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वाघ नख… वो हथियार जिससे शिवाजी ने धोखेबाज अफजल खान को चीर दिया था, लंदन से लाया गया भारत | Wagh Nakh history how Chhatrapati Shivaji weapon wagh nakh reached london how shivaji killed afzal khan

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Jul 19, 2024    150849 views     Online Now 337
वाघ नख... वो हथियार जिससे शिवाजी ने धोखेबाज अफजल खान को चीर दिया था, लंदन से लाया गया भारत

शिवाजी महाराज का यह हथियार लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा था.

वाघ नख वो हथियार है जिससे छत्रपति शिवाजी ने बीजापुर सल्तनत के धोखेबाज सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था. सदियों का इंतजार अब खत्म हो गया है. महाराष्ट्र में उत्साह की लहर है. खासकर यहां के सतारा जिले में, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज का हथियार वाघ नख को लंदन से मुंबई लाया गया है. 19 जुलाई यानी शुक्रवार के दिन इसे सतारा के छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम में रखा जाएगा. वाघ नख यहां 7 महीने बुलेट प्रूफ ग्लास में रखा रहेगा.

शिवाजी महाराज का यह हथियार लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा हुआ था. महाराष्ट्र सरकार की सालों की कोशिश के बाद इसे वापस अपने देश लाया गया है.वाघ नख की भी अपनी एक कहानी है. इसका अलग तरह का नाम क्यों पड़ा, इसका भी एक कारण है. आइए जानते हैं वाघ नख से जुड़ा दिलचस्प किस्सा और यह कैसे महाराष्ट्र से लंदन पहुंच गया?

शिवाजी के हथियार को कैसे मिला वाघ नख नाम?

वाघ नख का मतलब है बाघ का पंजा. यह अलग तरह का हथियार है. इसे ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि यह हाथ के पंजे में फिट हो जाए. इसे मेटल से तैयार किया गया था. जिसमें चार नुकीली छड़ें होती हैं जो बाघ के पंजे से भी ज्यादा घातक हैं. इसके दोनों तरफ रिंग होती है जिसे उंगलियों में पहनकर जंग में किसी को भी मौत के घाट उतारा जा सकता है. जंग के दौर में शिवाजी ने इसका इस्तेमाल किया गया था.

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Wagh Nakh History

जब वाघ नख से शिवाजी ने अफजल खान पर किया वार

साल 1659 था. यह वो समय था जब बीजापुर सल्तनत के प्रमुख आदिल शाह और शिवाजी के बीच जंग चल रही थी. बीजापुर सल्तनत का सेनापति अफजल खान जब शिवाजी को मात नहीं दे पाया तो छल से उन्हें खत्म करने की योजना बनाई. अफजल खाने ने शिवाजी को मिलने के लिए बुलाया. शिवाजी ने मुलाकात का प्रस्ताव स्वीकार किया और मिलने के लिए तैयार हो गए.

दोनों की मुलाकात तय समय पर शुरू हुई. मुलाकात को महज एक बहाना था. यह सब एक षडयंत्र था. शिवाजी पहले से ही सतर्क थे. जैसे ही अफजल खान ने उनकी पीठ में खंजर भोंकने की कोशिश की उसी समय हाथों में वाघ नख पहने शिवाजी ने उसके मंसूबे फेल कर दिए. एक झटक के उन्होंने अफजल का पेट चीर दिया.

भारत से इंग्लैंड कैसे पहुंचा शिवाजी का हथियार?

कई रिपोट्र्स में दावा किया गया है कि वाघ नख यानी इस अलग तरह के खंजर को पहली बार शिवाजी के लिए तैयार किया गया. इसे ऐसे बनाया गया ताकि उनके हाथों में अच्छी तरह से फिट हो जाए. यह इतना ज्यादा नुकीला था कि एक बार में दुश्मन को चीरने की ताकत रखता था.

शिवाजी का यह हथियार महाराष्ट के सतारा में था जो मराठा साम्राजय की राजधान था. 1818 में मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री ने ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को इसे भेंट किया था. 1824 में जब डफ इंग्लैंड वापस गए तो शिवाजी के इस खास हथियार को भी ले गए. वहां जाने के बाद उन्होंने इसे लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम को डोनेट कर दिया था. अब सदियों बाद इसे भारत लाया गया है, जिससे महाराष्ट्र में उत्साह है.

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