EPFO Pensions Scheme : निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को जल्द राहत मिल सकती है। एक फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की पेंशन (EPS) एक झटके में 300% तक बढ़ सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों की पेंशन के लिए अधिकतम वेतन 15 हजार रुपये (मूल वेतन) तय किया है। मतलब आपकी सैलरी भले ही 15 हजार रुपए महीने से ज्यादा हो, लेकिन आपकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपए सैलरी पर ही की जाएगी।
EPFO Pensions Scheme
एक फैसला और पेंशन कई गुना बढ़ सकती है
EPFO की इस सैलरी-लिमिट को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कर्मचारी पेंशन (Employees Pension Scheme) की गणना अंतिम वेतन यानी उच्च वेतन ब्रैकेट पर भी की जा सकती है। इस फैसले से कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा पेंशन मिलेगी। आपको बता दें, पेंशन पाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में 10 साल तक योगदान करना जरूरी है। वहीं, 20 साल की सेवा पूरी करने पर 2 साल का वेटेज दिया जाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट लिमिट हटाने का फैसला करता है तो कितना फर्क पड़ेगा, आइए समझते हैं!
आपकी पेंशन कैसे बढ़ेगी?
मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी 1 जून 2015 से नौकरी कर रहा है और 14 साल की सेवा पूरी करने के बाद पेंशन लेना चाहता है तो उसकी पेंशन की गणना 15 हजार रुपये ही की जाएगी, भले ही वह कितने साल के लिए काम कर रहा हो. 20 हजार रु. बेसिक सैलरी ब्रैकेट में हों या 30 हजार रुपये। पुराने फॉर्मूले के मुताबिक 14 साल पूरे होने पर कर्मचारी को 2 जून 2030 से करीब 3000 रुपये पेंशन मिलेगी. पेंशन की गणना का फॉर्मूला है- (सर्विस हिस्ट्रीx15,000/70). लेकिन, अगर सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों के पक्ष में फैसला करता है, तो उसी कर्मचारी की पेंशन बढ़ जाएगी।
333% तक बढ़ सकती है पेंशन!
आपको बता दें कि ईपीएफओ (EPFO) के नियमों के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी लगातार 20 साल या इससे ज्यादा समय तक ईपीएफ (EPF) में योगदान करता है तो उसकी सेवा में दो साल और जुड़ जाते हैं। इस तरह 33 साल की सेवा पूरी हुई, लेकिन 35 साल के लिए पेंशन की गणना की गई। ऐसे में उस कर्मचारी की सैलरी में 333 फीसदी का इजाफा हो सकता है!
क्या है पूरा मामला?
कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना (Employees Pension Scheme), 2014 को केंद्र सरकार द्वारा 1 सितंबर 2014 से एक अधिसूचना जारी कर लागू किया गया था। इसका निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने विरोध किया था और वर्ष 2018 में केरल उच्च न्यायालय में इस पर सुनवाई हुई थी। ये सभी कर्मचारी ईपीएफ (EPF) और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की सुविधाओं से आच्छादित थे। कर्मचारियों ने ईपीएफओ (EPFO) के नियमों का विरोध करते हुए कहा कि यह उन्हें कम पेंशन सुनिश्चित करता है।
क्योंकि वेतन भले ही 15 हजार से ज्यादा हो, लेकिन पेंशन की गणना अधिकतम वेतन 15 हजार रुपये पर तय की गई है. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा 1 सितंबर 2014 को किए गए संशोधन से पहले यह राशि 6,500 रुपये थी। ईपीएफओ (EPFO) के नियमों को अनुचित मानते हुए केरल हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की रिट को स्वीकार करते हुए फैसला दिया था। इस पर ईपीएफओ (EPFO) ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
पुन: सुनवाई
जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के अपने फैसले पर पुनर्विचार किया और मामले की सुनवाई करने का फैसला किया। श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ (EPFO) की ओर से केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। ईपीएफओ (EPFO) का मानना है कि इस आदेश से पेंशन 50 गुना (ईपीएस ऊपरी सीमा) तक बढ़ सकती है। 25 अगस्त को न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मामले को तीन सदस्यीय बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया मामला अभी भी लंबित है।
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