अब नीतीश कुमार के साथ खुलकर जुगलबंदी करना चाह रहे चिराग पासवान
सियासत में आपसी संबंध बिगड़ने और फिर संवर जाने के अनेक सियासी किस्से मशहूर हैं. बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को नंबर वन पार्टी से नंबर तीन का पार्टी बता देने वाले चिराग पासवान अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कदमताल करते नजर आ रहे हैं. चिराग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को समर्थन करने से लेकर 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के अगुवाई में लड़ने के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कभी बिहार में जेडीयू की ईंट से ईंट बजा देने का दम भरने वाले चिराग अब नीतीश कुमार को बिहार में क्यों ‘असली बॉस’ मानने लगे हैं?
मोदी सरकार की सहयोगी जेडीयू ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार को स्पेशल राज्य को दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया है. वित्त आयोग के तर्कों का हवाला देते हुए मोदी सरकार इस मांग को अभी तक ठुकराती रही है, लेकिन अब केंद्र सरकार जेडीयू और टीडीपी के समर्थन पर टिकी हुई है. ऐसे में जेडीयू ने स्पेशल स्टेटस का मुद्दा फिर से उठा दिया है, जिस पर भले ही बीजेपी और मोदी सरकार चुप हो, लेकिन चिराग पासवान पूरी तरह से सीएम नीतीश के साथ खड़े दिख रहे हैं. चिराग कहते हैं कि बिहार को स्पेशल राज्य की जरूरत जनता के हित में है. इस तरह चिराग मुद्दे आजकल नीतीश कुमार और जेडीयू के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आ रहे हैं.
पहले अदावत अब खुलकर साथ आ रहे
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, “नीतीश कुमार और उनकी पार्टी विशेष राज्य का प्रस्ताव पास कर कोई दबाव की सियासत नहीं कर रही है बल्कि वे मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का कोशिश कर रहे हैं, जिसमें बिहार की जनता का हित समाहित है. यह मांग तो हम लोगों की हमेशा से ही रही है. बिहार से जुड़ा हर दल अब जब केंद्र सरकार का हिस्सा बना है तो उसने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की गई है.”
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उन्होंने आगे कहा, “अब हम सब यह मांग अपने प्रधानमंत्री से नहीं करेंगे तो किससे करेंगे. इस तरह नीतीश कुमार के बिहार के विशेष राज्य की मांग पर चिराग पासवान खुलकर उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
‘बीजेपी की अगुवाई में लड़ा जाए चुनाव’
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने पिछले दिनों कहा था कि हम चाहते हैं कि बीजेपी के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ा जाना चाहिए. बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनेगी और घटक दलों को भी सियासी फायदा होगा.
अश्विनी चौबे के बयान पर जेडीयू ने पलटवार करते हुए कहा था कि नीतीश के अगुवाई में 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. इस मुद्दे पर चिराग पासवान भी जेडीयू के साथ खड़े हैं.
पासवान ने कहा कि एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार ही अगले विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व करेंगे. जिस तरह लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता एनडीए के पक्ष में खड़ी थी, ठीक उसी तरह आगामी विधानसभा चुनाव में भी जनता हमारा साथ देगी.
चिराग पासवान ने क्यों बदला अपने स्टैंड
चिराग पासवान इस बात को समझ गए हैं कि नीतीश कुमार के साथ सियासी अदावत रख कर बिहार में सियासत नहीं की जा सकती. नीतीश के साथ व्यक्तिगत नाराजगी की वजह से चिराग पासवान को 2020 में अकेले चुनाव लड़ना पड़ा था और यह सियासी तौर पर महंगा पड़ा था. जेडीयू के साथ दुश्मनी में चिराग ने नीतीश के तीर का निशाना डिगाने की कोशिश की, लेकिन उसमें अपना ‘बंगला’ भी खाली करना पड़ गया. बीजेपी भी चिराग से ज्यादा सियासी अहमियत नीतीश कुमार को देती रही है. सियासी ठोकर खाने के बाद चिराग इस बात को समझ गए हैं कि अब नीतीश कुमार के साथ तालमेल बैठाकर ही चलने में फिलहाल सियासी फायदा है. इसीलिए हर मुद्दे पर साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
सियासत में कोई हमेशा के लिए शत्रु नहीं होता और न ही दोस्त. ये वक्त के साथ दोस्त और दुश्मन बनते रहते हैं. पीएम मोदी की प्रशंसा के बीच चिराग पासवान अब नीतीश कुमार के साथ अपने संबंध को विकसित करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. इसीलिए नीतीश कुमार के हर मुद्दे पर चिराग पासवान साथ खड़े दिख रहे हैं, चाहे जेडीयू की बिहार को स्पेशल राज्य का दर्जा देने की मांग हो या फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में अगले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला.
तालमेल के साथ सियासी सफर
बिहार में सियासी तालमेल के साथ चिराग पासवान अपने सियासी सफर को अब आगे बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिल चुका है. राज्य में अपने कोटे की पांचों सीटें जीतने में चिराग सफल रहे हैं, जिसके चलते ही वह कैबिनेट मंत्री भी बने.
राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान एनडीए के साथ रहते हुए किस्मत आजमाना चाहते हैं. इस बात को बाखूबी तौर पर जानते हैं कि नीतीश को नाराज करके एनडीए में नहीं रहा जा सकता है. इसीलिए नीतीश के सुर में सुर मिलाकर चल रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ज्यादा दिन तक नाराज रहने वाले नेता नहीं हैं.
उपेंद्र कुशवाहा कई बार नाराज हुए फिर गले मिले. राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह नाराज हुए और पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस में चले गए और फिर साथ आ गए और उन्हें अध्यक्ष पद से लेकर केंद्र में मंत्री तक बनवाया. सियायत की जरूरत को देखते हुए नीतीश कुमार संबंधों में लचीलापन बनाए रखते हैं, जिसे चिराग भी समझ रहे हैं और सियासी बैलेंस बनाकर चलने की स्ट्रैटेजी अपनाई है.
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