पटना। बिहार के जल संसाधन विभाग ने मानसून 2025 से पहले राज्य के 3800 किलोमीटर लंबे तटबंधों की सुरक्षा के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। इस अभियान में इंजीनियरों को तटबंधों में चूहों और लोमड़ियों के बिल खोजने और उन्हें भरने की जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि ये बिल तटबंधों की मिट्टी को खोखला कर बाढ़ के दौरान टूटने का खतरा बढ़ा देते हैं।
जिले में यह पहल अहम
विशेष रूप से पूर्वी चंपारण जिले में यह पहल अहम है, जहां गंडक और बूढ़ी गंडक नदियों के तटबंध बाढ़ से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंताओं से लेकर मुख्य अभियंता तक इस अभियान में शामिल हैं।
तटबंधों को भारी नुकसान हुआ था
2017 की बाढ़ में चूहों के बिलों के कारण तटबंधों को भारी नुकसान हुआ था, जिससे पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में व्यापक तबाही हुई। उस वर्ष 19 जिलों में 514 लोगों की मौत और 1.71 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे।
जल संसाधन विभाग की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, 1987 से 2018 तक तटबंध टूटने की 408 घटनाओं में चूहों के बिल एक प्रमुख कारण रहे हैं। पूर्वी चंपारण के संग्रामपुर प्रखंड में 2020 में चंपारण तटबंध टूटने से करीब 50,000 लोग प्रभावित हुए थे।
मजबूत करने के निर्देश
इस बार विभाग कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है और इंजीनियरों को बिलों की पहचान कर उन्हें भरने तथा तटबंधों को मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं।
मानसून 2025 की तैयारी के तहत यह निरीक्षण 15 जून से शुरू होगा। गंडक नदी के तटबंधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि नेपाल से आने वाले जल प्रवाह से दबाव बढ़ता है। स्थानीय किसानों ने इस पहल का स्वागत किया है, लेकिन कईयों ने तटबंधों की ऊंचाई और गाद प्रबंधन पर भी ध्यान देने की जरूरत जताई है।
जल संसाधन विभाग ने आश्वासन दिया है कि यह अभियान बिहार को बाढ़ से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login