
इजराइल के जाने माने योग गुरु ईयाल शिफ्रॉनी और ऑरित सेन गुप्ता ने भारत से आयंगर योग की शिक्षा ली.
पूरी दुनिया एक बार फिर से 21 जून को योग दिवस मनाने के लिए तैयार है. भारत से निकलकर पूरी दुनिया में प्रचलित हुआ योग अब पूरी दुनिया में दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. ईरान के साथ युद्ध के बीच इजराइल में भी योग की तैयारियां चल रही हैं. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी योग के मुरीद हैं.
साल 2017 में जब पहली बार बेंजामिन नेतन्याहू और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल में मिले थे, तो उसके पहले योग के जरिए ही दोनों देशों के संबंधों की व्याख्या की थी. पर नेतन्याहू के इजराइल में योग इससे काफी पहले पहुंच चुका था. आइए जान लेते हैं कि इजराइल में भारत से योग कैसे पहुंचा.
इजराइल से आकर सीखा योग और देश में किया विस्तार
यह साल 1960-70 के दशक की बात है. इस दौरान कई इजराइली योग से प्रभावित होकर भारत आए. यहां योग का प्रशिक्षण लिया और वापस अपने देश जाकर योग सिखाने लगे. इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं अयंगर योग के लिए प्रसिद्ध ईयाल शिफ्रॉनी और विजनान योग (Vijnana Yoga) को विकसित करने वालीं ऑरित सेन गुप्ता.

ईयाल शिफ्रॉनी ने पुणे के राममणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट से बीकेएस अयंगर योग सीखा.
पुणे आकर अयंगर योग में हुए निपुण
Eyal की वेबसाइट पर बताया गया है कि इजराइल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी करने के बाद वह कई सालों तक कॉलेजों में कंप्यूटर साइंस पढ़ाते रहे. वह बताते हैं कि योग से उनका परिचय बचपन से ही था पर साल 1978 में उन्होंने योग की पढ़ाई शुरू की और इसका अभ्यास कर रहे हैं.
1978 में उन्होंने शिवानंद योग सीखा और 1982 में आयंगर योग सीखने की शुरुआत की. साल 1988 में पुणे में स्थित राममणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट में सीधे बीकेएस अयंगर से योग सीखने पहुंचे. वह अब भी अयंगर योग का अभ्यास करने पुणे आते रहते हैं. अब वह इजराइल में Iyengar Yoga Center of Zichron-Yaakov चलाते हैं. योग की कार्यशालाएं इजराइल के साथ ही पूरी दुनिया में आयोजित करते हैं. अब तक योग पर वह आठ किताबें लिख चुके हैं.

ऑरित सेन गुप्ता ने पुणे और मैसूर में योग सीखा और अब इजराइल में उसका प्रसार कर रही हैं.
विजनान योग की स्थापना की
ऑरित सेन गुप्ता साल 1976 से ही योग का अभ्यास कर रही हैं. 1980 के दशक में वह बीकेएस अयंगर से योग सीखने पुणे पहुंचीं. मैसूर में भी योग का अभ्यास किया. इसके बाद Dona Holleman के साथ मिल कर 12 सालों तक योग का अध्ययन किया और सिखाया. इन दोनों ने मिल कर योग पर कई किताबें भी लिखीं. साल 1996 से वह एक प्रशिक्षित योग शिक्षक के रूप में इजराइल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग सिखा रही हैं. साल 2003 में अनुभवी योग शिक्षकों के साथ मिल कर उन्होंने विजनान योग की स्थापना की. आज इजराइल के साथ ही दुनिया भर में विजनान योग केंद्र हैं. येरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी से संस्कृत और दर्शनशास्त्र में स्नातक Orit ने पतंजलि के योगसूत्र का हिब्रू में अनुवाद भी किया है.
वैश्विक योग आंदोलनों का भी पड़ा प्रभाव
इजराइल तक योग पहुंचाने में अलग-अलग वैश्विक योग आंदोलन का भी बड़ा प्रभाव रहा. हिप्पी मूवमेंट और वेलनेस ट्रेंड के माध्यम से धीरे-धीरे योग इजराइल की संस्कृति का हिस्सा बना. फिर इसे सेना के साथ स्कूलों, स्पोर्ट्स व कॉर्पोरेट फिटनेस में भी अपनाया जाने लगा. यहां तक कि इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के कुछ हिस्सों में भी योग का प्रशिक्षण दिया जाता है. आज वहां पर हजारों योग स्टूडियो बन चुके हैं. राजधानी तेल अवीव और येरुशलेम जैसे शहर योग के बड़े केंद्र के रूप में जाने जाते हैं.
स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम तक पहुंचाया योग
भारत में प्राचीन योग के जनक महर्षि पतंजलि हैं. स्वामी विवेकानंद ने उन्हीं के योगसूत्र के आधुनिक रूपांतरण यानी राज योग को पश्चिमी देशों तक लोकप्रिय बनाया. स्वामी विवेकानंद उन आचार्यों में से थे, जिन्होंने योग सूत्रों का भाष्य और अनुवाद किया. योग की भव्यता का विश्लेषण अपनी राजयोग नाम की किताब में भी किया.
मध्यकालीन युग आया तो योगसूत्र का अनुवाद अरबी तक में किया गया था. हालांकि, आधुनिक काल में इसे स्वामी विवेकानंद ने ही पुनर्जीवित किया था. पश्चिम की योग परंपरा में आज भी स्वामी विवेकानंद के योग का ही असर दिखाई देता है. आधुनिक काल (1700 से 1900 ईस्वी) में महर्षि रमन, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद ने राज योग को विकसित किया.

