भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बेचने और राइड-हेलिंग सर्विस प्रोवाइड कराने वाली कंपनी ओला इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रही है. 29 मई को ओला इलेक्ट्रिक ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च बीच उसका घाटा बढ़कर दोगुना यानी ₹870 करोड़ हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में ₹416 करोड़ था.
साल 2010 से कैब सर्विस के जरिए बिजनेस शुरू करने वाली ओला ने पिछले कुछ सालों में अन्य बिजनेस में भी किस्मत आजमाई, लेकिन कंपनी को ज्यादातर जगह निराशा ही हाथ लगी. ओला फिलहाल राइड-हेलिंग और इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग के अलावा अन्य बिजनेस भी करती है. आइए एक-एक से जानते हैं ओला की घटते मुनाफे की वजह?
पहले से तीसरे नंबर पर आई ओला इलेक्ट्रिक
2017 में शुरू होने वाली ओला इलेक्ट्रिक के लिए पिछले कुछ महीने बेहद खराब रहे हैं. अगस्त 2024 में शेयर मार्केट में लिस्टेड होने के बाद ही ओला कम बिक्री, विनियामक दबाव और कंपनियों से कड़े मुकाबले का सामना कर रही है. कंपनी को अब तक एक बार भी फायदा नहीं हुआ है. हालांकि, ओला का दावा है कि वह बीते वित्त वर्ष 2025 में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचने वाला ब्रांड था. इस दौरान ओला ने 3,59,221 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बेचे. हालांकि, ओला को मार्च से घटती हुई बिक्री का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान ओला टॉप पॉजिशन से सीधे तीसरे नंबर आ गया. ओला ने मार्च में सालाना आधार पर 56.31% की गिरावट के साथ 23,435 और अप्रैल में 42% की गिरावट के साथ 19,709 इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचे. इस मामले में TVS और बजाज ओला से आगे निकल गए.
एक साल में दोगुना हुआ Ola का घाटा
ओला कंज्यूमर का भी राजस्व घटा
ओला कंज्यूमर जिसे पहले ओला कैब्स के नाम से जाना जाता था. इसकी शुरुआत में 3 दिसंबर 2010 को भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी ने की थी. ओला ने भारत में परिवहन को आसान बनाने के उद्देश्य से टैक्सी बुकिंग को ऐप-आधारित सुविधा में बदल दिया. उस समय इस तरह सर्विस देने वाली ओला इकलौती कंपनी थी. हालांकि, इस साल 2011 की शुरुआत में ओला के कॉम्पीटीटर मार्केट में आने लगे, जिनमें उबर और मेकर शामिल हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में ओला के राजस्व में सालाना 5.5% की गिरावट आई. ओला का राजस्व वित्त वर्ष 24 में वित्त वर्ष 23 के मुकाबले 5.5% घटकर 2,012 करोड़ रुपये रह गया.
ओला यूज्ड कार बिजनेस
ओला यूज्ड कार बिजनेस अक्टूबर 2021 में शुरू हुआ था. यह ओला की एक नई पहल थी, जिसे ओला कैब्स ब्रांड के तहत शुरू किया गया था. हालांकि, यह बिजनेस कुछ ही समय में बंद कर दिया गया था. ओला ने इस बिजनेस को बंद करते हुए कहा था कि पिछले 10 महीनों में, हमने हजारों परिवारों को उनकी सपनों की कार खोजने में मदद की है. दुर्भाग्य से यह खूबसूरत यात्रा समाप्त हो रही है. कंपनी का दावा था कि उसने इलेक्ट्रिक वाहन और मोबिलिटी बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ये फैसला किया था.
फूड डिलीवरी बिजनेस में आजमाया हाथ
ओला ने पुरानी कारों की खरीद फरोख्त बिजनेस के साथ-साथ बाद में फूड डिलीवरी में भी किस्मत आजमाई. ओला ने इस बिजनेस में आने के लिए 2017 में फूडपांडा का अधिग्रहण किया, लेकिन ये ज्यादा सफल नहीं रहा. बाद में ओला ने इसे कमजोर प्रदर्शन की वजह से बंद करने का फैसला किया. अब ओला ने हाल ही में ओला डैश के साथ क्विक कॉमर्स बिजनेस की शुरुआत की है. ओला डैश 10 मिनट की फूड डिलीवरी सर्विस है, जो इसकी व्यापक फ़ूड डिलीवरी रणनीति का हिस्सा है. ओला डैश का मुकाबला जेप्टो कैफे, स्विगी बोल्ट और ब्लिंकिट्स बिस्ट्रो जैसी अन्य इंस्टेंट फूड डिलीवरी सर्विस देने वाली कंपनियों से है.
लिस्टिंग के बाद अस्थिर रहा ओला का शेयर
ओला इलेक्ट्रिक ने 9 अगस्त 2024 को भारतीय शेयर बाजारों (NSE और BSE) में अपनी लिस्टिंग की थी. आईपीओ का प्राइस बैंड ₹72 से ₹76 प्रति शेयर था और यह 4.45 गुना सब्सक्राइब हुआ था. ओला इलेक्ट्रिक का शेयर प्रदर्शन लिस्टिंग के बाद अस्थिर रहा है. हालांकि शुरुआत में तेजी देखी गई, लेकिन फाइनेंशियल और ऑपरेशनल चुनौतियों की वजह से शेयर मूल्य में गिरावट आई है. 29 मई 2025 को, ओला इलेक्ट्रिक का शेयर 53.24 रुपए था, जो कि IPO वैल्यू से लगभग 30% कम है.
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