स्पोर्ट्स डेस्क. भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड ने अपने खिलाड़ियों को भावनाओं में बहने के प्रति चेताया है और सलाह दी है कि, अगर अगले महीने एफआईएच विश्वकप के दौरान उनके खिलाफ गोल होता है तो वे अपने खेल को अगले स्तर पर लेकर जाएं. रीड का मानना है कि अगर विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलना है तो सकारात्मक मानसिकता जरूरी है. भारत विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत टूर्नामेंट के पहले दिन 13 जनवरी को राउरकेला में स्पेन के खिलाफ करेगा.
लाहौर में 1990 विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम के सदस्य रहे रीड ने कहा कि, जब आप (भारतीय खिलाड़ी) इस स्तर (विश्व कप) के टूर्नामेंट में खेलते हो तो भावनाओं में बह जाते हो. भावनाओं में मत बहो. अगर विरोधी आपसे गेंद छीने या गोल कर दे तो हालात काफी मुश्किल हो सकते हैं. यह जरूरी है कि ‘अगली चीज क्या होगी’ आप इसकी मानसिकता विकसित करो. जो हो गया आप उसे नहीं बदल सकते तो उस काम पर ध्यान दो जो आपके सामने है, क्या करना है इस पर अपना ध्यान केंद्रित रखो.
1990 हॉकी विश्व कप की चुपचाप करते थे तैयारी
विश्व कप 1990 में ऑस्ट्रेलियाई टीम की तैयारी के बारे मे बताते हुए रीड ने कहा कि टूर्नामेंट से पहले हम छोटे मुकाबले (कम समय के) खेलते थे और चुपचाप खेलते थे, हमें बात करने की स्वीकृति नहीं थी. दर्शकों के शोर की रिकॉर्डिंग लाउडस्पीकर पर बजाई जाती थी और हमने सीखा कि किसी की आवाज पर अधिक ध्यान नहीं देना है बल्कि खिलाड़ी के पलटने या उसकी आंखों में देखकर खेलने का आदी होना है.
मौजूदा समय में दावेदार की भविष्यवाणी करना मुश्किल
रीड ने कहा कि आधुनिक हॉकी की बेहद प्रतिस्पर्धी प्रकृति को देखते हुए भुवनेश्वर और राउरकेला की संयुक्त मेजबानी में हो रहे विश्व कप के प्रबल दावेदार की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा कि किसी टीम को चुनना बेहद मुश्किल है. अगर मैं आज की स्थिति को देखता हूं तो मैं ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और भारत को चुन सकता हूं और कल मैं फिर नीदरलैंड, जर्मनी और भारत के साथ जा सकता हूं.
रीड ने कहा कि, बेशक मैं भारत को शीर्ष 3 में रखूंगा, क्योंकि अगर हम अच्छा खेलते हैं तो हमारे पास अच्छा मौका होगा. शीर्ष 8 टीम में से कोई भी विश्व कप जीत सकता है. विश्व कप 1990 में भारत के खिलाफ मैच को याद करते हुए रीड ने कहा कि उस मैच में उन्होंने जो गोल किया था वह उनके लिए विशेष है.