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लॉरेंस बिश्नोई छोड़िए, ब्रिटेन की जेल में यह शख्स रच रहा दुनिया को दहलाने की साजिश

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Apr 16, 2025    150818 views     Online Now 121
लॉरेंस बिश्नोई छोड़िए, ब्रिटेन की जेल में यह शख्स रच रहा दुनिया को दहलाने की साजिश

लॉरेंस बिश्नोई छोड़िए, ब्रिटेन की जेल में यह शख्स रच रहा दुनिया को दहलाने की साजिश.

भारत में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके नेटवर्क को लेकर जितनी चिंता है, उससे कहीं बड़ा खतरा इस समय ब्रिटेन की जेलों में पनप रहा है… वहां की हाई-सिक्योरिटी जेलों में एक ऐसा कट्टरपंथी नेटवर्क फल-फूल रहा है, जो न सिर्फ जेल की व्यवस्था को अपने कब्जे में ले चुका है, बल्कि समाज के लिए एक आतंकी बम की तरह तैयार हो रहा है. इस नेटवर्क का नेतृत्व कर रहा है एक नाम जो अब ब्रिटेन के खुफिया तंत्र के लिए सिरदर्द बन चुका है.

लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंग्सटर भी इस खूंखार के सामने कुछ नही हैं. बाज हॉकटन नाम का ये अपराधी अब ब्रिटेन की जेलों में इस्लामी कट्टरपंथ का चेहरा बन चुका है. उसने जेल के भीतर इस्लाम कबूल किया और फिर उसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर अपने जैसे अन्य अपराधियों को भी कट्टरपंथ की राह पर ले आया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हॉकटन अब जेल में एक इस्लामिक गैंग का मुखिया है, जिसने कई जेलों के भीतर डर और हिंसा के बल पर कब्जा जमा लिया है.

कितना ताकतवर है ये गिरोह?

अगर भारत की बात करें, तो लॉरेंस बिश्नोई को लेकर एजेंसियां दिन-रात अलर्ट रहती हैं. उसके नेटवर्क का नाम आते ही सोशल मीडिया से लेकर पुलिस फाइलों तक हलचल मच जाती है. लेकिन ब्रिटेन में बाज हॉकटन का नेटवर्क एक ऐसी खामोशी से बढ़ा है कि कई जेलों में प्रशासन अब उसे ‘सेफ जेल’ मान रहे हैं, क्योंकि यहां इस अपराधी की शरण पाना आसान है. जेल अफसरों के मुताबिक, इस समय यहां हालत ऐसी है कि ये कट्टरपंथी गिरोह तय करते हैं कि कौन सुरक्षित रहेगा और कौन नहीं.

जेल अफसर की हत्या की कोशिश

साल 2020 में बाज हॉकटन ने ब्रिटेन की व्हाइटमूर हाई-सिक्योरिटी जेल में एक आतंकी हमले की कोशिश की थी. उसने साथी आतंकी ब्रुस्थम जियामानी के साथ मिलकर फर्जी सुसाइड बेल्ट बांधी, हथियार तैयार किए और एक जेल अफसर की हत्या की कोशिश की. यह घटना ब्रिटेन की जेलों में हुए पहले आतंकी हमले के तौर पर दर्ज हुई. इसके बाद भी ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसियों अलर्ट नहीं हुई, इसीलिए स्थिति सुधरने के बजाय और बदतर होती गई.

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अचानक बढ़ने लगे मुस्लिम कैदी

ब्रिटेन की जेलों में मुसलमान कैदियों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. 2002 में जहां केवल 5,500 मुस्लिम कैदी थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 16,000 तक पहुंच चुका है. यानी कुल जेल आबादी का 18 फीसदी हिस्सा अब मुस्लिम कैदियों का है. इनमें से अधिकांश गैर-आतंकी मामलों में सजा काट रहे हैं, लेकिन हॉकटन जैसे आतंकियों के प्रभाव में आकर वे धीरे-धीरे एक हिंसक वैचारिक लड़ाई का हिस्सा बन रहे हैं.

Jail Britain (1)

कैसे मिलती यहां कैदियों को सुरक्षा?

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि अब ब्रिटेन की जेलों में “मुस्लिम ब्रदरहुड” के नाम से एक संगठित नेटवर्क चल रहा है. इसमें नेता, भर्ती करने वाले, कानून लागू करने वाले, और फॉलोअर्स जैसी भूमिकाएं तय हैं. यह नेटवर्क सिर्फ धार्मिक आधार पर नहीं, बल्कि हिंसा, ड्रग तस्करी और जेल में सत्ता हासिल करने के लिए काम कर रहा है. कई कैदियों को मजबूर किया जा रहा है कि वे इस गिरोह में शामिल हों, वरना उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं.

जेल अफसरों को गरम तेल खौल दिया

ब्रिटेन की कुख्यात जेल HMP फ्रैंकलैंड में हाल ही में एक खौफनाक हमला हुआ. मैनचेस्टर एरिना ब्लास्ट का दोषी हाशिम आबेदी ने तीन जेल अफसरों पर गरम तेल और धारदार हथियारों से हमला कर दिया. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला भी इसी बढ़ते कट्टरपंथी नेटवर्क का हिस्सा था. फ्रैंकलैंड जेल, जहां देश के सबसे खतरनाक आतंकी रखे जाते हैं, अब एक तरह से इस्लामिक गैंग्स का गढ़ बन चुकी है.

