• Sun. Apr 28th, 2024

परसा कोल खदान के समर्थन में खड़े हुए ग्रामीण, भूमि अधिग्रहण, मुआवजा और रोजगार के लिए कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

ByCreator

Dec 26, 2023    150820 views     Online Now 148

उदयपुर. सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के अधीन ग्राम घाटबर्रा के ग्रामीणों ने सोमवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के बाद अब जिला कलेक्टर को भी अपने क्षेत्र के विकास और रोजगार के मुद्दे को लेकर मांग की है. मंगलवार को लगभग 200 ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित ज्ञापन लेकर ग्रामीणों का एक समूह जिला मुख्यालय अंबिकापुर पहुंचा, यहां उन्होंने सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और अपने क्षेत्र में आवंटित परसा ईस्ट कांता बासन कोल परियोजना से प्रभावित ग्राम घाटबर्रा की भूमि का अधिग्रहण कर जल्द मुआवजा व रोजगार तथा वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों को मुआवजा उपलब्ध कराने की मांग की.

ज्ञापन में लिखा है कि, परसा ईस्ट कांता बासन कोल परियोजना से प्रभावित ग्राम घाटबर्रा की भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही चल रही है, जिसके तहत ग्रामसभा किया जाना है, जो अभी तक लंबित है. उक्त कोयला खदान में खनन का कार्य ग्राम घाटबर्रा की सीमा के निकट तक पहुंचता जा रहा है, किंतु आज तक हम ग्रामवासियों को रोजगार प्राप्त नहीं हुआ है और न ही भूमि का मुआवजा मिला है. वन अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त पट्टे की भूमि का मुआवजा भी अभी तक प्रदान नहीं किया गया है. भूमि का अधिग्रहण नहीं होने के कारण हम ग्रामवासी रोजगार व भूमि के मुआवजा से वंचित हैं और हमारे परिवार का भरण पोषण अच्छे से नही हो पा रहा है.

दरअसल इस क्षेत्र में 5000 से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करने वाली 10 साल पुरानी खदान को कुछ मुट्ठी भर बाहरी लोगों द्वारा कई फर्जी कहानी बना कर इसे फैलाने के लिए लाखों रुपये सोशल मीडिया पर खर्च किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 में राजस्थान सरकार को उनके राज्य में चल रहे 4340 मेगावॉट की खदानों के लिए सरगुजा में तीन कोल ब्लॉकों परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी), परसा कोल परियोजना तथा कांता एक्सटेन्सन का आवंटन किया गया था. इनमें से केवल पीईकेबी ब्लॉक में ही राजस्थान सरकार द्वारा दो चरणों में कोयला खनन का कार्य बीते दस वर्षों में शुरू किया जा सका है. इसके द्वितीय चरण में 25 सालों में 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन के लिए प्रदेश के वानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए 134 हेक्टेयर की भूमि में वृक्ष विदोहन का लक्ष्य रखा गया था, जिसके आज तक न मिल पाने से उदयपुर क्षेत्र की एक मात्र खदान को बंद कर दिया गया था. इसका खामियाजा क्षेत्रवासियों का अब तक भुगतना पड़ रहा है.

उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य में बिजली की किल्लत और अधिक कीमत के चलते तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्च 25, 2022 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुखिया भूपेश बघेल से मुलाकात कर इन कोल ब्लॉकों की सभी अड़चनों को दूर कर उन्हें हस्तांतरित करने का आग्रह किया गया था. इसी क्रम में नवंबर 30, 2022 को राजस्थान राज्य विद्युत के निदेशक राजेश कुमार शर्मा ने प्रदेश के शासन और प्रशासन से सौजन्य मुलाकात की और कई बार पत्राचार के माध्यम से इसके लिए अनुरोध किया था. अशोक गहलोत और उनके अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के आला अफसरों को एक दर्जन से भी ज्यादा बार पत्र लिखकर राजस्थान के आठ करोड़ बिजली उपभोक्ताओ के हित में करीब दस साल पुरानी परसा ईस्ट कांता बासन कोल परियोजना का विकास करने के लिए आह्वान किया था.

देश की शीर्ष न्यायालय ने 21 अक्टूबर, 2023 को दिए महत्वपूर्ण फैसले में, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे उसे छत्तीसगढ़ में खनन अधिकार बरकरार रखने की अनुमति मिल गई. परसा ईस्ट कांता बसन (पीईकेबी) खदान, एक राज्य संचालित परियोजना, एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के केंद्र में थी, जो अंततः सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साथ समाप्त हुई. शीर्ष अदालत, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा दी गई खनन अनुमतियों में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. फैसले में घोषित किया गया कि पीईकेबी खदान के दूसरे चरण में खनन जारी रखने में कोई कानूनी बाधा नहीं है.

सरगुजा कलेक्टर से मुलाकात के दौरान घाटबर्रा गांव के सन्नी यादव,हुबलाल,बाबलू हरिजन, सुरेन्द्र यादव ने कलेक्टर कुंदन कुमार से अनुरोध करते हुए कहा कि “परसा ईस्ट केंते बासेन कोल परियोजना से प्रभावित ग्राम घाटबर्रा की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए जल्द से जल्द भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही करने का कष्ट करें, जिससे हमें भूमि का मुआवजा तथा पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन योजना के अन्तर्गत प्राप्त होने वाली सभी सुविधाओं के सहित हमें रोजगार प्राप्त हो सके. साथ ही वनाधिकार पट्टे से प्राप्त भूमि का मुआवजा भी शीघ्र दें. अब देखना यह है कि परसा क्षेत्र के निवासियों द्वारा खदान के समर्थन में जारी जतन को जिला प्रशासन का समर्थन मिलता है या फिर इसके विरोध में सोशल मीडिया में कुछ मुट्ठी भर लोगों द्वारा फैलाए गए झूठ के आगे सच को झुकना पड़ेगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

NEWS VIRAL