
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-38) पर टोल वसूली को तब तक रोकने का निर्देश दिया गया था, जब तक सड़क की मरम्मत और रखरखाव ठीक नहीं हो जाता. यह फैसला भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petitions) पर सुनवाई के बाद आया.
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने एनएचएआई की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया. एनएचएआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने कोर्ट से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया कि टोल वसूली पर रोक से राजमार्ग के रखरखाव और संचालन में बाधा आ रही है.
मद्रास हाईकोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक?
मद्रास हाईकोर्ट ने 3 जून को अपने फैसले में कहा था कि सड़क की खराब स्थिति के कारण टोल वसूली ‘अनुचित’ है. कोर्ट ने यह आदेश वी बालकृष्णन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था. बालकृष्णन ने दावा किया था कि हाईवे पर रखरखाव का अभाव है और अनुबंध के अनुसार सड़क के किनारे पौधरोपण भी नहीं किया गया. इसके बावजूद एनएचएआई टोल शुल्क वसूल रही थी. हाईकोर्ट ने साफ किया था कि जब तक सड़क को अच्छी स्थिति में नहीं लाया जाता, तब तक टोल वसूली नहीं की जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वी बालकृष्णन की ओर से सीनियर वकील पी विल्सन ने टोल वसूली को ‘दिनदहाड़े लूट’ करार दिया. उन्होंने कहा कि सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि उपयोगकर्ता टोल देने के बावजूद सुरक्षित यात्रा नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि जस्टिस मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का फैसला किया. कोर्ट ने बालकृष्णन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
एनएचएआई का पक्ष
एनएचएआई ने दलील दी कि हाईवे का रखरखाव ठीक करने के प्रयास किए जा रहे हैं और टोल वसूली रोकने से प्रोजेक्ट की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रतिदिन 25,000 से अधिक लोग इस सड़क का उपयोग करते हैं, जिससे इसकी उपयोगिता साबित होती है.
आम जनता पर क्या होगा असर?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एनएचएआई को मदुरै-तूतीकोरिन हाईवे पर टोल वसूली की अनुमति मिल गई है. हालांकि सड़क की खराब स्थिति को लेकर उपयोगकर्ताओं की शिकायतें बरकरार हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में अंतिम फैसला सड़क रखरखाव और टोल शुल्क के बीच संतुलन पर निर्भर करेगा.
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