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शारीरिक नहीं, अब पर्सनालिटी कुपोषण की चिंता: आधे से ज्यादा युवा मानसिक-सामाजिक विकास में पिछड़े

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Jul 28, 2025    15086 views     Online Now 498
शारीरिक नहीं, अब पर्सनालिटी कुपोषण की चिंता: आधे से ज्यादा युवा मानसिक-सामाजिक विकास में पिछड़े

स्टडी आई सामने

भारत को एक युवा देश कहा जाता है. जहां लगभग 26 करोड़ लोग 18 से 29 साल की उम्र के है. भारत के इन युवाओं को देश की सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है. हालांकि, आज के समय में आप अपने आस-पास ऐसे कई युवा देखते होंगे जो करियर को लेकर या लव लाइफ और परिवार को लेकर परेशान रहते हैं. वो सोशल लाइफ से दूर रहते हैं. साथ ही आज के समय में कई युवाओं में एंग्जाइटी देखी जा रही हैं.

इसी बीच एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है जो बताती है कि 53% भारतीय युवा ‘PERSONALITY MALNOURISHED’ हैं. इसका मतलब है कि एक व्यक्ति के रूप में उनका पूरी तरह से विकास नहीं हो रहा है. उनकी पर्सनालिटी पूरी तरह से विकसित नहीं हो रही है. उनमें महत्वपूर्ण लाइफ स्कील, इमोशनल तौर पर मजबूती और सोशल वेल्यू पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रही है.

सामने आई चौंकाने वाली स्टडी

यह स्टडी NIRMAN के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमृत बंग ने की है, जिन्होंने निर्माण एक गैर-सरकारी संगठन सर्च (सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन, रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ) के तहत शुरू की गई एक युवा शैक्षिक पहल है.

बैंग का मुख्य रिसर्च पेपर 2021 और 2024 के बीच 4,283 युवाओं पर की गई रिसर्च पर आधारित है. इस कॉन्फ्रेंस में इमरजिंग एडल्टहुड (18 से 29 वर्ष) की लाइफ फेज पर ध्यान किया गया था. 18 से 29 साल यह वो उम्र होती है जब युवा अपनी पहचान तलाशते हैं. अपने करियर पर फोकस करते हैं. यह वो उम्र होती है जब मेंटल और इमोशनल तौर पर युवा कई तरह की चीजों से गुजरते हैं.

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53% पर्सनालिटी कुपोषित

बैंग ने कहा, हमारी स्टडी में साफ सामने आया है कि आधे से ज्यादा भारतीय पर्सनालिटी मालनरिश्ड हैं. उनकी पर्सनालिटी का पूरी तरह से विकास नहीं हुआ है. उन्होंने आगे कहा, जहां 35% भारतीय शारीरिक रूप से कुपोषित हैं. वहीं, 53 प्रतिशत पर्सनालिटी के रूप से कुपोषित हैं. यह बेहद चिंता की बात है.

इस रिसर्च को करने के लिए युवाओं के सामने 50 सवाल रखे गए थे. पेपर के हिसाब से अगर किसी युवा ने किसी एक क्षेत्र में दो-तिहाई (2/3) प्रश्नों में कम नंबर हासिल किए तो उसे इस एरिया में व्यक्तित्व कुपोषित माना गया. स्टडी में पाया गया कि 53% युवा 4 या उससे अधिक क्षेत्रों में व्यक्तित्व कुपोषित थे. सिर्फ 9% ने जीवन के सभी 7 अहम क्षेत्रों में अच्छी ग्रोथ दिखाई.

किन 7 क्षेत्रों पर हुई रिसर्च

बैंग ने कहा कि जब एक बच्चे की उम्र बढ़ती है तो हम यह देखते हैं कि शारीरिक रूप से उसकी ग्रोथ हो रही है या नहीं. इसी तरह हमें एक ऐसा टूल भी चाहिए जो बताए कि एक युवा समाज में सही तरीके से ग्रो कर रहा है या नहीं. इसी के चलते हम ने इस तरीके को क्रिएट किया है.

कैसे व्यक्तित्व कुपोषित को मापा जा सकता है. निर्माण ने 7 महत्वपूर्ण लाइफ के एरिया में युवाओं के विकास की जांच करने के लिए आसान तरीका शुरू किया है. इसके तहत चलिए जानते हैं कि किन 7 क्षेत्रों में ग्रोथ के लिए स्टडी की गई.

  1. शारीरिक स्वास्थ्य
  2. मानसिक स्वास्थ्य
  3. चरित्र और मूल्य (CHARACTER AND VALUES)
  4. रिश्ते
  5. प्रोफेशनल ग्रोथ
  6. लाइफ स्कील
  7. सामाजिक योगदान
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अमृत बंग ने दो और स्टडी भी की है.
– भारतीय युवाओं की भावनात्मक दुनिया: भारतीय युवा जो भावना सबसे ज्यादा महसूस करते हैं उस पर एक स्टडी
– भारतीय युवा जो प्रश्न पूछ रहे हैं- युवाओं के 6,100 वास्तविक प्रश्नों पर आधारित. सबसे अधिक पूछा जाने वाला प्रश्न: ‘मैं कौन हूं, और मेरे जीवन का मकसद क्या है?’

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