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Ganesh Chaturthi: वो मंदिर जहां विराजते हैं बिना सूंड वाले गणेश जी, भगवान को चिट्ठी लिखकर कष्ट सुनाते हैं भक्त

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Sep 9, 2024    150856 views     Online Now 196
Ganesh Chaturthi: वो मंदिर जहां विराजते हैं बिना सूंड वाले गणेश जी, भगवान को चिट्ठी लिखकर कष्ट सुनाते हैं भक्त

ये है भगवान गणेश का सबसे दुर्लभ मंदिरImage Credit source: फेसबुक

Ganesh Chaturthi 2024: हमारी हिंदू संस्कृति में एक से बढ़कर एक भगवान हैं. भक्तजन देवी-देवताओं की आराधना करते हैं और बेहतर जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं. मौजूदा समय में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ये 10 दिनों तक चलता है. इस दौरान लोग बप्पा की मूर्ती अपने घरों में लाते हैं. उनकी पूजा करते हैं और इसके बाद विसर्जन कर देते हैं. हर साल भारत में इस त्योहार के मौके पर अलग ही उल्लास रहता है. भगवान गणेश का हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान है. कोई भी काम शुरू करने से पहले बप्पा को याद किया जाता है. देशभर में गणेश भगवान के कई सारे मंदिर हैं. लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो दुर्लभ हैं. वे खास महत्व रखते हैं और लाखों श्रद्धालू इन मंदिरों पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है गढ़ गणेश भगवान का मंदिर.

ये मंदिर कई वजहों से खास है. इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति भी काफी यूनिक है. इसके अलावा इस मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करने की विधि भी जरा हटकर ही है. बता रहे हैं भगवान गणेश के उस मंदिर के बारे में जहां पर भक्त अलग-अलग पैंतरे अपनाकर भगवान तक अपने कष्ट पहुंचाते हैं और भगवान उनका निवारण भी करते हैं. तो अगर आप भी इस मंदिर के आस-पास रहते हैं तो इस मंदिर के दर्शन करने जरूर जा सकते हैं.

कौन सा है मंदिर

इस मंदिर को गढ़ गणेश मंदिर के नाम से माना जाता है और ये भगवान गणेश के कुछ सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. ये मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है. ये नाहरगढ़ और जयगढ़ किले के पास में स्थित है. ये मंदिर करीब 300 साल पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि इसे सवाई जय सिंह ने बनवाया था और उन्होंने यहां पर प्रख्यात पंडितों को बुलाकर अश्वमेध यज्ञ भी करवाया था. इसकी चढ़ाई करीब 500 मीटर लंबी है. कुल 365 सीढ़ियां चढ़ने के बाद भक्त, बप्पा का दर्शन इस मंदिर में कर पाते हैं. कहा जाता है कि साल में जितने दिन होते हैं उतनी ही सीढ़ियां चड़कर आप गढ़ गणेश भगवान की झलक देख सकते हैं. हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.

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क्यों दुर्लभ है ये मंदिर

ये मंदिर कई कारणों से प्रसिद्ध है. इस मंदिर में पत्थर के 2 मूषक स्थापित है. इन दो मूषक के पास भक्त जाते हैं और उनके कानों में अपने जीवन की व्यथा व्यक्त करते हैं. वो चूहे भक्तों की व्यथा को भगवान गणेश तक पहुंचाते हैं जिसके बाद भगवान गणेश भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. इसके अलावा इस मंदिर तक पहुंचने के बीच में एक शिव मंदिर भी पड़ता है. लोग पहले इस मंदिर में रुक कर भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करते हैं और इसके बाद मुख्य मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं. साथ ही एक मान्यता ये भी है इस मंदिर में बप्पा की पूजा करने का विधि-विधान भी काफी अलग है.

भगवान को चिट्ठी लिखते हैं भक्त

इस मंदिर में गणेश भगवान की पूजा के दौरान भक्त उन्हें चिट्ठी लिखकर अपने मन की बात कहते हैं. भक्तों का ऐसा मानना है कि ऐसा करने से भगवान तक उनकी बात पहुंचती है और भगवान अपने भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आपने 7 बुधवार को लगातार भगवान के दर्शन किए तो आपको मनवांछित फल की भी प्राप्ति होती है और भगवान गणेश भी इस बात से काफी खुश होते है.

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