तिरुमलाई कृष्णामाचार्य को आधुनिक योग का पिता कहा जाता है.
आधुनिक योग के जनक थे तिरुमलाई कृष्णाचार्य
आधुनिक योग की बात करें तो इसके जनक थे तिरुमलाई कृष्णामाचार्य. 18 नवंबर 1888 को मैसूर राज्य के चित्रदुर्ग जिले में जन्मे तिरुमलाई कृष्णामाचार्य ने छह वैदिक दर्शनों में डिग्री हासिल की थी. हिमालय की गुफा के निवासी योग आचार्य राममोहन ब्रह्मचारी से उन्होंने पतंजलि का योगसूत्र सीखा और फिर योग के प्रचार-प्रसार में जुट गए. योग मकरंद नाम की एक किताब भी उन्होंने लिखी थी, जिसमें ध्यान की पश्चिमी तकनीकें बताईं और योग के उपयोग को भी बढ़ावा दिया. वही थे जिन्होंने हठ योग से पहली बार परिचित कराया था. आधुनिक योग यही हठ योग ही है.
इन आधुनिक योगाचार्यों ने दिखाई राह
आधुनिक काल के योगाचार्यों में से एक स्वामी कुवलयानन्द ने साल 1920 में योग पर वैज्ञानिक रिसर्च शुरू की और 1924 में योग मीमांसा नामक पहला वैज्ञानिक जर्नल प्रकाशित किया. इसी साल कैवल्यधाम स्वास्थ्य एवं योग अनुसंधान केन्द्र भी स्थापित किया, जहां योग को लेकर उन्होंने रिसर्च की. मुंबई के पास लोनावला में उन्होंने पहले यौगिक अस्पताल की स्थापना की थी. अरविंदो घोष यानी श्री अरविंदो स्वाधीनता सेनानी के साथ ही दार्शनिक और योगी भी. महर्षि महेश योगी ने भावातीत ध्यान को पूरी दुनिया तक पहुंचाया. विदेश में वह सबसे पहले अमेरिका पहुंचे और फिर हॉलैंड को स्थायी निवास बनाया था.
बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगर (बीकेएस अयंगर ) को अयंगर योग की स्थापना के लिए जाना जाता है. आधुनिक ऋषि बीकेएस अयंगर ने साल 1975 में योग विद्या नामक संस्थान की स्थापना की. देश-दुनिया में इस संस्थान की 100 से अधिक शाखाएं खोलीं. यूरोप में भारतीय योग को फैलाने वालों में उनका नाम अग्रणी है. स्वामी सत्यानंद सरस्वती, श्री योगेंद्र, स्वामीराम, स्वामी शिवानंद, आचार्य रजनीश, पट्टाभिजोइस और स्वामी सत्येंद्र सरस्वती जैसी हस्तियों ने पूरी दुनिया में योग को फैलाया. इन सभी के शिष्यों ने यूरोप से होते हुए योग को इजराइल तक पहुंचाया.
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