हम मिलेनियन्स CID और Crime petrol देखकर बड़ी होने वाली जनता है. आप जानते हैं ऐसे शोज की सबसे खास बात क्या होती थी. इनका नाट्य रूपांतरण. मेरी Gen-Z जनता के लिए ड्रामेटाइज वर्जन, यानी जहां सच्ची क्राइम की कहानियों को बताने के लिए कुछ ऐक्टर्स को कास्ट करके सेम कहानी बताई जाती है. ये कहानी बताने का उस जमाने में काफी अलग तरीका था. हमें कहानी ज्यादा रिलेटेबिल लगे, इसलिए ये तरीका काफी पॉपूलर हुआ था.
अब फर्ज करिए, एक लड़का-लड़की जो 18-19 साल के हैं, एक रात एक बड़ी सी कार में एक दूर-दराज के होटल जाते हैं. लड़की के चेहरे पर कपड़ा बंधा है. दोनों कमरे में जाते हैं, कपड़े उतारने लगते हैं, तभी लड़के को याद आता है कि वो प्रोटेक्शन गाड़ी में भूल गया है. वो लड़की को उसी कमरे में छोड़कर बाहर गाड़ी तक आता है और उसके पीछे वहां पुलिस आ जाती है. लड़का .ये सब देखकर घबरा जाता है. कट टू दूसरा सीन, सीसीटीवी का फुटेज जहां वही लड़का उस लड़की की बॉडी को उठाकर गाड़ी में रख रहा है. कट टू दूसरा सीन, लड़का एक वीराने में लड़की की बॉडी और उसके सामान पर डीजल डाल रहा है और आग लगाने जा रहा है. कट टू एक और सीन, स्क्रीन का कलर सीपिया हो गया है और गाड़ी की डिक्की से वही लड़की स्लो मोशन में निकल रही है…
18 साल का लड़का ही सिरियल किलर है?
क्यों दिमाग की बैंड बज गई ना… सोनी लिव पर आई एक नई सीरीज आपको नागपुर में घटे एक क्राइम की कहानी कुछ इसी अंदाज में दिखाती है. मैं जिस शो की बात कर रही हूं, उसका नाम है Black, white and gray: love kills की. ये शो सोनी लिव पर ताजा-ताजा आया है. सिम्पल वे में ये एक सीरियल किलर की कहानी कहता है, जिसपर चार खून करने का आरोप है. लेकिन कमाल की बात पता है क्या है, जैसे ही आपको ये यकीन होने लगता है कि ये 18 साल का लड़का ही सिरियल किलर है, बस वहीं पर ये सीरीज आपके मुंह पर एक ‘रियल’ इंटरव्यू खींच कर मारती है और आपकी सारी समझ धरी की धरी रह जाती है.
सोनी लिव की इस सीरीज को डायरेक्ट किया है सुनील महाबल ने. सीरीज में 6 एपिसोड हैं, जो इसे एक शोर्ट सीरीज बनाते हैं. ये एक Mockumentary series है. अब आप सोचेंगे कि आखिर ये Mockumentary series क्या बला है. Documentry Series देखी है ना आपने तो बस जब किसी Documentry Series को उसी सीरीज में Mock यानी उसकी नकल की जाती है. बाहर के देशों में ये तरीका काफी फेमस है, लेकिन सिटकॉम और कॉमेडी के जॉनर में. क्राइम में ये बहुत अतरंगी चीज है, जिसे और भी किया जाना चाहिए.
दो पाटों में बट जाती है ये सीरीज
सीरीज में शुरू से दो चीजें साथ चलती हैं. पहली है Mockumentary जहां, एक फिल्म मेकर, डैनियल ग्रे (आवाज दी है एडवर्ड सोनेंब्लिक) ने चार लोगों के मर्डर से जुड़े लोगों का इंटरव्यू करते हुए दिखाई देते हैं. दूसरी तरफ Fictional Drama चल रहा है, जहां मयूर मोरे, पलक जायसवाल, तिग्मांशू धुलिया और देवेन भोजानी जैसे कमाल के एक्टर्स इसी किरदारों को प्ले कर रहे हैं, यानी ये ऐसा है कि आप एक किताब पढ़ रहे हैं और आपके सामने उसी किताब के सारे किरदार वही कहानी पेश भी कर रहे हैं. दोनों साथ-साथ हो रहा है. इसी बीच ‘रियल’ लोगों के इंटरव्यू भी आते हैं, जो कहानी को और भी ज्यादा मजेदार बना देते हैं.
मसला ये है कि चार लोगों का खून हुआ है, जिनमें एक बड़े पॉलीटिशियन की बेटी, एक टैक्सी ड्राइवर, एक गांव का लड़का और एक बड़ा अधिकारी शामिल हैं. सभी का कातिल एक है और वो है एक 18 साल का लड़का, जो फरार है, फिर एपिसोड का अंतिम पड़ाव आता है और आपके सामने ‘असली’ आरोपी का इंटरव्यू लाया जाता है. अब कहानी दो पाटों में बट जाती है, जहां एक तरफ पुलिस का वर्जन है और दूसरी तरफ आरोपी का वर्जन है, जो आपको किरदार प्ले भी करके दिखा रहे है.
रोलर कोस्टर जैसा है स्क्रीनप्ले
इस 6 एपिसोड की सीरीज का स्क्रीनप्ले इस तरह से चलता है कि आप असल में हुआ क्या यही सोचते-सोचते आखिरी एपिसोड तक कब आ जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ये सीरीज वाकई दिमाग के तारों के साथ छेड़छाड़ करती है, क्योंकि हमें सीधे-सीधे कहानियों को देखने की आदत है. यहां ऐसा नहीं है, यहां एक ही सीन को कई बार अलग-अलग तरीके से दिखाया जाता है. ये सीरीज स्लो बर्न नहीं है, लेकिन बीच-बीच में थोड़ा सस्पेंस ज्यादा आ जाता है, लगता है जैसे अभी डायरेक्टर से कहें… कि हां भाई समझ गए अब आगे क्या हुआ ये भी बताओ ना.
एक्टिंग की बात करें तो सीरीज में मयूर मोरे, पलक जायसवाल, तिग्मांशू धुलिया और देवेन भोजानी जैसे कलाकार हैं. मयूर मोरे कोटा फैक्ट्री के बाद जिस तरह का किरदार लेकर आए हैं, वो उनकी एक्टिंग की गाड़ी को कमर्शियल तौर पर आगे ले जाए या ना ले जाए, लेकिन एक्टिंग ऐस ए क्राफ्ट में बहुत ऊंचे पायदान तक ले जाएगा. पलक का किरदार आपको समझने ही नहीं देगा कि ये लड़की आखिर चाहती क्या है. तिग्मांशू ऐसे हैं जैसे वो हमेशा से इसी किरदार में थे, लंबे वक्त बाद देवेन भोजानी को देखना काफी मजेदार था. तो सोनी लिव की ये सीरीज एक मस्ट वॉच है. खामियां इसमें कुछ खास नहीं है. ये सीरीज दिमाग लगाने वाली सीरीज है, तो आपका पूरा अटेंशन मांगती है.
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