
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में देने की बात कही है.
जम्मू-कश्मीर पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा, पूरी दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान ने कैसे गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कई बार एटमी धमकियां दीं. मैं सवाल उठाना चाहता हूं कि क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं. मेरा मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लिया जाना चाहिए. राजनाथ सिंह के बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि भारत को रोकने के लिए पाकिस्तान में सैन्य क्षमताएं पर्याप्त हैं. भारत को एटमी धमकी देने की जरूरत नहीं है.
ऐसे में सवाल है कि अंतराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी क्या है, क्या एजेंसी के पास किसी देश के परमाणु हथियार की देखरेख करने का अधिकार है? अगर कोई देश एटमी धमकियां देता है तो उसके परमाणु हथियार छीने जा सकते हैं?
क्या है अंतराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी?
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) संयुक्त राष्ट्र का स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है. इस एजेंसी की स्थापना 1957 में की गई थी. ऑस्ट्रिया के विएना में इसका मुख्यालय है. वर्तमान में 170 से अधिक देश इसके सदस्य हैं. आसान भाषा में समझें तो IAEA का काम दुनियाभर में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देना है. यह एजेंसी तय करती है कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार के तौर पर सैन्य उद्देश्यों के लिए न हो. एजेंसी का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल एनर्जी, मेडिकल, एग्रीकल्चर और उद्येाग में किए जाने पर फोकस करना है. कोई भी देश परमाणु ऊर्जा का दुरुपयोग न करे, इसके लिए IAEA निगरानी करती है और निरीक्षण भी करती है.
परमाणु हथियारों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संधि क्या कहती है?
परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty- NPT) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है.इसका उद्देश्य परमाणु हथियार के प्रसार को रोकना है. परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देना. इस संधि पर साल 1968 में हस्ताक्षर किए गए थे. वर्तमान में 191 राष्ट्र-राज्य इसके सदस्य हैं. खास बात है कि भारत ने NPT पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
यह पहली ऐसी अंतरराष्ट्रीय संधि है जो परमाणु हथियारों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करती है. सदस्य देश कानूनी तौर पर इस बात के लिए बाध्य होते हैं कि वो न तो परमाणु हथियारों को विकसित करेंगे. न ही इस्तेमाल करें और न ही किसी को इस्तेमाल करने में मदद करेंगे.
क्या धमकी देने पर किसी देश के परमाणु हथियार जब्त हो सकते हैं?
इसका जवाब है नहीं. संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के पास भी यह अधिकार नहीं है कि वो किसी देश के परमाणु हथियार को जब्त कर सके. एजेंसी के पास केवल परमाणु हथियारों का निरीक्षण और उनकी रिपोर्ट तैयार करने का अधिकार होता है, वो भी उस स्थिति में जब देश उसकी अनुमति दे.
अगर आतंकवाद या दूसरे कारणों से किसी देश की परमाणु सुरक्षा के लिए किसी तरह का खतरा पैदा होता है तो भी अंतरराष्ट्रीय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि यह एजेंसी सीधे कोई कदम उठा सके. ऐसे मामलों में यह एजेंसी संयुक्त राष्ट्र को इसकी जानकारी दे सकती है और यूएन सिक्योरिटी काउंसिल तय करेगी कि क्या कदम उठाए जाने हैं.
अगर कोई देश परमाणु हथियार रखता है, तो उन्हें जबरन छीनना या ज़ब्त करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जाएगा और यह खुद युद्ध की वजह बन सकता है. फिलहाल, आज तक ऐसा मामना सामने नहीं आया है, जब एजेंसी ने किसी देश के परमाणु हथियार जब्त किए हों.
Prime Minister @narendramodi has redefined Indias policy against terrorism, any attack on Indian soil will be considered as an act of war: Raksha Mantri @rajnathsingh in Srinagar
Pakistans irresponsible nuclear threats could not deter Indias resolve to eliminate terrorism, pic.twitter.com/taMyrHJS7f
— PIB India (@PIB_India) May 15, 2025
किसी देश ने परमाणु हथियार की धमकी तो क्या होगा?
अगर कोई देश परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की धमकी देता है तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) उसकी निंदा कर सकती है. देश पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. राजनियक दबाव डाला जा सकता है, लेकिन हथियार को जब्त नहीं किया जा सकता है.
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