
निवेशकों के साफ हुए पैसे
शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हाल ही में अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट के भारतीय बाजार में ट्रेडिंग करने से रोक दिया. कंपनी पर आरोप है कि उसने अपनी सहायक कंपनियों के जरिए फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेड करके 36,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया. कॉल और पुट की आड़ में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की. आइए इसी घटनाक्रम से हम समझते हैं कि शेयर बाजार में आखिर कॉल और पुट क्या है. इसका यूज क्यों और कैसे किया जाता है.
शेयर बाजार में कॉल और पुट ऑप्शन दो तरह के डेरिवेटिव्स हैं, जो निवेशकों को एक निश्चित समय तक किसी स्टॉक को एक फिक्स्ड कीमत पर खरीदने या बेचने का हक देते हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं कि आपको ऐसा करना ही पड़े. इसके जरिए निवेशक ट्रेडिंग कैसे करते हैं. मुनाफा कैसे कमाते हैं. आइए समझते हैं.
कॉल ऑप्शन
ये तब यूज होता है जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ने वाली है. मान लो, आपने एक कॉल ऑप्शन लिया, जिसकी स्ट्राइक प्राइस (फिक्स्ड कीमत) 100 रुपये है. अगर स्टॉक की कीमत 120 रुपये हो जाती है, तो आप 100 रुपये में खरीदकर 120 रुपये में बेच सकते हो. यानी प्रति शेयर 20 रुपये का मुनाफा हुआ. मतलब जब आपको लगे शेयर बाजार भागने वाला है. तब कॉल ऑप्शन काम आता है.
पुट ऑप्शन
ये तब काम आता है जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत गिरने वाली है. मान लीजिए, आपने पुट ऑप्शन लिया, जिसकी स्ट्राइक प्राइस 100 रुपये है. अगर स्टॉक की कीमत 80 रुपये हो जाती है, तो आप 100 रुपये में बेचकर 80 रुपये में खरीद सकते हो. यानी फिर से प्रति शेयर 20 रुपये का फायदा होगा. इसका इस्तेमाल मार्केट के निगेटिव ट्रेंड में करके मुनाफा कमाया जाता है.
कब होता है यूज
कॉल और पुट ऑप्शन मार्केट में हो रहे घाटे को मैनेज करने के लिए इस्तेमाल किया है. अगर निवेशक को लगता है कि स्टॉक की कीमत गिर सकती है, तो पुट ऑप्शन लेकर नुकसान कम कर सकता है. वहीं, इसका उलटा अगर उसे लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी, तो कॉल ऑप्शन लेकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है. इनका इस्तेमाल रिस्क को कंट्रोल करने या एक्स्ट्रा कमाई के लिए भी होता है.
जेन स्ट्रीट ने ऐसे किया घोटाला
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने कथित तौर पर सुबह के समय बैंक निफ्टी स्टॉक्स और फ्यूचर्स में भारी खरीदारी की, जिससे इंडेक्स में तेजी आई. बाद में, दिन के अंत तक उन्होंने इन होल्डिंग्स को आक्रामक तरीके से बेच दिया, जिससे इंडेक्स नीचे आ गया. सेबी के अनुसार, इस रणनीति ने बाजार में गलत ताकत का भ्रम पैदा किया, जिससे विशेष रूप से छोटे निवेशकों को यह विश्वास हो गया कि इंडेक्स वास्तव में बढ़ रहा है. इसके अलावा, जेन स्ट्रीट ने एक्सपायरी डे के आखिरी घंटों में बड़े और टारगेट सौदे किए ताकि इंडेक्स के क्लोजिंग लेवल को प्रभावित कर सकें, जिसका असर ऑप्शन की कीमतों पर पड़ा. इस तरह, जेन स्ट्रीट ने ऑप्शंस मार्केट में बड़ा मुनाफा कमाया, जबकि कैश और फ्यूचर्स ट्रेड में हुए छोटे नुकसान को ऑप्शंस से मिले मुनाफे ने आसानी से कवर कर लिया.
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