जेल के आतंक पर क्या बोले पूर्व कैदी

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक उसे पूर्व कैदियों ने बताया है कि पहले जेलों में रंग, जाति और गैंगवार को लेकर टकराव होता था, लेकिन अब इस्लामिक कट्टरपंथी गिरोहों ने हर मोर्चे पर कब्जा जमा लिया है. कोई नया कैदी जब जेल में आता है, तो छह महीने के भीतर उसे गिरोह में शामिल कर लिया जाता है. इन गिरोहों के नेता खुद को “दूसरा पैगंबर” तक कहने लगते हैं और बाकी कैदी उन्हें उसी नजर से देखने लगते हैं.

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जेल के अंदर चल रही शरिया कोर्ट

इन गिरोहों ने जेल के भीतर शरिया कोर्ट जैसा तंत्र भी खड़ा कर दिया है. यानी अगर कोई कैदी उनकी धार्मिक या गैंग संबंधी बातों को नहीं मानता, तो उसके खिलाफ फैसला सुनाया जाता है. जिसमें मारपीट से लेकर कोड़े मारने जैसी सजाएं तक शामिल हैं. यह पूरी व्यवस्था किसी साये की तरह जेल के भीतर फैल चुकी है, जिसे अफसर चाहकर भी मिटा नहीं पा रहे हैं.

Jail Britain (2)

प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव ने बताया कि कई अफसर इन गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई से डरते हैं, क्योंकि कहीं उन पर नस्लभेदी होने का आरोप न लग जाए. यही वजह है कि जेलों में इन कट्टरपंथियों को एक तरह से खुली छूट मिल चुकी है. माना जाता हैं कि अब यह सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता का मामला नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर संकट बन चुका है.

जेल से चल रहा इस्लामी कट्टरपंथी नेटवर्क

भारत में जैसे लॉरेंस बिश्नोई अपने सोशल मीडिया मैसेज और सेल से चलने वाले गैंग के जरिए जेल से बाहर तक अपना नेटवर्क फैला चुका है, ठीक वैसे ही हॉकटन भी जेल में बैठकर एक वैचारिक युद्ध की नींव रख रहा है. फर्क इतना है कि बिश्नोई जहां गैंगस्टर माफिया नेटवर्क चला रहा है, वहीं हॉकटन एक वैश्विक इस्लामी कट्टरपंथी नेटवर्क की तैयारी में है.

ब्रिटेन सरकार ने इन चरमपंथी कैदियों को अलग रखने के लिए सेपरेशन सेंटर्स बनाए हैं, लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि वहां भी गिरोहबाजी जारी है. एक रिपोर्ट में कहा गया कि इन सेंटर्स में कई कैदी खुद को सुरक्षित रखने के लिए ही इस्लाम कबूल कर रहे हैं. यहां तक कि कुछ सेक्स अपराधियों को भी इस्लामिक गैंग में जगह दी जा रही है, क्योंकि इस्लाम में धर्म परिवर्तन के बाद सभी पुराने गुनाह माफ माने जाते हैं.

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अधिकारियों से ज्यादा इस नेटवर्क का दबदबा

2022 में जारी की गई एक समीक्षा रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कुछ जेलों में कट्टरपंथी खुद को अमीर यानी इस्लामी नेता घोषित कर चुके हैं और कैदियों पर उनका नियंत्रण जेल अधिकारियों से ज्यादा है. ये ‘अमीर’ तय करते हैं कि कौन कब नमाज पढ़ेगा, खाना कब मिलेगा और शॉवर का इस्तेमाल किसे करने दिया जाएगा.

Jail Britain (3)

इन हालातों में जेल प्रशासन की स्थिति ऐसी हो चुकी है जैसे भारत में कभी पंजाब की जेलों में हुआ करता था, जहां आतंकवादी कैदियों का दबदबा अफसरों पर भारी पड़ता था. फर्क यह है कि ब्रिटेन में यह खतरा अब शहरी आबादी तक पहुंचने को तैयार है, क्योंकि यही कैदी सजा पूरी होने के बाद समाज में लौटेंगे और संभावित रूप से नए मॉड्यूल खड़े करेंगे.

पूरे यूरोप को आंख दिखा रहा ये नेटवर्क

यह सब केवल ब्रिटेन तक सीमित नहीं रहेगा. अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर आशंकित हैं कि यह नेटवर्क भविष्य में यूरोप के दूसरे देशों तक भी फैल सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि भारत भी अपनी जेल प्रणाली की समीक्षा करे, खासकर जब लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर जेल से ही आपराधिक रणनीति चला रहे हों.

यह सब देखते हुए कहा जा सकता है कि ब्रिटेन की जेलें अब केवल सजा काटने की जगह नहीं रहीं. वे एक वैचारिक और संगठित युद्ध की प्रयोगशाला बन चुकी हैं, जहां बाज हॉकटन जैसे अपराधी नए आतंकवादियों को गढ़ रहे हैं. यह खतरा जितना ब्रिटेन के लिए है, उतना ही वैश्विक समुदाय के लिए भी.

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