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6 महीने में दूसरी बार बढ़ सकता है खाने के तेल पर टैक्स, ऐसी क्या है मजबूरी

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Feb 22, 2025    150816 views     Online Now 325

खाने के तेल पर 6 महीने में दूसरी बार इंपोर्ट ड्यूटी में इजाफा देखने को मिल सकता है. एक मीडिया रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी गई है. इसका प्रमुख कारण घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से जूझ रहे हजारों तिलहन किसानों को मदद करना है. यही वजह है कि भारत छह महीने से भी कम समय में दूसरी बार वनस्पति तेलों पर इंपोर्ट टैक्स बढ़ा सकता है.

दुनिया के खाद्य तेलों के सबसे बड़े इंपोर्ट द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी से स्थानीय वनस्पति तेल और तिलहन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जबकि संभावित रूप से मांग कम हो सकती है और पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद कम हो सकती है.

एक सरकारी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर मीडिया रिपोर्ट में कहा कि शुल्क वृद्धि के संबंध में अंतर-मंत्रालयी परामर्श समाप्त हो गया है. सरकार द्वारा जल्द ही शुल्क बढ़ाने की उम्मीद है. एक अन्य सरकारी सूत्र ने भी आधिकारिक नियमों का हवाला देते हुए पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि सरकार खाद्य महंगाई पर फैसले के प्रभाव को ध्यान में रखेगी.

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सितंबर में बढ़ाई थी ड्यूटी

सितंबर 2024 में, भारत ने कच्चे और रिफाइंड वनस्पति तेलों पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाई थी. जिसके बाद कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 27.5 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया, जो पहले 5.5 फीसदी था, जबकि तीन तेलों के रिफाइंड ग्रेड पर अब 35.75 फीसदी इंपोर्ट टैक्स है. शुल्क वृद्धि के बाद भी, सोयाबीन की कीमतें राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से 10 फीसदी से अधिक नीचे कारोबार कर रही हैं. व्यापारियों को यह भी उम्मीद है कि अगले महीने नए सीजन की सप्लाई शुरू होने के बाद सर्दियों में बोई जाने वाली रेपसीड की कीमतों में और गिरावट आएगी.

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कितनी हैं घरेलू कीमतें

घरेलू सोयाबीन की कीमतें लगभग 4,300 रुपए ($49.64) प्रति 100 किलोग्राम हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपए से कम है. पहले अधिकारी ने कहा कि तिलहन की कम कीमतों के कारण, खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना समझ में आता है, उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी की सही मात्रा अभी तक तय नहीं की गई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि तिलहन किसान दबाव में हैं और उन्हें तिलहन की खेती में अपनी रुचि बनाए रखने के लिए समर्थन की आवश्यकता है.

ऑर्डर हुए कैंसल

रॉयटर्स ने गुरुवार को बताया कि भारतीय रिफाइनर्स ने आयात शुल्क में संभावित बढ़ोतरी के कारण मार्च और जून के बीच डिलीवरी के लिए निर्धारित 100,000 मीट्रिक टन कच्चे पाम तेल के ऑर्डर कैंसल कर दिए हैं. भारत अपनी वनस्पति तेल की मांग का लगभग दो-तिहाई हिस्सा इंपोर्ट के माध्यम से पूरा करता है. यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का इंपोर्ट करता है.

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