
Vinayaka Chaturthi 2025 Vrat Katha
Vinayaka Chaturthi 2025 Vrat Katha: हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है. हर माह की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. वहीं हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं. इस दिन पूजा के समय विनायक चतुर्थी की कथा भी अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए. ऐसा करने पूजा और व्रत का पूरा फल मिलता है. साथ ही वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत आज सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर हो चुकी है. वहीं इस तिथि का समापन कल 2 अप्रैल को देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म उदया तिथि मान्य है. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, आज विनायक चतुर्थी है. इसका व्रत भी आज है.
विनायक चतुर्थी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक धर्मनीष्ठ राजा राज किया करते थे. वो राजा बहुत आदर्शवादी और धर्मात्मा थे. उनके राज्य में एक विष्णु शर्मा नाम के ब्राह्मण थे. वो भी सज्जन और धर्मात्मा थे. वो सामान्य तरह से जीवन यापन करते थे. उनके सात पुत्र थे. विवाह के बाद सभी पुत्र अलग हो गए. विष्णु शर्मा भगवान गणेश के भक्त थे. वो हमेशा संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा करते थे, लेकिन बुढ़ापे की अवस्था में उनके लिए गणेश चतुर्थी के व्रत का पालन करना मुश्किल हो रहा था. इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न मेरे स्थान पर मेरी बहुएं इस व्रत को रखें.
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एक दिन उन्होंने सभी पुत्रों को अपने घर बुलाया. शाम को भोजन के बाद उन्होंने अपनी सभी बहुओं से यह व्रत करने को कहा. बहुओं ने व्रत करने से सिर्फ मना किया बल्कि ब्राह्मण अपने ससुर जी को खूब अपमानित किया. हालांकि सबसे छोटी बहु ने उनकी बात मान ली. उसने पूजा में लगने वाली सभी सामान की व्यवस्था की. ससुर के साथ खुद भी व्रत रखा. स्वंय कुछ नहीं खाया, लेकिन सुसर जी को भोजन दे दिया.
आधी रात में ब्राह्मण की तबियत अचानक खराब हो गई. उन्हें दस्त और उल्टियां होने लगी. छोटी बहु ने मल-मूत्र से खराब हुए ससुर जी के वस्त्र साफ किए और उनके शरीर को धोया और स्वच्छ किया. वो पूरी रात बिना कुछ खाए- पिए ससुर जी की सेवा में लगी रही. व्रत के दौरान चंन्द्रोदय होने पर उसने स्नान कर भगगवान गणेश की पूजा की. व्रत का विधि पूर्वक पारण किया. छोटी बहु की व्रत और पूजा से भगवान श्री गणेश प्रसन्न हुए.
फिर भगवान गणेश की कृपा से ससुर जी के सेहत में सुधार होने लगा. व्रत और पूजा के पुण्यफल से छोटी बहु का घर धन के भंडार से भर गया. ये देख अन्य बहुओं को अपनी भूल पर पछतावा होने लगा. इसके बाद उन्होंने अपने ससुर जी से क्षमा मांगी. इसके बाद उन्होंने भी शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी का व्रत रखा और विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की. ऐसे में सब पर भगवान गणेश की कृपा हुई. भगवान गणेश की कृपा से सभी के स्वभाव में सुधार आ गया.
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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