
भारत-पाकिस्तान युद्ध. (सांकेतिक तस्वीर)
पहलगाम आतंकी हमला और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. दोनों देश युद्ध के कगार पर खड़े हैं. हालांकि अब तक सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो चुका है? या इसका कोई औपचारिक ऐलान होगा, अगर हां, तो वो कौन करता है?
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के अंदर घुसर भारत ने आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया है. जिसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट और उधमपुर समेत कई भारतीय सैन्य ठिकानों को ड्रोन और मिसाइलों से निशाना बनाया. हालांकि भारत ने पाकिस्तान के सभी हमलों को नाकाम कर दिया है. पाकिस्तान की तरफ से हमले की कोशिश के बाद कई इलाकों में ब्लैकआउट कर दिया गया.
समझने होंगे युद्ध के पड़ाव
ऐसा लग रहा होगा की ये जंग अचानक शुरू हो गई लेकिन इसके पीछे कई वजह होती हैं. भारत-पाकिस्तान की बात करें तो इस दौरान चल रहा तनाव अचानक नहीं हुआ. इसके पीछे लंबे अरसे से पाकिस्तान की आतंक परस्ती है जिसका दंश भारत कई बार झेल चुका है. इस बार भी तनाव पहलगाम आतंकी हमले के बाद ही बढ़ा है. जिसमें पाकिस्तान का हाथ है.
इस घटना के बाद ही भारत ने पहलगाम हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमला मानते हुए कूटनीतिक कदम के साथ-साथ इस्लामाबाद के साथ सिंधु जल समझौता जैसी कुछ महत्वपूर्ण संधियां तोड़ दीं. इसके बाद से दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कई पाबंदियां लगाईं.
आतंकियों के ठिकानों पर हमला
इसी बीच भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के 9 ठिकानों पर हमला कर दिया. इसको ऑपरेशन या लिमिटेड मिलिट्री एक्शन कहा जाता है. इसके बाद आता है फुल स्केल वॉर, यानी खुली जंग, जिसमें लड़ाई देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पूरे देश में कहीं भी हो सकती है. दुश्मन कहीं भी आकस्मिक हमले कर सकता है. जो अब भारत-पाकिस्तान के बीच देखा जा रहा है. इसके बाद आखिरी चरण में न्यूक्लियर वॉर आता है.
आम लोगों को कब होती है युद्ध की खबर?
संविधान की बात करें तो इसमें युद्ध की घोषणा का कोई सीधा प्रोसेस तो नहीं लिखा है, हालांकि इसमें नेशनल इमरजेंसी की बात जरूर दर्ज है. हालांकि अगर घोषणा की बात करें तो राष्ट्रपति के पास इसका अधिकार है. हालांकि इसमें भी ऐसा नहीं होता कि देश पूरी तरह से युद्ध में है. संविधान के आर्टिकल 352 में नेशनल इमरजेंसी के ऐलान का नियम है.
कौन-कौन करता है फैसला?
बता दें कि राष्ट्रपति ही तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होते हैं, यानी इसका अधिकार उनके पास है. हालांकि वो खुद फैसला नहीं ले सकते, उनको सरकार से सलाह लेनी होती है. अगर कभी युद्ध या शांति की कोई औपचारिक घोषणा करना होता है तो वो प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट की सलाह पर होती है. इसमें रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय भी शामिल हैं. वहीं जरूरत के लिहाज से सेना प्रमुखों, खुफिया एजेंसियों और डिप्लोमेट्स की राय भी ली जा सकती है.
राष्ट्रपति को भेजते हैं सिफारिश
जानकारी के मुताबिक अगर सरकार को लगता है कि हालात बहुत बिगड़ चुके हैं और औपचारिक तौर पर युद्ध की घोषणा होनी चाहिए, तो सब बैठकर तय करते और राष्ट्रपति को एक सिफारिश भेजते हैं. इसके बाद राष्ट्रपति आर्टिकल 352 के तहत नेशनल इमरजेंसी लगा सकते हैं. इमरजेंसी देश के चुनिंदा हिस्सों में भी लगाई जा सकती है. वहीं अगर संसद मंजूरी दे तो इमरजेंसी 6 महीनों तक भी लागू रह सकती है. जरूरत पड़ने पर उसको बढ़ाया भी जा सकता है. वहीं जब सरकार को लगे कि हालात काबू में हैं, तो राष्ट्रपति इसे किसी भी वक्त वापस ले सकते हैं.
भारत ने कभी नहीं की औपचारिक घोषणा
भारत पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध 1947 में कश्मीर को लेकर हुआ था, जब पाकिस्तान के कबीलाई लड़ाके और सैनिक जम्मू-कश्मीर में घुस आए थे. उस वक्त भारत ने कश्मीर की मदद की. लेकिन दोनों में से किसी देश ने लड़ाई की घोषणा नहीं की थी.
1962 में भारत-चीन लड़ाई को दौरान भी ऐसा ही हुआ था. चीन ने अचानक सैन्य कार्रवाई शुरू की और युद्ध शुरू हो गया. किसी ने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की थी. वहीं 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी यही हुआ. इस बार भी किसी तरफ से युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी.
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध बांग्लादेश को लेकर हुआ था. 13 दिन चले इस जंग में भारत जीता और बांग्लादेश एक आजाद देश बना. लेकिन इस दौरान भी किसी भी तरह का फॉर्मल ऐलान नहीं किया गया था. बता दें कि हमारे यहां युद्ध अक्सर किसी घटना की जवाबी कार्रवाई के तौर पर शुरू होता रहा. भारत कबी पहले से आक्रामक नहीं रहा है.
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