
जस्टिस यशवंत वर्मा
जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर मिली नकदी को लेकर जांच की जा रही है. तीन जजों के पैनल ने जांच रिपोर्ट सामने रखी है. पैनल ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा को हटाने की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन जजों के पैनल को नियुक्त किया था. इन जजों ने 55 गवाहों से पूछताछ की, वर्मा का बयान दर्ज किया और गुरुवार सुबह 64 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी.
समिति की ओर से जांचे गए कम से कम 10 गवाहों ने जले हुए या आधे जले हुए नोट देखने की बात स्वीकार की है. वहीं, एक गवाह ने कहा, उन्होंने देखा था कि कमरे में फर्श पर नोट बिखरे पड़े थे. जले हुए या आधे जले हुए 500 के नोट फर्श पर पड़े हुए थे.
रिपोर्ट में 2 बातें सामने आई
समिति की रिपोर्ट में दो प्रमुख टिप्पणियां की गई है,
- पहली- रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा, इस समिति का मानना है कि पैसा/नकदी 30 तुगलक क्रिसेंट (जस्टिस वर्मा का आवास) के स्टोर रूम में पाई गई थी. जिस पर आधिकारिक तौर पर जस्टिस वर्मा रहते हैं.
- दूसरी, स्टोर रूम तक सिर्फ जस्टिस वर्मा या उनके परिवार के सदस्यों को ही जाने की इजाजत थी. इसके अलावा कोई और वहां नहीं जा सकता था. साथ ही स्टोर रूम की निगरानी की जाती थी.
समिति ने माना स्टोर रूम में पाई गई नकदी
पैनल ने कहा कि जस्टिस वर्मा, जो वर्तमान में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक पद पर हैं, उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं.समिति की 64 पन्नों की रिपोर्ट के अंत में दो पैराग्राफ हैं, जो यह निष्कर्ष निकालते हैं कि नकदी 30 तुगलक क्रिसेंट, नई दिल्ली के स्टोर रूम में पाई गई थी, जो आधिकारिक तौर पर जस्टिस वर्मा के कब्जे में था और स्टोर रूम (जहां नकदी रखी गई थी) तक सिर्फ जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोग ही जा सकते थे. मजबूत अनुमानात्मक सबूतों के आधार पर, यह स्थापित होता है कि जली हुई नकदी को 15 मार्च की तड़के जस्टिस वर्मा के स्टोर रूम से निकाला गया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि आग बुझाने की प्रक्रिया के दौरान देखे गए और पाए गए आधे जले हुए नोट अत्यधिक संदिग्ध वस्तुएं हैं और इससे भी अधिक कि वो इतनी कम रकम नहीं थी कि जिसे जस्टिस वर्मा या उनके परिवार के सदस्यों की मौन या सक्रिय सहमति के बिना स्टोर रूम में रखा जा सकता था.
“500 के नोट बिखरे पड़े थे”
समिति की ओर से जांचे गए कम से कम 10 गवाहों ने जले हुए या आधे जले हुए नोट देखने की बात स्वीकार की है. समिति के सामने पेश एक गवाह ने कहा कि जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा कि दाहिनी ओर और सामने, फर्श पर सिर्फ 500 रुपये के नोटों का एक बड़ा ढेर पड़ा था. मुझे यकीन नहीं है कि 500 रुपये के ऐसे कोई नोट वहां थे या नहीं. मैं हैरान रह गया और इतनी बड़ी मात्रा में नकदी फर्श पर बिखरी हुई थी, जिसे मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा.
समिति ने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा द्वारा कथित तौर पर सबूतों को नष्ट करने या आग लगने की जगह की सफाई करने में संदिग्ध भूमिका की भी जांच की. उदाहरण के लिए, कार्की ने कथित तौर पर आग बुझाने वाले फायरमैन को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में नोटों के जलने और अगले दिन कमरे की सफाई करने का उल्लेख न करें, जिसका उन्होंने खंडन किया. हालांकि, अन्य गवाहों के बयानों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से इसके उलट साबित हुआ.
कौन तीन जज थे पैनल का हिस्सा
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनु शिवरामन की सदस्यता वाली समिति ने जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच के लिए 22 मार्च को गठित किया था.
जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद में शिफ्ट कर दिया गया है. समिति की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है.
क्या था पूरा मामला?
14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगी थी. जहां पर कथित तौर पर उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था. वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा का दावा है कि स्टोर रूम में उन्होंने या उनके परिवार वालों ने कभी कैश नहीं रखा और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है.
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