रायपुर. कोयले की बढ़ती खफत और पर्यावरण संतुलन के बीच आज दुनिया भर में सौर ऊर्जा की जरूरत आन पड़ी है. वैसे भी जहां विद्युत तारों की पहुंच सुलभ नही वहां सौर ऊर्जा की आवश्यकता सबसे अधिक हो जाती है. विशेषकर खेती की लिहाज सौर ऊर्जा की मांग समय के साथ बढ़ती ही जा रही है. लिहाजा देश भर में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, किसानों को लाभ पहुंचाने, सिंचाई सहित पेयजल की उपलब्धता को पूर्ण कराने पर जोर दिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ जैसा छोटा और नवीन राज्य इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है.
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ एक कामयाब राज्य है. खेतों तक सोलर पंप पहुंचाने के मामले छत्तीसगढ़ एक अव्वल स्टेट है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर बहुत ही गंभीरता और प्राथमिकता के साथ काम किया है. सोलर पंपों का लाभ किसानों को अधिक से हो इसके लिए सरकार ने जमीनी स्तर पर जाकर बेहतरीन काम किया है. छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा की कामयाबी की कहानी और दूर होते किसानों की परेशानी को देखा जा सकता है. किसानों की मांग और जरूरत को देखते हुए क्रेडा की ओर से सतत काम जारी है. क्रेडा ने लक्ष्य रखा है कि कोई भी गांव सोलर पंप की स्थापना से वंचित नहीं रहेगा. सोलर पंप से जहां बिजली की बचत है वहीं आय में वृद्धि भी है.
दरअसल, राज्य शासन का सौर सुजला योजना के तहत किसानों के खेतों तक सोलर पंप पहुंचाना है. सिंचाई के लिए किसानों को बिजली की तारों की जरूरत न पड़े और न उसे किसी तरह का बिल चुकाना पड़े है. आज इससे प्रदेश में कृषकों की सिंचाई सुविधा बढ़ गई है. सोलर पंप के उपयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन भी बढ़ा है. वहीं इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिल रही है.
इस योजना से किसानों को विद्युत हेतु किसी भी प्रकार का बिजली बिल नहीं देना पड़ रहा है जिससे किसानों को अनावश्यक खर्चों से मुक्ति मिली है. सोलर पंप स्थापना से शासन के करोड़ों रूपए की बिजली की बचत हो रही है व जमीन के दोहन, कोयला की बचत एवं कोयले के जलने से उत्सर्जित होने वाले कॉर्बन डाईऑक्साइड और धुंए से मुक्ति मिल रही है.
छत्तीसगढ़ की कामयाबी
सोलर पंपों की स्थापना पर सरकार ने खासा जोर दिया है. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऊर्जा स्त्रोत की पूर्ति हेतु सौर ऊर्जा को प्राथमिकता में रखा और उस पर ऊर्जा विभाग ने काम भी किया. क्रेडा ने तीन वर्षों में लक्ष्य से अधिक पंपों की स्थापना कर छत्तीसगढ़ को देश में अव्वल राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.
विभागीय जानकारी के मुताबिक तीन वर्षों में सौर सुजला योजना के तहत 61 हजार 112 सोलर पंप देने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरूद्ध लक्ष्य से अधिक 61 हजार 334 सोलर पंप स्वीकृत किए गए है. जिसमें 4 हजार 188 सोलर पंप गौठान, चारागाह एवं गौशाला में स्थापित किये जा चुके हैं. किसानों की मांग एवं आवश्यकता अनुसार निर्धारित लक्ष्यों के विरूद्ध अधिक सोलर पंप स्थापित किए गए हैं. स्वीकृत आवेदनों के उपरांत शेष आवेदनों को आगामी वर्ष में शामिल कर प्राथमिकता के आधार पर सोलर पंप स्वीकृत किया जाएगा.
किसानों की कहानी
भोमिन के बदले दिन
अपने खेत में सोलर पंप के साथ खड़ी जिसकी तस्वीर आप देख रहे हैं ये हैं भोमिन कंवर. भोमिन कंवर खैरागढ़ छुरिया ब्लॉक में ग्राम पिनकापार की रहने वाली है. भोमिन ने सौर सुजला योजना से लाभ लेते हुए अपने खेत में 5 एचपी क्षमता के सोलर पंप स्थापित किया है. भोमिन के पास करीब 10 एकड़ जमीन है. सोलर पंप से वह सिंचाई की पूर्ति करती है. सोलर पंप की स्थापना से पूर्व भोमिन अपने खेतों में सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहती थी. ऐसे में समय पर पानी नहीं गिरने या कम बारिश होने से फसल बर्बाद होने का खतरा रहता था. वह नुकसान उठाने के मजबूर रहती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है.
