पांच लाख रुपये के लालच में पंजाब के दो तस्कर heroin smugglers 30 किलोमीटर तक रावी नदी में तैरकर पाकिस्तान पहुंचे। सरहद पार दो दिन रुकने के बाद वहां से 50 किलो हेरोइन लेकर रावी के रास्ते भारत फिर लौटे।
सरहद पर कड़ी निगरानी के तमाम दावों के वाबजूद किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। हेरोइन की खेप के साथ गिरफ्तार तस्कर जोगा सिंह के इस खुलासे ने सीमा सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
जालंधर में 17 अगस्त को 8 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार लुधियाना के जोगा सिंह ने पूछताछ में बताया कि फिरोजपुर के टेंडीवाला निवासी उसका जीजा शिंदर नशा बेचता है।
उसने जोगा सिंह की मुलाकात काला सिंह और रंगी से कराई थी। काला सिंह ने जोगा सिंह को लालच दिया कि वह रंगी के साथ पाकिस्तान से हेराइन लेकर आए तो उसे पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।
30 जुलाई 2023 को जोगा सिंह व रंगी ने पाकिस्तान जाने की तैयारी की। दोनों सुलतान गांव के पास रात करीब 10 बजे रावी में उतर गए। दोनों ने अपने साथ पांच-पांच लीटर की खाली कैन बांध ली थी, ताकि वह रावी में डूब न जाएं। सारी रात जोगा सिंह व रंगी नदी में तैरते रहे और अगली सुबह चार बजे तक करीब 30 किलोमीटर का सफर तय कर पाकिस्तान पहुंचे। पानी में रहने के कारण शरीर काफी सुन्न हो गया था। 31 जुलाई की सुबह चार बजे तीन लोगों ने टॉर्च की लाइट का इशारा कर नदी से निकाला।
सरहद पर की कहानी
जोगा सिंह ने बताया कि तीनों उन्हें एक कच्चे घर में लगे गए। वहां कपड़े बदलवाए गए और रंगी की बात भारत में काला सिंह से करवाई गई। सात बजे नाश्ता दिया गया और बाद में कहा कि यहां पर कोई आ सकता है इसलिए मक्की के खेत में ले गए। शाम को रोटी-पानी देकर पाकिस्तानी तस्कर चले गए। एक अगस्त की सुबह आठ बजे नाश्ता देने तस्कर फिर आए थे। सूत्रों के अनुसार जोगा सिंह ने पूछताछ में बताया कि उन्हें एक अगस्त को रात 10 बजे खाना दिया गया और धान के खेतों में दो किलोमीटर पैदल लेकर नदी किनारे ले जाया गया। इस दौरान रास्ते में कोई पाक रेंजर्स नजर नहीं आया। नदी के पास एक तस्कर और मिला, जिसके पास दो बोरे थे। एक बोरे में 22 पैकेट हेराइन भरी थी। इसे तिरपाल में कसकर लपेटा और जोगा सिंह की बाजू से बांध दिया। इसी तरह 25 पैकेट वाली बोरी रंगी ने बांध ली। वहां से पानी का बहाव भारत की ओर काफी तेज था। रात को 12 बजे उन्हें यह कहकर नदी में उतार दिया गया कि पानी का बहाव आपको गांव टेंडीवाल ही लेकर जाएगा। महज चार घंटे में ही हम गांव टेंडीवाल पहुंच गए, जहां पर काला सिंह हमें रिसीव करने के लिए खड़ा था। हेरोइन ठिकाने लगाने के बाद आठ बजे के करीब जोगा सिंह व रंगी वापस अपने गांव टेंडीवाल पहुंच गए थे।