
मोसाद पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक को मारने का भी आरोप है.
इजराइल और ईरान के युद्ध ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. इजराइल ने सबसे पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद इसकी शुरुआत हुई. अब सामने आईं रिपोर्ट्स की मानें तो इजराइल ने सालों तैयारी करने के बाद यह हमला किया था. इसमें इजराइल की सेना की सबसे बड़ी मददगार बनी वहां की खुफिया एजेंसी मोसाद. आइए जान लेते हैं कि इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने अब तक ईरान में कौन-कौन से मिशन चलाए?
दुनियाभर की शीर्ष तीन खुफिया एजेंसियों में मोसाद का नाम लिया जाता है. 13 दिसंबर 1949 को अपने गठन के साथ ही तमाम नामुमकिशन मिशन को अंजाम देकर मोसाद ने नाम कमाया है. कहा जाता है कि मोसाद अपने देश के दुश्मनों को पाताल से भी खोज कर मारती है. मोसाद की पूर्व रिसर्च डायरेक्टर सिमा शाइ समेत अन्य इजराइली खुफिया व सैन्य अधिकारियों के हवाले से आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान पर इस हमले की रणनीति मोसाद तीन सालों से बना रही थी. पिछले साल 2024 के अक्तूबर में ईरान पर इजराइल ने स्ट्राइक की थी. तब ईरान के एयर डिफेंस में कमजोरी का पता चला. इसके बाद तो इजराइल ने मिशन को और तेजी से बढ़ा दिया.
मोसाद ने पहले ईरान में ड्रोन की घुसपैठ कराई. फिर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से टारगेट चुने और डेटा प्रोसेस के जरिए यह तय किया कि कौन-कौन टारगेट इजराइल के लिए खतरा हैं. ईरान के कई जनरलों और साइंटिस्ट की मौजूदगी का सटीक आकलन कर हमले किए गए, जिसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी और ईरानी मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख सहित आठ वरिष्ठ अफसर मारे गए.
ईरानी अफसर की पत्नी से नजदीकी बढ़ाकर सेंध लगाई
ईरान के बड़े-बड़े अफसरों के ठिकानों और सटीक मौजूदगी का पता इजराइल को यूं ही नहीं चल गया. उनके बीच मोसाद की एक महिला जासूस पिछले दो साल से मौजूद थी. फ्रांसीसी मूल की कैथरी पेरेजे शेकेड ने इस्लाम (शिया) कबूल कर लिया था. खुद को धार्मिक जिज्ञासु बता कर पहले ईरानी अफसरों की पत्नियों से दोस्ती बढ़ाई. फिर अफसरों के घरों में आने-जाने लगी और रिश्तों में सेंध लगा कर अफसरों के बेडरूम तक पहुंच गई. कैथरीन ने अफसरों के ठिकानों की सटीक जानकारियां मोसाद को भेजीं. इसीलिए जब इजराइल ने हमला किया तो हर निशाना सटीक था. इस हमले के बाद अफसरों के साथ की तस्वीरों में कैथरीन दिखी, जो अब गायब है.
2018 में कैमरे-अलार्म डिसेबल किया और चुराए परमाणु दस्तावेज
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इजरायल-ईरान में युद्ध की पटकथा जनवरी 2018 में ही लिख दी गई थी. जनवरी की एक रात मोसाद के एजेंटों ने तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित एक खुफिया गोदाम में घुसकर ईरान के परमाणु दस्तावेज चुराए थे. ये दस्तावेज एक बड़े कमरे में रखीं 32 बड़ी-बड़ी तिजोरियों में रखे गए थे, जिनकी ऊंचाई 2.7 मीटर थी. ये तिजोरियां वॉल्ट, दो लेयर के मोटे लोहे के दरवाजे, अलार्म सिस्टम और कैमरे से लैस थीं.
