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45 मिनट में पैक करो सामान… आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ने अफगानों को खाली हाथ देश से निकाला

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Jun 12, 2025    15088 views     Online Now 121
45 मिनट में पैक करो सामान... आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ने अफगानों को खाली हाथ देश से निकाला

पाकिस्तान के अफगान शरणार्थी शिविर में बैठा एक परिवार.

पाकिस्तान आतंकियों को तो पनाह देता है, लेकिन जिंदगी भर उसके देश में मजदूरी करने वाले अफगानों को बेइज्जत कर देश छोड़ने के लिए मजबूर करता है. पाकिस्तान में ऐसा आम हो गया है, हैरानी की बात ये है कि हमेशा के लिए पाक छोड़ने जा रहे अफगानों को सामान पैक करने के लिए सिर्फ 45 मिनट का वक्त दिया जाता है.

ईंट की फैक्ट्री में नौकरी करने वाले 42 वर्षीय अफगान शेर खान भी इन्हीं पीड़ितों में से एक हैं. भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार जब वह नौकरी के बाद अपने घर पहुंचे तो वहां पुलिस खड़ी थी. उससे पलक झपकते ही सब छीन लिया गया और सामान समेटने के लिए एक घंटे से भी कम समय मिला. वह अपनी पत्नी और नौ बच्चों के लिए रसोई के कुछ सामान और कपड़े लेकर पीओके से अपना घर छोड़कर चले गए.

पाकिस्तान से निकाले जा रहे अफगान

पाकिस्तान में जन्में शेर खान उन लाखों अफगानों में से एक हैं, जिन्हें अब निष्कासित कर दिया गया है. पाकिस्तान का कहना है कि देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर अक्टूबर 2023 में शुरू की गई राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के कारण अब तक लगभग 10 लाख अफगान नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं. पाकिस्तान का कहना है कि लाखों लोग अब भी वहां रह रहे हैं और वह चाहता है कि वे लोग चले जाएं. अफगान सीमा के पार तोरखम में धूल भरे शरणार्थी शिविर में खड़े शेर खान ने कहा कि हमारा तो सब पीछे छूट गया जो हमने जिंदगी भर कमाया था.

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31 मार्च तक छोड़ना था पाकिस्तान

पाकिस्तान ने इस साल की शुरुआत में ही अफगानों को देश छोड़ने के लिए समय सीमा तय कर दी थी, इसमें इस्लामाबाद और रावलपिंडी में रह रहे अफगान नागरिक कार्ड धारकों को 31 मार्च तक शहर छोड़ना था, जबकि जिनके पास पंजीकरण प्रमाण पत्र था उन्हें 30 जून तक ऐसा करने का मौका दिया गया था.पाकिस्तान में रहने वाले अन्य लोगों के लिए कोई विशेष सीमा नहीं थी. शेर खान को लगा कि अगर उन्हें समय सीमा में ढील की तो पुलिस उनकी पत्नी और बच्चों को थाने ले जा सकती है.

तालिबान सरकार चला रही तोरखम शिविर

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा संचालित तोरखम शिविर में, प्रत्येक परिवार को एक सिम कार्ड और 10,000 अफगानी मुद्रा (145 अमेरिकी डॉलर) की सहायता मिलती है. वे आगे बढ़ने से पहले वहां तीन दिन तक बिता सकते हैं. शिविर के निदेशक, मोलवी हाशिम मईवंदवाल ने कहा कि पाकिस्तान से प्रतिदिन कम से कम 150 परिवार आ रहे हैं, जो लगभग दो महीने पहले आने वाले करीब 1,200 परिवारों की तुलना में बहुत कम हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि जून के दूसरे सप्ताह से यह संख्या बढ़ने का अनुमान है.

आतंक के लिए अफगानों पर दोष मढ़ता है पाकिस्तान

पाकिस्तान ने अफगानों पर देश के अंदर उग्रवादी हमले करने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि हमलों की योजना सीमा पार से बनाई जाती है. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इस आरोप से इनकार करती है. पाकिस्तान ने अफगानों को निशाना बनाने से इनकार करते हुए कहा है कि देश छोड़ने वाले हर व्यक्ति के साथ मानवीय और सम्मानपूर्ण व्यवहार किया जाता है, लेकिन शायद चंद लोग ही होंगे, जिन्हें चंद मिनटों या घंटों में अपना सामान समेटकर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. ईरान भी अफगानों को निकाल रहा है. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने पांच जून को कहा कि एक अप्रैल से दो महीनों में 500,000 अफगानों को ईरान और पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है.

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