
कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी के 13% पदों को होल्ड किए जाने के मामले में मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एवं विवेक जैन की बैच ने सुनवाई करते हुए सरकार से दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि ओबीसी के 13% पदों को होल्ड से संबंधित याचिका खारिज होने के बाद भी नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही।
आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र कुमार शाह और रूप सिंह मरावी ने न्यायालय को बताया कि ओबीसी के 13% पदों को होल्ड करना मध्यप्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 की उप धारा (2) का उल्लंघन है। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं के साथ ओबीसी वर्ग के अनेकों अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि आरक्षित वर्ग में से मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित पदों पर चयनित किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं करते हुए मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को भी उनके ही वर्ग में चयन किया गया है जो आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।
कोर्ट में दी गई दलील
अधिवक्ताओं ने बताया कि उत्तीर्ण ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को याचिका क्रमांक WP 18105/2021 का हवाला देकर 87%- 13% फार्मूला लगाकर ओबीसी के 13% पद होल्ड कर किए जा रहे है जिससे हजारों अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित हो रहे है। अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह द्वारा कोर्ट को बताया गया कि WP 18105/2021 याचिका जो कि उच्च न्यायालय द्वारा 28/01/2025 को खारिज (dismiss) कर दी गई है, इसके बावजूद अभी तक ओबीसी के 13 % होल्ड पदों पर सरकार द्वारा नियुक्ति देने की कोई प्रकिया चालू नहीं की जा रही हैl
सरकार ओबीसी को आरक्षण देना नहीं चाहती
अधिवक्तायों द्वारा न्यायालय को यह भी बताया गया कि इस भर्ती के अलावा भी हाल ही में पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 के विज्ञापन में भी उक्त याचिका WP 18105/2021 का हवाला देकर ओबीसी के 13% पद होल्ड की जानकारी दी गई थी लेकिन उक्त याचिका खारिज होने के बाद सरकार द्वारा मनमाने तरीके से पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 में भी ओबीसी के 13% पदों को होल्ड कर मार्च 2025 में रिजल्ट जारी किया गया है। जिससे यह साफ हो जाता है कि सरकार की ओबीसी को 27% देने की मंशा नहीं है एवं सरकार ओबीसी को आरक्षण देना नहीं चाहती है।

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