विष्णुकांता के फूल, जिसे योनि पुष्प, अपराजिता या शंकरपुष्पी भी कहा जाता है, एक चमत्कारी फूल माना जाता है. इसे घर में सुख-समृद्धि के लिए उगाया जाता है और इसका तांत्रिक महत्व बहुत अधिक है. विशेष रूप से बसंत ऋतु में भगवान शिव को यह पुष्प अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि किसी व्यक्ति को संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है या वह अपनी इच्छानुसार विवाह करना चाहता है, तो 108 विष्णुकांता के फूलों की माला बनाकर ‘ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को अर्पित करना लाभकारी होता है. यह उपाय इच्छाओं की पूर्ति में सहायक माना जाता है.
बांस के फूल
बांस के फूल दुर्लभ होते हैं और 50-60 वर्षों में केवल एक बार खिलते हैं. अधिकतर लोग अपने जीवनकाल में इन्हें नहीं देख पाते. तांत्रिक साधनाओं में इनका विशेष महत्व है, और इन्हें “श्री ह्रीं क्लीं पुत्रदायिनी कामेश्वरी” कहा जाता है.
मान्यता है कि यदि किसी बांझ स्त्री को 7 दिन तक 21,000 बार इस मंत्र का जाप करके बांस के फूल से अभिमंत्रित कर गर्भ बांध दिया जाए, तो एक वर्ष के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.
असम के जंगलों में जब बांस के फूल खिलते हैं, तो सरकार उन्हें तुरंत कटवा देती है. इसका कारण यह है कि इन फूलों के खिलते ही चूहों की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है, जिससे वे खेतों पर हमला कर फसलों को नष्ट कर देते हैं. कुछ वर्षों पहले असम सरकार ने लाखों फूलदार बांस के पेड़ काट डाले थे.