
Women’s day 2025: रेणु चक्रवर्ती, विजयलक्ष्मी पंडित, सुभद्रा जोशी, गंगा देवी
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. 8 मार्च की तारीख को दुनियाभर में महिलाओं के अधिकार, उनकी समस्याओं के प्रति जागरुकता और उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए याद किया जाता है. इसी कड़ी में टीवी 9 डिजिटल भी महिलाओं की उपलब्धियों और उनकी भागीदारी से संबंधित स्टोरी आपके लिए लेकर आ रहा है. भारत की पहली महिला वकील, IAS, IPS से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के अलावा; देश में महिला IAS, IPS की संख्या और पुरुषों के मुकाबले उनके अनुपात; सबसे ज्यादा महिला सांसद वाले राजनीतिक दल और राज्य पर छपी इन जानकारियों को आप पढ़ सकते हैं.
इस स्टोरी में आजाद भारत की कुछ दिग्गज महिला सांसदों को जानें.
1. रेणु चक्रवर्ती – वामपंथी राजनीति की झंडाबरदार
रेणु चक्रवर्ती भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नेता, सांसद और शिक्षाविद् थीं. कोलकाता के लोरेटो हाउस और विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन और कैम्ब्रिज के न्यून्हम कॉलेज से पढ़ी रेणु चक्रवर्ती ने शुरुआती जीवन ही में राजनीति में रुचि लेने लगीं. प्रसिद्ध ब्रिटिश कम्युनिस्ट रजनी पाल्मे दत्त के संपर्क में आने के बाद वह ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुईं. भारत लौटने पर वामपंथी राजनीति में उतर गईं. आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में और फिर 1957 के चुनाव में भी बशीरहाट से, जबकि 1962 में बैरकपुर से लोकसभा के लिए चुनी गईं.
2. विजयलक्ष्मी पंडित – जवाहरलाल नेहरू की बहन
विजय लक्ष्मी पंडित भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनयिक और राजनेता थीं. 1953 से 1954 के बीच पंडित ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 8वीं अध्यक्ष के रूप में काम किया. इस पद पर नियुक्त होने वाली वह पहली और एकमात्र भारतीय रहीं. बाद में 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की तीसरी राज्यपाल रहीं विजय लक्ष्मी पंडित ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई बार जेल भी गईं. विजय लक्ष्मी पंडित की एक अहम पहचान यह है कि वह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं. विजयलक्ष्मी पंडित पंडित नेहरू के निधन के बाद उत्तर प्रदेश के फूलपुऱ से सांसद चुनी गईं. विजयलक्ष्मी पंडित ने इंदिरा गांधी के आपातकाल का विरोध किया था.
3. सुभद्रा जोशी – जिसने वाजपेयी को चुनाव में हराया
सुभद्रा जोशी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सांसद थीं. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और बाद में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं. सुभद्रा जोशी सियालकोट (मौजूदा पाकिस्तान में) थीं. वह 1952 से 1977 तक लगातार चार कार्यकाल में सांसद रहीं. 1952 में करनाल (हरियाणा) से, 1957 में अंबाला (हरियाणा) से, 1962 में बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से और 1971 में चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से वह सांसद बनीं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने1962 में बलरामपुर में अटल बिहारी वाजपेयी को हरा दिया था. हालांकि, उसी सीट से 1967 का लोकसभा चुनाव वे बाजपेयी से हार गईं.
4. गंगा देवी – 5 बार लगातार सांसद रहीं
गंगा देवी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाली दिग्गज राजनेता थीं. वे 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 के लगातार पांच आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से लोकसभा के लिए चुनी गईं. 1977 के चुनाव में उन्हें राम लाल कुरील ने हरा दिया था. गंगा देवी ने अलग-अलग सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लिया. खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों में पिछड़े वर्गों का कल्याण, बच्चों की शिक्षा, बाल विवाह, जाति प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बढ़-चढ़कर आंदोलन किया. गांव में उद्योगों का विकास, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के हित के लिए और सांप्रदायिकता के खिलाफ भी काफी काम किया.
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