मोसाद के एजेंटों ने कैमरे और अलार्म निष्क्रिय कर तिजोरियों से तमाम फोल्डर, सीडी के ढेर, डीवीडी और कंप्यूटर डिस्क सब उड़ा लिए. रात में घुस कर सुबह पांच बजते-बजते मोसाद के सभी एजेंट गोदाम से निकल गए. मोसाद के एजेंट जो दस्तावेज चुराए थे, उनमें 114 फोल्डरों में 55 हजार से अधिक पन्ने थे. इनमें से 8,500 पन्ने तो हाथ से लिखे गए थे. इजराइल ने फारसी में लिखे गए इन दस्तावेजों का अनुवाद कराया तो पता चला कि ईरान सालों से गुप्त परमाणु परियोजना में लगा है. इसके जरिए वह 10 किलोटन क्षमता के पांच परमाणु बम बनाना चाहता था. इसके बाद इजराइल के प्रधानमंत्री ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया को इसकी जानकारी दी थी.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक को मारा
साल 2020 में मोसाद ने ईरान में एक और मिशन को अंजाम दिया था. उसने इरानी परमाणु प्रोग्राम के जनक साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह को बिना कोई एजेंट भेजे मार गिराया था. वैसे तो साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह सार्वजनिक रूप से दिखते नहीं थे. उनकी तस्वीर, साक्षात्कार तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था. खुफिया एजेंसियों का कहना था कि वह ईरान के प्रोजेक्ट अमद के अगुवा थे, जिसके तहत 2000 के दशक में ईरान में परमाणु हथियार बनाने की कोशिश की गई. उनको ईरान के रॉबर्ट ओपेनहाइमर तक की संज्ञा दी गई थी.
यह 27 नवंबर 2020 की बात है. मोहसिन फखरीजादेह अपनी पत्नी और गार्ड के साथ तेहरान में अपने घर की ओर जा रहे थे. तभी रास्ते में एक लावारिस ट्रक खड़ा दिखा. जैसे ही साइंटिस्ट का काफिला ट्रक के नजदीक पहुंच कर धीमा हुआ, ट्रक से मशीन गन गोलियां बरसाने लगी. ईरानी नेताओं के मुताबिक मोसाद ने ट्रक में 7.62 एमएम की मशीन गन लगाई थी. इसमें चेहरा पहचानने के लिए एआई और सैटेलाइट कनेक्शन था.

मोसाद पर ईरान के परमाणु कार्यकम के जनक साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह हत्या करने का आरोप लगा.
बिना किसी एजेंट की मौजूदगी के मशीनगन को सैटेलाइट से चलाया गया, जिससे निकली गोलियां ईरानी साइंटिस्ट को भेद गईं, जबकि उनकी पत्नी को किसी गोली ने छुआ तक नहीं. लेखक योनाह जेरेमी बॉब व इलान इवितार ने एक किताब लिखी है, टार्गेट तेहरान. इसमें साइंटिस्ट फखरीजादेह के बारे में सबकुछ लिखा है. इसी में बताया गया है कि मशीन गन से कुल 15 गोलियां चलाई गईं. इसके बाद ट्रक में विस्फोट कर सारे सबूत मिटा दिए गए.
इसमें भी मोसाद का हाथ होने की आशंका
मोसाद ने साल 2000 में खुफिया मिशन के तहत ईरानी परमाणु संयंत्रों में Stuxnet वायरस भेजकर नुकसान पहुंचाया था. इसके अलावा 2024 की जुलाई में तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हनिया को मार गिराया था. और पीछे जाएं तो साल 2007 में 15 जनवरी को इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के विशेषज्ञ ईरानी साइंटिस्ट अर्देशीर होसेनपोर रहस्यमय तालात में मारे गए थे. 12 जनवरी 2010 को क्वांटम फिजिक्स के प्रोफेसर मसूद अली मोहम्मदी को बाइक में लगे बम के धमाके में मार दिया गया था.
29 नवंबर 2010 को न्यूट्रॉन ट्रांसपोर्ट के एक्सपर्ट माजिद शहरयारी को कार में बम लगा कर उड़ा दिया गया था. यूरेनियम एनरिचमेंट तकनीक पर काम कर रहे मोस्तफा अहमदी रोशन को 11 जनवरी 2012 को बाइक में बम लगाकार विस्फोट में उड़ा दिया गया था.
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