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मायावती के सम्मान में अखिलेश यादव मैदान में…सपा-बसपा में कहीं सियासी खिचड़ी तो नहीं पक रही! – Hindi News | Akhilesh Yadav demands defamation case against BJP MLA for remarks on bsp chief Mayawati up dalit politics

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Aug 24, 2024    150837 views     Online Now 348
मायावती के सम्मान में अखिलेश यादव मैदान में...सपा-बसपा में कहीं सियासी खिचड़ी तो नहीं पक रही!

मायावती, अखिलेश यादव

मायावती अब अखिलेश यादव को थैंक्यू कह रही हैं. समाजवादी पार्टी ने बीएसपी अध्यक्ष के अपमान को दलितों के मान सम्मान से जोड़ दिया है. मामला दलित वोट का है. मायावती ने भी अखिलेश यादव का आभार जताया है. तो क्या दोनों नेता फिर साथ आने वाले हैं? समाजवादी पार्टी और बीएसपी में कोई सियासी खिचड़ी तो नहीं पक रही है? दोनों के निशाने पर बीजेपी है.

मायावती के सम्मान में अब अखिलेश यादव मैदान में आ गए हैं. मामला मायावती के खिलाफ बीजेपी के एक विधायक के विवादित बयान का है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने उस विधायक पर कार्रवाई की मांग की है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें पार्टी से बाहर करने की डिमांड की है. अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी विधायक पर मानहानि का मुकदमा चले. मायावती से घंटों पहले तो अखिलेश यादव ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जबकि मायावती और अखिलेश यादव के संबंध तो जगजाहिर हैं. मायावती के बचाव में आकर अखिलेश यादव यूपी के दलित वोटरों को एक खास संदेश देना चाहते हैं. वो भी विशेष रूप से जाटव वोटरों को.

राजेश चौधरी मथुरा से बीजेपी के विधायक हैं. उन्होंने कहा कि मायावती यूपी के इतिहास की सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री है. चौधरी ने कहा मायावती को सीएम बनाना बीजेपी की बड़ी भूल थी. उन्होंने ये सब कल एक न्यूज चैनल के डिबेट शो में कहा. कल ही अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए इसे दलित समाज का अपमान बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी का चरित्र ही दलित विरोधी है. मायावती से पहले ही उनके बचाव में खड़े होकर अखिलेश यादव जाटव वोटरों को अपना बनाना चाहते हैं

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इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन किया. अखिलेश यादव को इस बार जाटव वोट भी मिले. इसे यूपी की राजनीति में चमत्कार ही समझिए. क्योंकि जाटव और यादव को एक दूसरे का विरोधी समझा जाता है. अब तक का इतिहास तो यही रहा है कि दोनों एक साथ नहीं वोट कर सकते.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन था. फिर भी यादव और जाटव समाज के वोटर साथ नहीं हुए. लेकिन इस बार संविेधान और आरक्षण बचाने के नाम पर चमत्कार हुआ. जाटव वोटरों के एक तबके ने अखिलेश यादव के लिए वोट किया. मायावती भी इसी बिरादरी से हैं. पासी, वाल्मीकि, खटीक और सोनकर जैसे ग़ैर जाटव दलित वोटर समाजवादी पार्टी का साथ देते रहे हैं.

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