरिका और रूस के रुख पर सवाल किया. उन्होंने पूछा कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ही सीजफायर की घोषणा कर दी और रूस का रुख ठंडा रहा तो भारत की भूमिका क्या रही? इस पर मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से गुजारिश की थी, जिसके बाद ही सीजफायर पर सहमति बनी.
डेलीगेशन को दिए जाएंगे सबूत और डोजियर
ब्रीफिंग में बताया गया कि डेलीगेशन में जाने वाले सदस्यों को पाकिस्तान के आतंक से रिश्तों को उजागर करने वाले डोजियर और दस्तावेज सौंपे जाएंगे. ये दस्तावेज उनके संवादों और बैठकों में काम आएंगे. जिन देशों में ये डेलीगेशन जाएंगे, वहां भारत के दूतावास के अधिकारी भी सभी बैठकों के दौरान मौजूद रहेंगे. डेलीगेशन अपने दौरे में सरकारी प्रतिनिधियों, सांसदों, अधिकारियों, सिविल सोसायटी और मीडिया से मुलाकात कर भारत का पक्ष रखेंगे.
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