• Fri. May 3rd, 2024

द्वितीया श्राद्ध से पायें संतान के कष्टों से निवृत्ति, जानिए क्या है पितृ श्राद्ध पक्ष पूजा विधि …

ByCreator

Sep 11, 2022    150815 views     Online Now 153

रायपुर. भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं. जिस तिथि को देहांत होता है, उसी तिथी को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है.

पितृ दोष के अनेक कारण होते हैं, जिसमें परिवार में किसी की अकाल मृत्यु होने से, मरने के बाद माता-पिता का उचित ढंग से क्रियाकर्म और श्राद्ध नहीं करने से, उनके निमित्त वार्षिक श्राद्ध आदि न करने से पितरों को दोष लगता है. इसके फलस्वरूप परिवार में अशांति, वंश-वृद्धि में रूकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन में बरकत न होना, सारी सुख सुविधाएँ होते भी मन असन्तुष्ट रहना आदि पितृ दोष हो सकते हैं.

यदि परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हुई हो तो पितृ दोष के निवारण के लिए शास्त्रीय विधि के अनुसार उसकी आत्म शांति के लिए किसी पवित्र तीर्थ स्थान पर श्राद्ध करवाएँ. प्रतिवर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण अवश्य करें. द्वितीया श्राद्ध में जिस भी व्यक्ति की मृत्यु द्वितीय तिथि (शुक्ल पक्ष कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है. इस दिन पूजन करने व पितरों का आशीर्वाद लेने से संतानप्राप्ति की कामना पूरी होती है. वहीं रेवती नक्षत्र आने से पितरों का आशीर्वाद व्यवसाय में शुभफलदायक है. इस दिन उनका श्राद्ध करने का विवरण पुराणों में मिलता है.

पितृ श्राद्ध पक्ष पूजा विधि

सामग्री – कुशा, कुशा का आसन, काली तिल, गंगा जल, जनैउ, ताम्बे का बर्तन, जौ, सुपारी, कच्चा दूध.

सबसे पहले स्वयं को पवित्र करते हैं जिसके लिए खुद पर गंगा जल छिड़कते हैं उसके उपरांत कुशा को अनामिका (रिंग फिंगर) में बाँधते हैं. जनेऊ धारण करे, ताम्बे के पात्र में फूल, कच्चा दूध, जल ले अपना आसान पूर्व पश्चिम में रखे व कुशा का मुख पूर्व दिशा में रखे हाथों में चावल एवं सुपारी लेकर भगवान का मनन करे उनका आव्हान करें. दक्षिण दिशा में मुख कर पितरो का आव्हान करें, इसके लिए हाथ में काली तिल रखे. अपने गोत्र का उच्चारण करें साथ ही जिसके लिए श्राद्ध विधि कर रहे हैं उनके गोत्र एवम नाम का उच्चारण करें और तीन बार तर्पण विधि पूरी करें अगर नाम ज्ञात न हो तो भगवान का नाम लेकर तर्पण विधि करें.

तर्पण के बाद धूप डालने के लिए कंडा ले, उसमें गुड़ एवम घी डाले. बनाये गए भोजन का एक भाग धूप में दे उसके आलावा एक भाग गाय, कुत्ते, कौए, पीपल एवं देवताओं के लिए निकाले. इस प्रकार भोजन की आहुति के साथ विधि पूरी की जाती है.

Related Post

आप भी आंखों में करते हैं मस्कारा का बहुत ज्यादा इस्तेमाल, तो पहले जान लें इससे आंखों को होने वाले नुकसान
अलीगढ़ में चुनाव खत्म होते ही एक्शन में BJP, जिला उपाध्यक्ष समेत चार नेताओं पर गिरी गाज | BJP expels four leaders from the party in Aligarh accused of working against the candidate
Lok Sabha Election 2024: कल MP आएंगे राजनाथ सिंह, प्रत्याशी के समर्थन में करेंगे जनसभा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

NEWS VIRAL