
आमलकी एकादशी
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी महाशिवरात्रि और होली के बीच में पड़ती है. इस साल आमलकी एकादशी 10 मार्च को पड़ रही है. आमलकी एकादशी यानी आंवला एकादशी. आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है. ऐसी मान्यता है कि आमलकी एकादशी के व्रत को करने से स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी का व्रत रखने से स्वर्ग की कामना करने वाले लोगों को इंद्र की नगरी में स्थान मिलता है. वहीं, बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता है. आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते है कि आंवला एकादशी को रंगभरी एकादशी क्यों कहते हैं और इस साल आमलकी एकादशी किस दिन पड़ रही है.
आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी क्यों कहते हैं?
आमलकी एकादशी के दिन से ही रंग खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता है. काशी में आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जानते हैं और इसे धूमधाम से मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह करने के बाद पहली बार काशी आए थे.
इसलिए रंगभरी एकादशी के दिन भक्त शिवजी पर रंग, अबीर और गुलाल उड़ाकर खुशी मनाते हैं. रंगभरी एकादशी के दिन से काशी में 6 दिनों तक रंग खेलने की परंपरा शुरू हो जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव जी पर गुलाल चढ़ाने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. रंगभरी एकादशी का पर्व शिव और पार्वती के काशी आगमन का प्रतीक होता है, जिसे काशी की संस्कृति का हिस्सा माना जाता है.
आमलकी एकादशी 2025 कब है?
इस साल 2025 में आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 मार्च को सुबह 7 बजकर 45 मिनट से होगी. वहीं, इस एकादशी का समापन 10 मार्च को सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को ही रखा जाएगा.
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