प्रतीक चौहान. रायपुर. मैं जनसत्ता का संपादक बोल रहा हूं… मेरे अकाउंट में 2000 रुपए डाल दो… समझ नहीं आ रहा है क्या… मैं क्या बोल रहा हूं… जल्दी से पैसा डालो… नहीं देख लेना…
यहां ये बताना जरूरी है कि उपरोक्त बातचीत अच्छी खबर डांट इन के पत्रकार से की गई है और ये बातचीत तब की गई जब उक्त कथित संपादक ने एक पटवारी को फोन लगाया और 2 हजार रुपए रिश्वत की मांग की और पैसे न देने पर धमकी दी कि वे उसकी करतूतों को उजागर करेगा. जब पटवारी ने ये कहा कि उसे जो करना है कर ले तो उसने पटवारी को फोनकर परेशान करना शुरू कर दिया. जिसके बाद पटवारी ने अच्छी खबर डांट इन से मदद मांगी और हमने उक्त कथित संपादक से बातचीत की.
पहले तो उसने अपने आप को जनसत्ता का संपादक बताया. लेकिन जब उसे ये पूछा गया कि क्या जनसत्ता यहां (रायपुर से) छपता है ? तो वो कहने लगा पहले छपता था अभी बंद हो गया है.
इसके बाद दोबारा जब कॉल किया गया तो वो भड़क गया और अच्छी खबर डांट इन के ही पत्रकार को देख लेने और उठवा लेने की बात कहने लगा. जब उसे उसके अखबार के नाम के बारे में पूछा गया तो उसने उसका कोई जवाब नहीं दिया.