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आबादी नहीं बढ़ने से टेंशन में ये 5 देश, बच्चों के लिए तरस रहे

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Jun 7, 2025    15085 views     Online Now 471
आबादी नहीं बढ़ने से टेंशन में ये 5 देश, बच्चों के लिए तरस रहे

बच्चों के लिए परेशान हैं कई बड़े देश

दुनिया की कई बड़ी ताकतें अब जनसंख्या बढ़ने से नहीं, घटने से घबरा रही हैं. जहां कभी जनसंख्या विस्फोट एक संकट माना जाता था, वहीं अब कई देश कम जन्मदर (fertility rate) की वजह से बूढ़ी होती आबादी और श्रमशक्ति की कमी जैसे गंभीर संकटों से दो-चार हो रहे हैं.

हालात ऐसे हैं कि सरकारें नए-नवेले जोड़ों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन दे रही हैं, लेकिन असर नज़र नहीं आ रहा. आइए जानते हैं, ऐसे ही 5 देशों के बारे में जो जन्मदर गिरने से बेहद परेशान हैं.

1. तुर्किए: तीन बच्चे जरूरी हैं

तुर्किए की जन्मदर 2001 में 2.38 थी, जो 2025 में गिरकर 1.48 रह गई है. ये आंकड़ा फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका से भी नीचे है. राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने इसे युद्ध से बड़ा खतरा बताया है. उन्होंने 2025 को परिवार का साल घोषित किया है और 2026 से परिवार का दशक शुरू करने की घोषणा की है. नए जोड़ों को आर्थिक प्रोत्साहन देने जैसी कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन आर्थिक संकट के चलते लोग परिवार बढ़ाने से झिझक रहे हैं.

2. वियतनाम: दो बच्चों की नीति अब इतिहास

वियतनाम ने दशकों पुरानी दो बच्चों की नीति को खत्म कर दिया है. अब जितने बच्चे चाहें, उतने हो सकते हैं. 1999 से 2022 तक यहां की औसत जन्मदर 2.1 थी, लेकिन 2024 में ये गिरकर 1.91 हो गई. एशिया के बाकी देशों जैसे जापान, साउथ कोरिया, ताइवान और सिंगापुर में भी यही चलन है, लेकिन उनकी अर्थव्यवस्थाएं वियतनाम से कहीं मज़बूत हैं. वियतनाम बूढ़ा होने से पहले अमीर बनने की कोशिश में है.

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3. चीन: 1.4 अरब से घटकर 80 करोड़?

चीन की जनसंख्या लगातार तीन सालों से घट रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, यह सदी के अंत तक 1.4 अरब से घटकर 80 करोड़ तक पहुंच सकती है. इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है कम कामकाजी उम्र की आबादी और बढ़ती पेंशन, स्वास्थ्य और देखभाल की जरूरतें. एक समय की सख्त एक बच्चे की नीति और अब महंगी जिंदगी की वजह से युवा पीढ़ी बच्चे नहीं चाहती.

4. न्यूज़ीलैंड: ज़्यादा महिलाएं, कम बच्चे

न्यूजीलैंड में 2023 में जन्मदर रिकॉर्ड निचले स्तर 1.56 पर पहुंच गई. खास बात ये कि देश में 15 से 49 उम्र की महिलाओं की संख्या बढ़ी, लेकिन फिर भी बच्चों की संख्या घटी. 2022 में यह दर 1.66 थी, जो पहले ही जनसंख्या बनाए रखने की ज़रूरी दर 2.1 से काफी नीचे है. ये आंकड़े साफ बताते हैं कि बच्चे पैदा करना अब प्राथमिकता नहीं रह गया.

5. उत्तर कोरिया: आँकड़े नहीं, लेकिन चिंता जरूर

उत्तर कोरिया अपने जनसंख्या आंकड़े तो नहीं बताता, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक वहां की जन्मदर 1.78 है. ये दर साउथ कोरिया, जापान और चीन से ज़्यादा है, लेकिन फिर भी जरूरी 2.1 से नीचे है. अगर यही रुख रहा तो यहां भी आने वाले सालों में श्रमिकों की भारी कमी और सामाजिक ढांचा चरमराने का खतरा है.

ये पांच देश उन वैश्विक चुनौतियों का चेहरा हैं, जहां अब जनसंख्या की कमी चिंता का विषय बन चुकी है. काम करने वालों की कमी, पेंशन और स्वास्थ्य सेवाओं का बोझ, और भविष्य में आर्थिक मंदी जैसे खतरे सामने हैं. बच्चों के बिना देश की नई ऊर्जा थम रही है, और सरकारें अब इसी थमी धड़कन को दोबारा ज़िंदा करने में जुटी हैं.

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