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Lok Sabha Election Insights: चुनाव प्रचार पर खर्च हो रहे 1500 करोड़, डिजिटल का दिख रहा दम, झंडा टोपी का है डिब्बा गुल | Lok Sabha Election Political Parties Spending Crores On Digital Campaigning Risk For Traditional Delhi Sadar Bazar Markets

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Apr 17, 2024    150849 views     Online Now 331
Lok Sabha Election Insights: चुनाव प्रचार पर खर्च हो रहे 1500 करोड़, डिजिटल का दिख रहा दम, झंडा-टोपी का है डिब्बा गुल

चुनाव प्रचार में पैसा हो रहा बेशुमार खर्च (सांकेतिक फोटो : पीटीआई) Image Credit source: PTI

देश में लोकतंत्र का उत्सव यानी लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसी के साथ चुनाव प्रचार में लगने वाली सामग्री का बाजार सज चुका है. लेकिन इस बार डिजिटल प्रचार देश के उन मार्केट्स पर भारी पड़ रहा है, जो चुनाव के लिए झंडा, टोपी, बैज, बैनर और टीशर्ट इत्यादि बनाने और बेचने का ट्रेडिशनल काम करते आ रहे हैं. दिल्ली का सदर बाजार इन चीज के लिए सबसे बड़ा मार्केट है और यहां अभी तक मायूसी छाई हुई है.

दिल्ली के सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि पहले चरण का चुनाव नजदीक आ गया है, इसके बावजूद झंडा-स्कार्फ और टोपी से लेकर पार्टियों के नेताओं की छवि वाले रिस्टबैंड, मास्क और अन्य सामग्री की मांग मंदी है. हालांकि उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है और उनके मन में आने वाले दिनों में इनकी मांग बढ़ने की अलख अब भी बरकरार है.

भारी पड़ रहा डिजिटल प्रचार

पॉलिटिकल पार्टियां इस बार चुनावों में सबसे ज्यादा फोकस नए और फर्स्ट टाइम वोटर्स पर कर रहीं हैं. उन तक पहुंच बनाने के लिए पार्टियां सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्रचार माध्यमों का सहारा ले रही हैं. यही वजह है कि पार्टियों के चुनाव प्रचार बजट का मेजर हिस्सा डिजिटल कैंपेनिंग पर खर्च हो रहा है.

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कांग्रेस के सिंबल की ज्यादा डिमांड

मीडिया मार्केट पर नजर रखने वाली एक इकाई ग्रुप एम की बीते महीनों में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार पॉलिटिकल पार्टियां अपने चुनाव प्रचार पर करीब 1500 से 2000 करोड़ रुपए खर्च कर सकती हैं. इसका मेजर हिस्सा करीब 55 प्रतिशत डिजिटल मीडिया, टीवी, आउटडोर, रेडियो और प्रिंट पर खर्च होगा. जबकि बाकी बचा हिस्सा अन्य प्रचार माध्यमों पर.

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इस तरह देखा जाए, तो इस बार के चुनाव प्रचार में डिजिटल माध्यमों की पकड़ मजबूत रहेगी. जबकि डोर 2 डोर कैंपेनिंग में काम आने वाले झंडे-टोपी का कारोबार थोड़ा मंदा रहेगा.

धंधा बदलने को मजबूर व्यापारी

डिजिटल प्रचार पर जोर होने की वजह से पॉलिटिकल पार्टियों के नारे लिखी टी-शर्ट से लेकर झंडे, स्कार्फ और पार्टी के सिंबल्स इत्यादि चुनाव सामग्री की बिक्री गिरी है. सदर बाजार में काम करने वाले ज़ेन एंटरप्राइजेज के मोहम्मद फ़ाज़िल का कहना है कि वह 40 साल से चुनाव सामग्री का कारोबार कर रहे हैं. लेकिन इस बार बिक्री सबसे कम है. खरीद की कमी की वजह से उनके पास लगभग 50 लाख रुपए की चुनाव प्रचार सामग्री पड़ी हुई है.

मोहम्मद फ़ाज़िल का कहना है कि इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों की ओर से कोई मांग नहीं है. भाजपा एकमात्र पार्टी जिसकी ओर से कुछ मांग है. वह खुद ही अपने उम्मीदवारों को प्रचार सामग्री उपलब्ध करा रही है. उनका ये सातवां लोकसभा चुनाव है, लेकिन 62 वर्ष के मोहम्मद फ़ाज़िल अगले साल तक कोई नया कारोबार करने की योजना बना रहे हैं.

कुछ ऐसा ही हाल अनिल भाई राखीवाला नाम की दुकान के मालिक सौरभ गुप्ता का है. उनका कहना है कि हो सकता है इस बार बिक्री की धीमी गति के पीछे चुनाव की दो महीने लंबी अविध हो. अगर पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को है तो सातवें और अंतिम चरण का चुनाव एक जून को होगा. हालांकि उन्हें लगता है कि पहला चरण नजदीक आ रहा है, इसलिए मांग बढ़ सकती है.

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भाजपा को हर चीज पर चाहिए पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा

सबसे ज्यादा बिक रहा ये सामान

सौरभ गुप्ता ने बताया कि इस बार चुनाव सामग्री में सबसे ज्यादा मांग ‘अब की बार 400 पार’ के नारे वाली बीजेपी की शर्ट और टोपियों की है. कांग्रेस के झंडे दूसरे नंबर पर हैं और ‘आप’ के माल की डिमांड अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद लगभग खत्म हो चली है.

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ऐसी वस्तुओं की मांग अधिक है जिन पर प्रधानमंत्री का चेहरा हो. भाजपा वालों को हर चीज पर पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा चाहिए. वहीं कांग्रेस के लिए कुछ लोग राहुल गांधी की तस्वीर की मांग करते हैं और कुछ केवल पार्टी का चुनाव चिन्ह यानी ‘हाथ’ का निशान ले रहे हैं.

बैज और झंडों की कीमत 1.50 रुपए से 50 रुपये और यहां तक कि 100 रुपए तक भी जा रही है. ज्यादातर प्रचार सामग्री मुंबई के साथ-साथ गुजरात के सूरत और अहमदाबाद से आ रही है.

(इनपुट : एजेंसी)

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