जगदलपुर. जिला एवं सत्र न्यायालय के प्रधान सत्र न्यायाधीश गोविंद नारायण जांगड़े ने हत्या के एक मामले में आरोपी हरी बघेल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यह सजा मृतिका की छोटी बहन और आरोपी की पत्नी की प्रत्यक्षदर्शी गवाही के आधार पर दी गई, जिसमें उसने हत्या की घटना का विस्तृत विवरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया.
दअसल लोक अभियोजक ने बताया कि यह घटना दो वर्ष पूर्व कोड़ेनार थाना क्षेत्र के ग्राम छोटेकड़मा कोटवारपारा में हुई थी. आरोपी हरी बघेल, पिता दशरू बघेल, के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादवि) की धारा 450 (घर में अनधिकृत प्रवेश), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), और 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने जांच पूरी कर न्यायालय में मामला दाखिल किया था.
पत्नी ने दी गवाही
मामले की मुख्य गवाह और आरोपी की पत्नी, जो मृतिका रैमती बघेल की छोटी बहन है, ने न्यायालय में बताया कि दो वर्ष पहले रात करीब 8 बजे हरी बघेल ने धारदार टंगिया लेकर मृतिका के घर में अनधिकृत प्रवेश किया और उसने रैमती पर चिल्लाते हुए टंगिया से रैमती पर प्राणघातक हमला किया. प्रधान सत्र न्यायाधीश गोविंद नारायण जांगड़े ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों की समीक्षा के बाद हरी बघेल को दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
बारिश से टापू में तब्दील हुआ ओरछा ब्लॉक मुख्यालय, यात्रियों से भरी बस वापस लौटी
नारायणपुर. अबूझमाड़ अंचल में लगातार झमाझम बारिश के चलते जनजीवन एक बार फिर अस्त-व्यस्त हो गया है. नारायणपुर जिला मुख्यालय को ओरछा से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग पिनगुंडा पुल पर पानी का तेज बहाव होने के कारण पूरी तरह से बंद हो गया. इस वजह से ओरछा से नारायणपुर के लिए रवाना हुई एक यात्री बस को बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
पिनगुंडा पुल टेकानार क्षेत्र में स्थित है और हर साल बारिश में बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इस बार भी पानी का स्तर पुल के ऊपर तक पहुंचने से यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि बारिश शुरू होते ही यह इलाका टापू जैसा बन जाता है, जिससे स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों, इलाज के लिए जाने वाले मरीजों और अन्य आपात स्थिति में लोगों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
ग्रामीणों ने प्रशासन से इस मार्ग पर स्थायी समाधान की मांग की है. उनका कहना है कि हर साल इसी तरह की स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस हल नहीं निकाला गया है. यदि जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता.
कुर्मी समाज ने हाटगुड़ा में मनाई डॉ खूबचंद बघेल की जयंती
जगदलपुर. कुर्मी क्षत्रिय समाज द्वारा रविवार को हाटगुड़ा स्थित सामाजिक भवन में छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा प्रणेता डॉ. खूबचंद बघेल की जयंती मनाई गई. मौके पर डॉ. बघेल के आदर्शों पर चर्चा करते हुए समाज के संरक्षक जेपी कौशिक ने कहा कि डॉ. साहब ने कहा था कि जो व्यक्ति छत्तीसगढ़ का भला चाहता है. वह छत्तीसगढ़िया है. चाहे वह किसी भी जाति पंथ या राज्य का हो. सदियों से छत्तीसगढ़ ने लाखों लोगों को आश्रय दिया है. छत्तीसगढ़ सिर्फ एक भूखंड नहीं अपितु आत्मीय भावनाओं से परिपूर्ण मां की गोद है.
सामाजिक बैठक में सबसे पहले डॉ खूबचंद बघेल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. तत्पश्चात वक्ताओं ने डा. खूबचंद बघेल के सामाजिक सरोकारों पर अपनी बात रखी. जेपी कौशिक, रामेश्वर चंद्र ने बताया कि बघेल शासकीय सेवा छोड़ कर स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानी थे. वे अखिल भारतीय समाज के दो बार अध्यक्ष रहे. शोषण, , अपमान एवं अत्याचार से आहत होकर आवाज उठाई थी.
जिले में अब तक 10 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिली चरण पादुका
सुकमा. साय सरकार की ‘‘चरण पादुका योजना’’ छत्तीसगढ़ में वनोपज संग्राहकों के लिए आत्मसमान और सुरक्षा का प्रतीक बन चुकी है. प्रदेश भर में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनके कठिन परिश्रम के प्रति समान स्वरूप चरण पादुका प्रदान की जा रही है.
जिले में इस योजना के तहत 61,775 तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका वितरित करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें से अब तक लगभग 10 हजार संग्राहकों को चरण पादुका दी जा चुकी है. शेष वितरण वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से तेजी से किया जा रहा है. सरकार ने तेंदूपत्ता की खरीदी दर बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा तय की है, जिससे संग्राहकों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है. वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ’’गारंटी’’ के अनुरूप धरातल पर उतरती नजर आ रही है. तेंदूपत्ता संग्राहकों का प्रदेश की अर्थव्यवस्था, वनोपज आधारित रोजगार और पारंपरिक वन संस्कृति में विशेष योगदान है. चरण पादुका योजना उनके श्रम को समान देने की दिशा में एक सराहनीय पहल है, जो उन्हें आत्मसमान, सुरक्षा और सुविधा प्रदान कर रही है.
11 सूत्रीय मांगों को लेकर छग कर्मचारी फेडरेशन ने सौंपा ज्ञापन
केशकाल. छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने शासकीय सेवकों की 11 प्रमुख मांगों को लेकर मुयमंत्री विष्णु देव साय और मुय सचिव के नाम तहसीलदार केशकाल को ज्ञापन सौंपा. फेडरेशन ने मांग की है कि शासकीय कर्मचारियों को केंद्र के समान 2त्न महंगाई भत्ता, 2019 से लंबित डीए एरियर्स का जीपीएफ में समायोजन, और वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए. इसके अलावा पदोन्नत वेतनमान, तृतीय समयमान, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, 300 दिवस तक अवकाश नगदीकरण, और पूर्ण पेंशन पात्रता जैसी मांगे भी शामिल हैं.
फेडरेशन ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र निर्णय नहीं हुआ, तो 22 अगस्त को सामूहिक अवकाश लेकर जिला एवं तहसील मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा. ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक साझा मंच के केदार जैन, लोकेश गायकवाड़, गिरजा शंकर साहू, अमित मंडावी समेत विभिन्न विभागों के कर्मचारी उपस्थित रहे.
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