
राजदूत पर्वतनेनी हरीश. (फाइल फोटो)
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर लाए गए एक मसौदा प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान से परहेज किया और कहा कि सब कुछ सामान्य मान लेने वाले नजरिए से ऐसे परिणाम हासिल होने की संभावना नहीं है, जिनकी कल्पना वैश्विक समुदाय ने अफगान लोगों के लिए की है. अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी की तरफ से पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी. यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मतदान के स्पष्टीकरण में कहा कि संघर्ष के बाद की स्थिति से निपटने के लिए किसी भी प्रभावी नीति में विभिन्न उपायों का संतुलन होना चाहिए, जिसमें सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देना और नुकसानदायक कार्यों को हतोत्साहित करना शामिल है.
पेश नहीं की नई नीतिगत व्यवस्था
पी. हरीश ने कहा कि हमारा मानना है कि केवल दंडात्मक उपायों पर केंद्रित नजरिए के सफल होने की संभावना नहीं है. संयुक्त राष्ट्र और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अन्य संघर्ष के बाद संदर्भों में अधिक संतुलित और सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाया है. उन्होंने कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय संकट से निपटने के लिए कोई नई नीतिगत व्यवस्था पेश नहीं की गई है.
हरीश ने कहा कि नई और लक्षित पहलों के बिना सब कुछ सामान्य मान लेने वाले रवैया से वे परिणाम प्राप्त होने की संभावना नहीं है, जिनकी कल्पना अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान लोगों के लिए करता है.
मानवीय सहायता की सख्त जरूरत
पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि अफगानिस्तान में हम स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. अगस्त 2021 से, भारत ने लगभग 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 330 मीट्रिक टन से अधिक दवाएं और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक मैलाथियान और 58.6 मीट्रिक टन अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की हैं, जिससे मानवीय सहायता की सख्त जरूरत वाले लाखों अफगानों को मदद मिली है.
भारत ने भेजी मदद
संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ और अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) के साथ साझेदारी में, हमने अफगानिस्तान में नशीली दवाओं के पुनर्वास कार्यक्रमों, विशेष रूप से महिलाओं पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए 84 मीट्रिक टन सहायता और दवाएं और 32 मीट्रिक टन सामाजिक सहायता वस्तुएं प्रदान की हैं. भारत अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति और फेलोशिप देना भी जारी रखता है. 2023 से, हमने लगभग 600 अफगान छात्रों सहित 2,000 अफगान छात्रों को ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की है.
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