भारत में रियल एस्टेट और गोल्ड दोनों ही निवेश के लोकप्रिय ऑप्शन माने जाते हैं. रियल एस्टेट सेक्टर में प्रॉपर्टी फिक्स रहती है और वहीं, गोल्ड अपनी तरलता और महंगाई से निवेशकों को बचाने के लिए फेवरेट इंवेस्टमेंट विकल्प बनता है. दोनों सेक्टर में निवेशकों को मुनाफा भी होता है. आइए एक्सपर्ट और डेटा के जरिए समझते हैं कि पिछले 10 से 15 सालों में गोल्ड ने निवेशकों की झोली भरी या फिर प्रॉपर्टी में पैसा लगाकर निवेशक मालामाल हुए हैं मतलब कि पिछले 15 सालों में इन दोनों में से कौन सा निवेश ऑप्शन इंवेस्टर्स के लिहाज से बेमिसाल रहा है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, रियल एस्टेट सेक्टर में लग्जरी हाउसिंग और खास गलियारों में विकास ने सेक्टर को लंबे समय के लिए आकर्षक बनाया है. एआरआईपीएल के संस्थापक और एमडी सुरेंद्र कौशिक कहते हैं कि गोल्ड अस्थिरता में चमक सकता है, लेकिन रियल एस्टेट पैसा बनाने में नंबर वन है. उनके मुताबिक, हाल के वर्षों में लग्जरी हाउसिंग की बिक्री 50% से ज्यादा हो गई है.
वहीं कौशिक बताते हैं कि दिल्ली के द्वारका एक्सप्रेसवे जैसे क्षेत्रों में पिछले 14 सालों में घरों की कीमतें पांच गुना बढ़ी हैं. यह क्षेत्र अब निवेशकों और रहने वालों दोनों को आकर्षित कर रहा है. वे यह भी कहते हैं कि अगले 10-15 सालों में भारत में अमीर और बहुत अमीर लोगों की संख्या 3% से बढ़कर 9% हो सकती है, जिससे लग्जरी रियल एस्टेट की मांग और बढ़ेगी. उनके अनुसार, रियल एस्टेट न केवल कीमतों में वृद्धि देता है, बल्कि संपत्ति की स्थिरता भी प्रदान करता है, जो गोल्ड में संभव नहीं है.
सीआरसी ग्रुप के डायरेक्टर सलिल कुमार भी यही मानते हैं. वे कहते हैं कि गोल्ड तरलता देता है, लेकिन रियल एस्टेट लंबे समय में पूंजी वृद्धि और नियमित आय के जरिए धन बनाता है. उनके मुताबिक, पहले जहां किफायती और मध्यम स्तर के घरों का बाजार था, अब लग्जरी हाउसिंग की हिस्सेदारी बढ़कर 34% हो गई है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे जैसे क्षेत्रों में 2020 से 2025 तक कीमतों में 92% की वृद्धि होने की उम्मीद है. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट इस वृद्धि को और तेज करेंगे.
गोल्ड ने किया कमाल?
बैंकबाजार के सह-संस्थापक और सीईओ अधिल शेट्टी आंकड़ों के आधार पर अलग तस्वीर पेश करते हैं. वे कहते हैं कि भारतीय परिवार परंपरागत रूप से रियल एस्टेट को लंबे समय की संपत्ति मानते हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और कहते हैं. पिछले 10-15 सालों में रियल एस्टेट ने सालाना 5.2% से 6.4% का रिटर्न दिया, जबकि गोल्ड ने 11.3% से 14% की दर से वृद्धि की.
शेट्टी बताते हैं कि अगर 15 साल पहले गोल्ड में 1 लाख रुपये लगाए गए होते, तो आज वह 5 लाख रुपये हो गए होते. वहीं, रियल एस्टेट में वही राशि 2.5 लाख रुपये तक ही पहुंचती. गोल्ड की कम लागत, डिजिटल रूप (जैसे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स) में आसान उपलब्धता और महंगाई को मात देने की क्षमता इसे बेहतर निवेश बनाती है.
जो लोग कम जटिलता के साथ लंबे समय के Lillies the Flower of Evil के निवेश चाहते हैं, उनके लिए गोल्ड ने रियल एस्टेट से बेहतर परिणाम दिए हैं. हालांकि, वे यह भी सलाह देते हैं कि गोल्ड को मुख्य निवेश नहीं बनाना चाहिए, बल्कि इसे पोर्टफोलियो का 5-10% हिस्सा रखना चाहिए ताकि जोखिम कम हो. आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 सालों में गोल्ड ने 11.3% की सालाना वृद्धि के साथ निवेश को 5 गुना बढ़ाया, जबकि रियल एस्टेट ने 6.4% की दर से केवल 2.5 गुना वृद्धि दी. 10 सालों में भी गोल्ड का रिटर्न 14% रहा, जबकि रियल एस्टेट का केवल 5.2%. इस तरह, गोल्ड ने न केवल ज्यादा रिटर्न दिया, बल्कि यह अधिक किफायती और प्रभावी निवेश साबित हुआ है.
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