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जब सदन से बाहर जाने लगे राहुल गांधी… पढ़ें वक्फ बिल से जुड़ा लोकसभा का वाकया | Waqf Amendment Bill Lok Sabha Rahul Gandhi Kiren Rijiju KC Venugopal What will change in Wakf Act with new bill

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Aug 8, 2024    150834 views     Online Now 249

केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया. इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजने की अनुशंसा कर दी गई. नए बिल से क्या कुछ बदल जाएगा और इसका क्यों हो रहा विरोध? ये जानने से पहले आज लोकसभा में हुए कुछ किस्सों के बारे में बात करते हैं.

वक्फ संशोधन विधेयक के दौरान जब किरेन रिजिजू जवाब दे रहे थे, उस दौरान राहुल गांधी बाहर जाना चाहते थे. राहुल जैसे बाहर निकलने लगे, अधिकतर कांग्रेसी सांसद अपनी सीट पर खड़े हो गए और राहुल के साथ केसी वेणुगोपाल और मणिकम टैगोर सदन से बाहर निकलने लगे. इतने में ट्रेजरी बेंच से सांसदों ने तंज कसा कि रिजिजू को सुनते जाइए. रिजिजू ने भी कहा कि भले ही राहुल जी बाहर जा रहे हों लेकिन उन्होंने अपने साथियों को ये बता दिया है कि मेरे तर्क से सहमत हैं और बिल को लेकर वो सरकार की चिंता को समझते हैं.

बात पूरी होने के बाद राहुल अपनी सीट पर बैठ गए

इतना सुनने के बाद राहुल गांधी लोकसभा से बाहर नहीं निकले बल्कि सदन में ही पीछे खड़े होकर केसी वेणुगोपाल और मणिकम टैगोर के साथ बातचीत करने लगे. दो-चार मिनिट में बात पूरी होने के बाद वापस आकर अपनी सीट पर बैठ गए और रिजिजू को तब तक सुनते रहे, जब तक बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में भेजा गया.

दूसरा वाकया ये हुआ कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष जब बिल पर बोलने के लिए खड़े हुए तब उन्होंने लोकसभा स्पीकर पर तगड़ा तंज कसते हुए कह दिया, मैंने सुना है कि अध्यक्ष महोदय कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं. संसद के गलियारों में आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है.

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इस तरह की गोल-मोल बात नहीं कर सकते

अखिलेश यादव की इस बात को सुनते ही गृह मंत्री अमित शाह तपाक से खड़े हुए और अखिलेश की बातों का खंडन किया. स्पीकर से कहा कि इस मामले में आप हस्तक्षेप करें . शाह ने कहा कि इस तरह की गोल-मोल बात आप नहीं कर सकते हैं. कोई भी सासंद स्पीकर के चेयर को कैसे अंडरमाइन कर सकता है.

एक अन्य घटना में किरेन रिजिजू ने लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी को आड़े हाथों लिया. रिजिजू के जवाबी भाषण के दरमियान बार-बार टोका-टोकी कर रहे ओवैसी ने कहा कि ये सरकार वक्फ की प्रॉपर्टी में कलेक्टर को कैसे घुसा सकती है.

इस पर रिजिजू ने कहा कि ओवैसी जी आप पांच बार के एमपी हो, आपको ये भी नहीं पता कि जिले के लैंड रेवेन्यू का काम जिला कलेक्टर ही देखता है. अगर कलेक्टर रेवेन्यू का काम नहीं देखेगा तो भला और क्या करेगा. ओवैसी ने कहा, मैं और आप पहली बार एक ही साथ चुनाव जीत कर आए थे. इतने साल बाद भी आप पावर शेयरिंग डाइमेंशन को नहीं समझ पा रहे हैं.

नए बिल से 1995 के वक्फ एक्ट में क्या बदल जाएगा

केंद्र सरकार की ओर से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए कानून में संशोधन के लिए पेश वक्फ अधिनियम (संशोधन विधेयक), 2024 से बहुत कुछ बदल जाएगा. बिल को संयुक्त संसदीय कमेटी को भेज दिया गया है, लेकिन जब भी पारित होगा तो वक्फ के कामकाज में न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी, बल्कि अधिकारों का दुरुपयोग भी रुकेगा.

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सबसे अहम बदलाव ये होगा कि वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार नहीं होगा. मिसाल के तौर पर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने सितंबर 2022 में हिंदू बहुल थिरुचेंदुरई गांव पर दावा किया था. इस घटना के बाद बोर्ड के असीमित अधिकारों के दुरुपयोग पर बहस छिड़ गई थी.

क्या होंगे बदलाव ?

  1. पारदर्शिता: वक्फ अधिनियम 1995 में 40 से अधिक संशोधनों से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी. वक्फ बोर्ड जिन भी संपत्ति पर दावा करेगा, उसके लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा.
  2. महिलाओं को मौका: वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन से वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधि को शामिल करना अनिवार्य होगा.
  3. विवाद कम होंगे: नए संशोधनों से वक्फ प्रॉपर्टी को लेकर विवाद भी कम हो सकेंगे. वक्फ संपत्तियों के लिए नई सत्यापन प्रक्रियाएं शुरू की जाएंगी. जिला मजिस्ट्रेट को पॉवर मिलेगा.
  4. सीमित शक्ति: पुराने कानून बोर्ड को अनियंत्रित शक्तियां देते हैं. बोर्ड पर आरोप लगते थे कि अधिकारों का दुरुपयोग कर किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ की घोषित कर देने का, जिससे विवाद बढ़ते थे.

बिल का विरोध क्यों ?

  1. मुस्लिम हितों की चिंता: बिल का विरोध करने वालों को डर है कि 1995 के कानून में बदलाव से मुस्लिमों के हित प्रभावित हो सकते हैं, जो इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए करते हैं.
  2. बोर्ड कमजोर होगा: नए संशोधनों से वक्फ बोर्ड कमजोर होगा, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की क्षमता प्रभावित होती है.
    ब्यूरोक्रेसी का दखल: वक्फ मामलों में जिला मजिस्ट्रेट को अधिकार मिलने से ब्यूरोक्रेसी का दखल बढ़ेगा. इससे बोर्ड सरकारी नियंत्रण में कार्य करेंगे.
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