• Thu. Sep 19th, 2024

न दान न दक्षिणा… फिर कैसे मैनेज होता है ‘भोले बाबा’ के आलीशान आश्रम का अकाउंट? | hathras stampede incident narayan sakar hari bhole baba ashram property trust donations luxury cars stwas

ByCreator

Jul 5, 2024    150854 views     Online Now 223
न दान-न दक्षिणा... फिर कैसे मैनेज होता है 'भोले बाबा' के आलीशान आश्रम का अकाउंट?

नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ (फाइल फोटो).

हाथरस हादसे में 123 लोगों की जानें गईं, 31 घायलों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है, लेकिन हादसे के तीन दिन बीत जाने के बाद भी नारायण साकार विश्व हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ अभी तक सामने नहीं आया है. बाबा कहां पर छिपा बैठा है, ये भी किसी को नहीं पता है. पुलिस बाबा के मैनपुरी वाले आश्रम के अंदर-बाहर आ-जा रही है, लेकिन कुछ बता नहीं रही है. आशंका तो यहां तक व्यक्त की जा रही है कि बाबा मैनपुरी के आश्रम में छिपा बैठा है, लेकिन इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.

उत्तर प्रदेश के कई शहरों में नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ की अकूत संपत्ति है. करोड़ों की जमीन पर बाबा के भव्य आश्रम बने हैं. इन आश्रमों को चलाने में लाखों रुपये खर्च होते हैं. इन आश्रमों में रोजाना हजारों भक्त सत्संग और दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आश्रम में भक्तों के ठहरने से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था की जाती है. आश्रमों में रोजाना हजारों भक्तों को उनके सेवादारों के द्वारा बाबा के चमत्कारों की कहानियां सुनाई और दिखाई जाती हैं, ताकि बाबा के अनुयायियों का उन पर भरोसा टिका रहे.

हालांकि सवाल ये है कि नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाब के इन आश्रमों का संचालन कैसे होता था? आश्रमों को चलाने के लिए पैसा कहां से आता था? हवलदार से ‘भोले बाबा’ बने सूरजपाल ने कहां से इतनी संपत्ति इक्कठा की? कहां-कहां बाबा के ठिकाने मौजूद हैं? इन तमाम सवालों के जवाब टीवी9 डिजिटल की इस खास रिपोर्ट में पढ़ें…

See also  28 July ka Meen Tarot Card: मीन राशि वालों के पूरे होंगे रुके हुए काम, अवसरों का उठाएंंगे लाभ! | Today Pisces Tarot Card Reading 28 July 2024 Sunday Tarot Prediction Horoscope in Hindi

किस नाम से चलता है बाबा का ट्रस्ट?

बीते साल 2023 में बाबा ने अपने ट्रस्ट का नाम बदल दिया था. वर्तमान में ‘भोले बाबा’ के ट्रस्ट का नाम ‘श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट’ है, जिसे पहले ‘मानव सेवा आश्रम’ के नाम से जाना जाता था. साल 2023 में इसमें बदलाव कर इस ट्रस्ट की जगह ‘श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट’ कर दिया गया. 2023 में ही पटियाली के रजिस्ट्री ऑफिस में इस ट्रस्ट से जुड़ी कुछ रजिस्ट्रियां हुईं थीं, तभी 12 साल बाद बाबा वहां गया था.

बताया जाता है कि जिन जमीनों पर बाबा के आश्रम मौजूद हैं, वो ज्यादातर दान की जमीन हैं, जो ‘भोले बाबा’ में विश्वास रखने वाले लोगों ने उनके ‘मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट’ को दी थी, लेकिन साल 2023 में ‘भोले बाबा’ ने जैसे जमीनों की रजिस्ट्री उनके ट्रस्ट ने नाम हुई, तुरंत ट्रस्ट का नाम ही बदल दिया, ताकि करोड़ों रुपए की इन संपत्तियों पर भविष्य में उनकी ट्रस्ट का कब्जा मजबूत हो सके.

UP के कई शहरों में बाबा के आलीशान आश्रम

‘श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट’ के यूपी के कई शहरों में आलीशान आश्रम मौजूद हैं. कासगंज के पटियाली में आश्रम, मैनपुरी में भव्य आश्रम, संभल में प्रवास कुटिया के नाम से आश्रम और आगरा के केदारनगर में घर है. इनमें से कासगंज और मैनपुरी में जो आश्रम है, वो कई बीघे जमीन पर बना है, जिसकी कीमत करोडों रुपए में आंकी गई है. इन आश्रमों में होने वाले खर्चे जैसे रख-रखाव और आने वाले भक्तों के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था भी बाबा के सेवादार करते थे.

See also  जून तिमाही में प्रॉफिट किंग बनी महिंद्रा, टाटा मोटर्स और हुंडई की सेल में आई जोरदार गिरावट | Mahindra became the profit king in the June quarter Tata Motors Hyundai sales decline

टीवी9 भारतवर्ष की टीम को कासगंज में मौजूद आश्रम के मैनेजर श्रीकृष्ण सिंह और ट्रस्ट के मेंबर राजपाल यादव ने बताया कि ‘भोले बाबा’ के ट्रस्ट में कैश नहीं लिया जाता है. किसी भक्त को अगर कोई देना होता है तो दान के रूप में सामान भेंट कर सकता है. मसलन, ऐसी चीज जो आश्रम में आने वाले भक्तों के काम आ सके. जैसे- खाने पीने का सामान, पंखे, पानी के हैंडपंप, कमरे बनावए या फिर कुछ अन्य सामान दे दे.

बाबा की ‘हम कमेटी’ का क्या काम?

‘भोले बाबा’ के ट्रस्ट के मेंबर राजपाल यादव ने बताया कि हर आश्रम के पीछे ट्रस्ट की खेती की जमीन मौजूद है, जहां सेवादार सब्जियों-फलों, गेहूं या फिर चावल, दालों की खेती करते हैं. यहां तैयार होने वाली चीजों से ही आश्रम का लंगर चलता है. इतना ही नहीं, बाबा नारायण साकार हरि के अलग-अलग शहरों में होने वाले सत्संग के लिए भी चंदा नहीं मांगा जाता है. उन्हें आयोजित करने की जिम्मेदारी बाबा की ‘हम कमेटी’ की होती है. जहां भी बाबा का सत्संग होना होता है, वहां पहले हम कमेटी का गठन किया जाता है. वो कमेटी सीधे बाबा के संपर्क में रहती है. ‘हम कमेटी’ ही सत्संग का पूरा खर्च उठाती है.

बाहर से नहीं ले सकते चंदा

‘हम कमेटी’ को बाहर से चंदा लेने की मनाही होती है. उस कमेटी में 10 से ज्यादा लोग भी हो सकते हैं. पहले बाबा पंडाल में जाते ही इस कमेटी से मिलते हैं, फिर सत्संग होता है. बाबा के सत्संग के लिए हम कमेटी के जरिए ही कोई पंडाल का टेंट लगवाता है, कोई खाने-पीने की व्यवस्था करता है तो कोई सेवादारों को मैनेज करता है. कुल मिलाकर बाबा के आश्रमों का अर्थशास्त्र किसी कंपनी की तरह चलता है, जिसमें कमेटियों के रूप में कई डिपार्टमेंट होते हैं और उनमें भी सेवादारों की अलग-अलग पोजीशन यानी जिम्मेदारी होती है.

See also  यहां हुई पहली सीजेरियन डिलीवरी, पैरेंट्स इतने खुश कि हॉस्पिटल पर ही रखा बच्चे का नाम | ujjain first delivery in government madhav nagar hospital parents kept a special name stwj

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL