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विशेष : महिलाओं की सफलता की कहानी बयां कर रहे गौठान, सुराजी गांव योजना से मिले आजीविका के अतिरिक्त साधन

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Jun 11, 2023    150839 views     Online Now 322

रायपुर. छत्तीसगढ़ शासन के महत्वकांक्षी सुराजी गांव योजना कार्यक्रम के तहत तीन चरणों में गौठानों की स्थापना कर पशु संरक्षण केन्द्र, वर्मी कंपोस्ट और आजीविका गुड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसी कड़ी मे ग्राम कुर्रा मे स्थापित गौठान द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुनियोजित तरीके से आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

गौठान निर्माण के तहत ग्राम कुर्रा में तीन एकड़ जमीन में पशुओं के लिए गौठान, तीन एकड़ में चारागाह, पशुओं के लिये पेयजल, कोटना व्यवस्था, शेड की व्यवस्था की गई है. आस-पास में फेंसिंग भी की गई है. जिससे जानवर किसानों के खेत में न जा सकें. इसके अलावा वर्मी टांका का निर्माण किया गया. गांव के पशुपालकों से गोबर खरीदकर महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा वर्मी खाद का निर्माण शुरू किया गया है. जिसे बंगोली सोसायटी के माध्यम से बेचा किया जा रहा है.

10 एकड़ के क्षेत्रफल में तमाम रोजगारोन्मुखी गतिविधियां संचालित

कुर्रा गौठान कुल 10 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. जिसमें 3 एकड़ में पशुपालन, 4 एकड़ में दो बाड़ी और 3 एकड़ में चारागाह निर्मित है. वर्मी कंपोस्ट केंचुआ खाद का उत्पादन कर स्व-सहायता समूह की दीदियां अच्छी आय अर्जित कर रहीं हैं. जिसमें कुल 27 वर्मी कम्पोस्ट टांका, 5 नापेड टांका, 1 मुर्गी और बकरी शेड, 4 बोरबेल, 1 मछली तालाब, 2 सोलर पैनल भी लगाया गया है.

गौठानों में निर्मित गुलाल से मनी होली

गौठान में काम कर रही गोवर्धन स्व-सहायता समूह की महिलाएं इनसे अच्छी आय अर्जित कर रही है. समूह की अध्यक्ष देवकी नायक बताती हैं कि गौठान में सब्जियों से 50 हजार, मशरूम बेचकर 60 हजार, मुर्गी पालन से 30 हजार की आमदनी समूह को हुई है. गौठान की सचिव राधिका वर्मा ने बताया कि वर्मी उत्पादन से समूह को अब तक 9 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई हुई है. उन्होंने यह भी बताया की गौठान में सिंदूर का पेड़ भी लगाया गया है, जिसके बीजों से होली में गुलाल भी बनाए गए. इससे भी करीब 6 हजार रुयपे की आय हुई है.

शासकीय विभाग कृषि, पशु पालन, मत्स्य पालन, क्रीडा, जिला कौशल विकास प्राधिकरण मनरेगा और एन.आर.एल.एम. का गौठान को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गौठान में वर्मी विक्रय, सुपर कंपोस्ट खाद, मशरूम उत्पादन, मेंथा पौधा विक्रय, साबुन निर्माण, रागी उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, हल्दी उत्पादन, प्याज की खेती, जिमीकांदा उत्पादन, सब्जी उत्पादन, केचुआ उत्पादन, हर्बल गुलाल जैसी गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित है.

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