सोलर पंप से सिंचाई की उपलब्धता हो जाने के बाद अब भोमिन की कमाई भी बढ़ी और चिंता भी दूर हो गई है. सोलर पंप लगने के पहले कुल जमीन से लगभग आय 1 लाख 50 हजार रूपए होती थी. सोलर पंप लगने से उसी खेत में अब सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनें से 5-6 लाख रूपये के धान का उत्पादन हो रहा है. धान की फसल कटने के बाद गेंहू, चना, सब्जी जैसे भाटा, गोभी, बरबट्टी, टमाटर का उत्पादन करते हैं, जिसमें लगभग 40 से 50 हजार रूपये की अतिरिक्त आय होती है.
भोमिन की तरह ही पिनकापार के ही इंदबती यादव, गीतालाल यादव, चैनूराम कंवर, सुकालू राम कंवर द्वारा बताया गया कि, सिंचाई की व्यवस्था के अभाव के कारण खेत बंजर जैसे रहता था. सोलर पंप लगने के बाद अब प्रति एकड़ आय 30 से 40 हो रही है. अब सारा गांव खुश है क्यों कि गांव में लगभग 55 नग पंप लगे हैं एवं एक दूसरे से सिंचाई के लिए पानी ले कर कृषि कार्य कर रहे हैं.
नेमसिंह के साथ ग्रामीणों को मिला लाभ
वहीं ग्राम करमरी नेमसिंह साहू भी उन हजारों किसानों में से एक हैं जिन्होंने अपने खेत में सोलर पंप की सुविधा प्राप्त कर ली है. नेमसिंह का कहना है कि वह सिंचाई को लेकर पहले काफी चिंतित रहता था. क्योंकि सिंचाई के पास कोई विशेष सुविधा उनके गांव में नहीं थी. किसानों की निर्भरता बरसात पर ही रहती थी. लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं है. गांव में कुल 10 कृषकों के यहां सोलर पंप लगा है.
नेमसिंह यह भी कहता है कि 4 एकड़ जमीन में अब पानी की पूर्ति होने के बाद लगभग 10-11 एकड़ दूसरे कृषकों के जमीन में पानी सिंचाई कर सालाना 50-60 हजार रूपये का आय कर लेते जो खेत से उत्पादन होने वाले धान, चना, गेंहू, सब्जी के अतिरिक्त है.
रामप्रसाद का बढ़ा विश्वास
इसी तरह की कहानी है सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में ग्राम खोंधला निवासी रामप्रसाद की. रामप्रसाद की सिंचाई संबंधी परेशानी सोलर पंप से दूर हो गई है. सोलर पंप से सिंचाई की समस्या तो दूर हुई ही, आय में वृद्धि भी हुई है.
रामप्रसाद के मुताबिक उसके पांच एकड़ की खेती है. सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण उनकी खेती बारिश पर ही निर्भर थी और केवल खरीफ सीजन में धान की खेती कर जीवन यापन चला रहे थे. विगत वर्ष उन्होंने मनरेगा के तहत अपने खेत में करीब 2 लाख 98 हजार की लागत से एक डबरी का निर्माण कराया. डबरी निर्माण के पश्चात राम प्रसाद ने क्रेडा विभाग से अपनी डबरी के पास सोलर पैनल भी लगवाया जिसकी सहायता से उसके खेतों में अब भरपूर सिंचाई होती है.
सोलर प्लांट लगाने का अनुमोदन
गौरतलब है कि बीते दिनों भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित केबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (पीएम कुसुम) योजना के कम्पोनेन्ट-सी अंतर्गत कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जीकृत किए जाने हेतु 810 मेगावॉट (डी.सी)/675 मेगावॉट (ए.सी.) क्षमता के सोलर पॉवर प्लांट लगाने के विभागीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया.
कृषि पम्पों का सोलराईजेशन किए जाने से कृषकों को कृषि पम्पों के संचालन हेतु वर्तमान में प्राप्त हो रही बिजली के अतिरिक्त सौर ऊर्जा भी प्राप्त होगी. अतः सौर ऊर्जा की उपलब्धता के समय कृषि पम्पों का संचालन सोलर ऊर्जा से होगा तथा सोलर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होने पर वर्तमान में मिल रही बिजली मिलती रहेगी, जिससे कृषि पम्प का संचालन होगा.
वर्तमान में प्रदेश में 577 कृषि फीडर हैं, जिस पर 1,75,028 कृषि पम्प स्थापित हैं. योजनांतर्गत उक्त 577 फीडरों को सोलराईज किए जाने हेतु 810 मेगावॉट डी. सी. (675 मेगावॉट एसी) क्षमता के सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना शासकीय भूमि एवं कृषि भूमि पर की जायेगी, जिसके लिए कृषकों की कृषि भूमि को कृषकों की सहमति से 25 वर्षों की लीज पर लिया जाएगा, इसके लिए कृषकों को प्रतिवर्ष 30,000 रूपये प्रति एकड़ के मान से भुगतान किया जावेगा, साथ ही उक्त लीज की राशि में प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जाएगी.