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‘शिवसेना के सहारे जो दिल्ली पहुंचे हैं उन्हें टांग से पकड़कर फेंकना होगा’… मार्मिक की वर्षगांठ पर उद्धव ठाकरे ने दिखाए तेवर | uddhav thackeray slams opposition on foundation day of marmik shivsena maharashtra

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Aug 13, 2024    150849 views     Online Now 426
'शिवसेना के सहारे जो दिल्ली पहुंचे हैं उन्हें टांग से पकड़कर फेंकना होगा'... मार्मिक की वर्षगांठ पर उद्धव ठाकरे ने दिखाए तेवर

शिवसेना पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे

स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने लगभग 64 साल पहले मार्मिक साप्ताहिक की स्थापना की थी, जिसकी वर्षगांठ के मौके पर उद्धव ठाकरे ने लोगों को इस साप्ताहिक के बारे में बताया और इसके साथ ही उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधा. उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारी ही मुंबई हमारे लिए पराई हो रही है, मुंबई और महाराष्ट्र का द्वेष करने वाले ये लोग हमारे कंधों पर चढ़कर दिल्ली में जा बैठे है और अब अगर वो हमे ही लात मारने की बात कर रहे हैं.

साल 1960 में स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने मार्मिक साप्ताहिक की स्थापना की थी, जिसकी 64 वीं वर्षगाठ का आयोजन दादर के छत्रपति शिवाजी महाराज मंदिर हॉल में किया गया. इस मौके पर शिवसेना पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सभी को संबोधित किया. उन्होंने मार्मिक के अब तक के सफर के बारे में लोगों से बात की, इसी दौरान उन्होंने विरोधियों पर भी तंज कसा है. ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने उन शरुआती दिनों में लेखनी को मशाल बनाया था, जिसकी वजह से हम आज मुंबई में हैं और अब हमारी ही मुंबई हमारे लिए पराई हो रही है.

विरोधियों को टांगों से पकड़कर दूर फेकना होगा

उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि मुंबई के पराए होने की वजह मुंबई का द्वेष करने वाले लोग हैं, जिन्होंने स्थिति का फायदा मुंबई का द्वेष करने वाले उठाकर हमारे कंधों पर चढ़कर दिल्ली में जा बैठे है और अब अगर वो हमे ही लात मारने की बात कर रहे हो तो फिर उन्हें टांगों से पकड़कर दूर फेकना ही होगा. उन्होंने आगे मार्मिक की शुरुआत की बात करते हुए कहा कि मैंने मशाल यूं ही नहीं ली है, अब हमारी लेखनी भी मशाल बन चुकी है तो फिर अब जबकि ऐसी परिस्थिति सामने आई तो हम इस मशाल की आग उनके पिछवाड़े में लगाएंगे या नहीं.

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साल 1960 में हुई थी मार्मिक की शुरुआत

मार्मिक की शुरुआत की बात करते हुए ठाकरे ने बोला कि मार्मिक की उम्र बताते समय मेरी उम्र बताने की कोई जरूरत नहीं है, मार्मिक और मेरा जन्म एक ही साल में हुआ था और आज मैं मार्मिक का संपादक हूं. बालासाहेब ठाकरे से लेकर उद्धव ठाकरे तक यह साप्ताहिक चलते आ रहा है, मार्मिक एक ऐसा साप्ताहिक रहा है जिसने महाराष्ट्र की स्वतंत्रता के समय में लोगों तक पहुंचने का काम किया है , कार्टून और शब्दों की धार आज भी कायम रखी है.

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