
भारत के डीजीएमओ राजीव घई और पाकिस्तानी डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला चौधरी.
पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव इतना बढ़ गया कि युद्ध जैसे हालात हो गए. दोनों देशों की ओर से सैन्य एक्शन हुआ. ऐसे में तनाव कम करने के लिए एक खास फोन यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) हॉटलाइन का इस्तेमाल किया गया. 10 मई को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई. अब यह हॉटलाइन चलती कैसे है, इस पर बात कैसे होती है और रेजोल्यूशन कैसे किया जाता है?
इस पूरे मामले पर भारत के पूर्व डीजीएमओ जनरल विनोद भाटिया ने टीवी9 से खास बातचीत में इन सवालों का एक-एक कर विस्तार से जवाब दिया. विनोद भाटिया ने बताया कि डीजीएमओ हॉटलाइन एक ऑफिशियल चैनल है. इसके जरिए भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ आपस में बात करते हैं और तनाव कम करने की कोशिश करते हैं.
क्या है हॉटलाइन?
पूर्व डीजीएमओ ने बताया कि ये फोन लाइन जिसे हॉटलाइन भी कहा जाता है, जब इस पर घंटी बजती है, तो इसका मतलब होता है कि पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर (मुख्यालय) से फोन आ रहा है. सीजफायर से पहले 10 मई को भी यही हुआ था. इसी फोन से भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच तनाव कम करने पर चर्चा हुई थी. उन्होंने बताया कि हॉटलाइन सिर्फ वन टू वन ही इस्तेमाल होती है. हमने ये देखा है कि डीजीएमओ लेवल बातचीत से काफी मसले हल हुए हैं.
साउथ ब्लॉक में हॉटलाइन
उन्होंने कहा कि कारगिल के टाइम में भी हमेशा हॉटलाइन का इस्तेमाल किया गया. उसके बाद भी हॉटलाइन का इस्तेमाल होता रहा है. उधर से छोटी-बड़ी जो भी चीजें होती हैं, हम हॉटलाइन के जरिए उन तक सीधे अपनी प्रतिक्रिया पहुंचाते हैं. जनरल विनोद भाटिया ने बताया कि साउथ ब्लॉक के जिस कमरे में हॉटलाइन है, वह बहुत सिक्योर है. यहां हमेशा एक मेजर या लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी मौजूद रहते हैं. वही इस फोन को उठाते हैं. जब भारत में यह फोन बजता है, तो पाकिस्तान के रावलपिंडी में भी एक फोन बजता है.
हालांकि जो कन्वर्सेशन होती है वो सिर्फ डीजीएमओ ही करता है. अगर डीजीएमओ मौजूद नहीं हैं तो जो ऑफसेटिंग डीजीएमओ होता है वो बात करता है. मतलब जब बेल बजती है तो ड्यूटी अफसर उसको डीजीएमओ के ऑफिस में ट्रांसफर करते हैं. वहां कोई नक्शे नहीं होते हैं. डीजीएमओ को हर चीज की जानकारी रहती है. मतलब ऐसा नहीं है कि उसको कोई नक्शा देखना पड़े.
कब होती है हॉटलाइन पर बातचीत?
पूर्व डीजीएमओ ने बताया कि जो बातचीत होती है, वो रिकॉर्ड की जाती है. उसके बाद हम अपने डिसीजन मेकर्स, पॉलिसी मेकर्स से बात करते हैं. फिर आगे का एक्शन लेते हैं. जैसे उनका कोई जवान या कोई गांव वाले हमारी तरफ आ जाते हैं, या कहीं लाइन ऑफ कंट्रोल पर फायरिंग ज्यादा बढ़ जाती है तो इस पर भी बातचीत होती है. क्योंकि 25 नवंबर 2003 में जब सीजफायर समझौता हुआ था तो इसकी सहमति डीजीएमओ हॉटलाइन पर ही की गई थी. उसके बाद भी हमेशा से डीजीएमओ हॉटलाइन फंक्शन कर रही है.
सिक्योर होती है हॉटलाइन
जनरल विनोद भाटिया ने बताया कि 2013 में जब वो डीजीएमओ थे तो हॉटलाइन पर बातचीत हुई थी. इसमें पाकिस्तान डीजीएमओ ने सीजफायर को दोबारा इम्प्लीमेंट करने की बात की थी. 2013 में काफी सीजफायर का उल्लंघन हुआ था. उन्होंने बताया कि हॉटलाइन सिक्योर होती है, यहां बातचीत सिर्फ दो डीजीएमओ के बीच में होती है. ड्यूटी स्टाफ के बीच में भी बात नहीं होती है. हालांकि दोनों डीजीएमओ के बीच में शेड्यूल टॉक भी होती रहती है, जो हर हफ्ते होती है.
अभी जब पुलवामा या उरी की घटना घटी या सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंधु लॉन्च किया, उस वक्त भी हॉटलाइन पर हर हफ्ते बुधवार को बातचीत हो रही होगी. जब भी कुछ बात बढ़ती है तो हॉटलाइन पर बात होती है. पुलवामा हो या उरी या पहलगाम हमने जरूर बताया होगा कि आपने ये ठीक नहीं किया है. हम इसका जवाब देंगे.
10 मई को हॉटलाइन को एक्टिवेट
सर्जिकल स्ट्राइक के समय पर भी अगले दिन सुबह फॉरेन सेक्रेटरी डीजीएमओ ऑफिस आए थे. उन्होंने बोला था कि हमने पाकिस्तान को बता दिया कि हमने सर्जिकल स्ट्राइक की है. उन्होंने बताया कि 10 मई को दोपहर 3:35 बजे इसी हॉटलाइन को एक्टिवेट किया गया था. इसके बाद ही दोनों देशों ने सीजफायर का ऐलान किया. इससे पहले चार दिनों तक दोनों देशों के बीच भारी लड़ाई चल रही थी.
दोनों डीजीएमओ इस बात पर सहमत हुए कि 10 मई को शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में फायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोक दी जाएगी. 12 मई को इस हॉटलाइन को फिर से चालू किया गया. भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और पाकिस्तान आर्मी के मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने इस पर बात की थी.
पाकिस्तान की पॉलिसी एंटी इंडिया
पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि 1990 दिसंबर से जो पाकिस्तान का प्रॉक्सी वॉर चल रही है और इतनी जल्दी ये खत्म होने वाला भी नहीं है. पाकिस्तान अपना पॉलिसी चेंज नहीं करेगा. क्योंकि पाकिस्तान आर्मी का जो पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और डोमेस्टिक रेलेवेंस है, वो एंटी इंडिया पर ही निर्भर है. पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि पहले एक न्यूक्लियर रिटोरिक चला करता था. लेकिन अभी उसको हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने खत्म कर दिया.
अब घर में घुसकर मारेंगे
पीएम मोदी ने अपने भाषण में बड़ा साफ संदेश दिया था कि न्यूक्लियर की बात करके ब्लैकमेल करना बंद कर दीजिए. पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि आज के समय में पैराडाइज शिफ्ट आया है. पहली बार हमने ये बोला है कि अगर आप हम पर आतंकी हमला करेंगे तो हम उनको उनके घर में घुसकर मारेंगे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब ये समझ ले कि हमारा जो स्ट्रेटेजिक पेशेंस है वो खत्म हो गया है.
टीवी9 ब्यूरो
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