
हादसे में नहीं जली गीता
Ahmedabad Plane Crash 2025: भगवद्गीता का श्लोक, “नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक” (नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः) का अर्थ है कि आत्मा को ना तो शस्त्र काट सकते हैं, न ही अग्नि जला सकती है. यह श्लोक आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने प्रमाण देता है, और मानो गीता में कही श्री कृष्ण की वाणी, साक्षात अपनी प्रमाणिकता सिद्ध कर रही हो. श्री कृष्ण के उपदेश एक बार फिर हारे हुए ना जाने कितने अर्जुनों को संबल दे रही हो और कह रही हो कि देह अशाश्वत है….शाश्वत है तो सिर्फ ये आत्मा. शरीर नश्वर है लेकिन आत्मा अजर अमर है.
चमत्कारी है भगवत गीता….आज फिर मान गए लोग
अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे के बाद सारी दुनिया सकते में है. कई देशों के लोगों ने अपनी जान गवां दी. 265 लोगों की जान चली गई. इस हादसे में 265 लोग चुटकियों में जल के खाक हो गए लेकिन नहीं जला तो वह था भागवत गीता का ज्ञान. भागवत गीता का वह सार जिसमें साफ-साफ वर्णित है कि आत्मा अजर अमर है. उसे कोई नहीं जला सकता, कोई नहीं काट सकता, कोई गीला नहीं कर सकता.
लॉजिक वाले नहीं ढ़ूंढ पा रहे लॉजिक
इस हादसे में गीता का सही सलामत बिना जले मिलना आज उन बुद्धिजीवियों को भी सकते में डाल रहा है, जो गीता के सार से अनभिज्ञ हैं, लेकिन हर चीज में लॉजिक ढूंढने वाले आज इस बात का लॉजिक नहीं ढूंढ़ पा रहे की 2000 डिग्री में आखिर यह भागवत गीता कैसे बच गई?
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥
भगवत गीता का यह श्लोक आज मानो अपनी प्रामाणिकता के साक्षात प्रमाण दे रहा है. आत्मा को कोई जला नहीं सकता. वस्तुओं का और इस देह का नाश अग्नि, जल, वायु, शस्त्र कोई भी कर सकता है, लेकिन इस आत्मा का नाश नहीं हो सकता. इस गीता का बच जाना, मानो आज उन परिवारों को संबल दे रहा हो जो शोक में डूबे हैं, क्योंकि हमेशा श्री कृष्ण कहते हैं पार्थ, क्यों शोक करता है, आत्मा नहीं मरती.
देह सिर्फ एक आवरण
भगवान के यह चमत्कार सोचने पर मजबूर कर देते हैं की क्या सच में यह देह सिर्फ एक आवरण है, जो कभी भी, कहीं भी, किसी भी वक्त नष्ट हो सकता है. क्या इंसान को इन सांसारिक चीजों का मोह नहीं करना चाहिए. यह गीता का वो ज्ञान है जिसका जवाब आज किसी के पास नहीं लेकिन अगर जवाब मिलेगा भी तो शायद इस गीता में जो सब कुछ खाक होने के बाद भी बच गई है.
ये चमत्कार नहीं तो क्या है?
इसी के साथ इस विमान हादसे में एक और चमत्कार भी हुआ है. सिर्फ एक यात्री रमेश विश्वास का जीवित बच जाना, यह साबित करता है की जिसको राखे साइयां मार सके ना कोई, यानी जिसकी मृत्यु जब लिखी है वह तब ही आएगी. रमेश विश्वास का कहना है कि हादसे में उन्हें लगा कि वह मर गए हैं, लेकिन जब उन्होंने आंखें खोली तो वह मलवे के बाहर थे. इन सब चमत्कारों से यही साबित होता है कि भगवान अपने होने का साक्षात प्रमाण दे रहे हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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