
बीजेपी विधायकों का हंगामा
पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार (10 मार्च ) को जमकर हंगामा हुआ. सदन में बीजेपी विधायक का माइक बंद करने के विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय के फैसले के खिलाफ विपक्षी दल ने जमकर विरोध किया. इसके बाद अध्यक्ष बीजेपी विधायक दीपक बर्मन को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया.
इसके बाद असंसदीय आचरण करने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय के आदेश पर मार्शल ने बीजेपी के दो विधायकों शंकर घोष और मनोज उरांव को सदन से बाहर कर दिया. अध्यक्ष ने सदन के अंदर कागज फाड़कर फेंकने और नारेबाजी के लिए उत्तर बंगाल के फालाकाटा से बीजेपी विधायक दीपक बर्मन को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया.
बीजेपी ने सदन से किया वॉकआउट
इस कार्रवाई के विरोध में बीजेपी विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया. यह घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब बीजेपी विधायक हिरन चटर्जी सवाल कर रहे थे कि लोक सेवा आयोग (WBPSC) को अपनी जिम्मेदारियां निभाने से क्यों रोका जा रहा है. उन्होंने WBPSC के कामकाज को लेकर चिंता जताई. उन्होंने सवाल किया कि 2011 में जब तृणमूल कांग्रेस की सरकार राज्य में सत्ता में आई, तब से आयोग को एक भी सार्वजनिक शिकायत क्यों नहीं मिली.
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अध्यक्ष के रोकने के बाद भी नहीं रुके बीजेपी विधायक
हिरन चटर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजे गए मुख्य सचिव के एक नोट का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया कि आयोग के पास शिकायतों से निपटने का कानूनी अधिकार नहीं था. चटर्जी बोल ही रहे थे, इसी दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बताया कि उनका बयान बजट पर चर्चा से जुड़ा नहीं है. बावजूद इसके बीजेपी विधायक ने बोलना जारी रखा.
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उनका माइक बंद कर दिया जिससे बीजेपी विधायक आक्रोशित हो गए और उन्होंने इसे विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश बताया. विरोध में विधायक शंकर घोष और मनोज उरांव ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और हंगामा शुरू हो गया. विधानसभा अध्यक्ष ने कई बार उन्हें चेतावनी दी लेकिन हंगामा नहीं रुका . इसके बाद अध्यक्ष ने मार्शल को बुलाकर दोनों विधायकों को सदन से बाहर भेज दिया.
नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कार्रवाई की निंदा की
इस कार्रवाई के बाद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की निंदा करते हुए इसे गुंडागर्दी करार दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि मार्शल ने तृणमूल कांग्रेस के प्रभाव में आकर यह कार्रवाई की.
हालांकि तृणमूल विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का बचाव किया और कहा कि बीजेपी विधानसभा की कार्यवाही बाधित करने की कोशिश कर रही थी. पार्टी ने अध्यक्ष के फैसले का समर्थन किया. टीएमसी ने कहा कि सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई जरूरी थी.
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