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SECL की बैठक का ग्रामीणों ने किया बहिष्कार : कलिंगा कंपनी के सर्वे का जताया विरोध, 17 सूत्रीय मांगों की अनदेखी का लगाया आरोप

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Jun 21, 2025    1508371 views     Online Now 110

मनोज यादव, कोरबा। कोरबा जिले के हरदीबाजार गांव में शनिवार को उस वक्त तनावपूर्ण माहौल बन गया जब एसईसीएल दीपका प्रबंधन और प्रशासन द्वारा आयोजित बैठक का पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने एकजुट होकर बहिष्कार कर दिया। गांव की परिसंपत्तियों के सर्वे और भूमि अधिग्रहण से जुड़ी इस बैठक में ग्रामीणों ने अपनी 17 सूत्रीय मांगों की अनदेखी पर कड़ा विरोध जताते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया। साथ ही कलिंगा कंपनी के खिलाफ पुराने मामलों और दबाव की रणनीति को लेकर भी नाराजगी जाहिर की।

क्या हुआ बैठक में?

एसईसीएल दीपका प्रबंधन और तहसीलदार हरदीबाजार के संयुक्त तत्वावधान में ग्राम पंचायत भवन हरदीबाजार में यह बैठक आयोजित की गई थी। इसमें गांव की परिसंपत्तियों की नापी और सर्वे को लेकर चर्चा रखी गई थी। इस दौरान बैठक में उपस्थित एसईसीएल के अधिकारी सुशील साहू और तहसीलदार विष्णु प्रसाद पैंकरा को ग्रामीणों ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि जब तक पूर्व की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक किसी भी प्रकार का सर्वे कार्य स्वीकार नहीं किया जाएगा।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें है कि 2004 में अधिग्रहण की गई जमीनों को वर्तमान दर पर मुआवजा दिया जाए। बसाहट स्थल को सर्वसुविधायुक्त बनाया जाए। जो बसाहट नहीं चाहते, उन्हें ₹15 लाख एकमुश्त दिया जाए। मकान के बदले सौ प्रतिशत मुआवजा दिया जाए और इसकी आधी राशि तोड़ने से पहले दी जाए।2004 व 2010 के बाद खरीदी गई भूमि को पूर्ण भूमि स्वामी का दर्जा मिले।मकान मुआवजा में किसी भी प्रकार की कटौती न की जाए।
घटती जा रही नौकरी की संख्या की स्थिति स्पष्ट की जाए।

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ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन के जीएम संजय मिश्रा ने पूर्व में आश्वासन दिया था कि बिलासपुर में बैठक कर इन मांगों पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन आज तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

कलिंगा कंपनी के प्रवेश पर विरोध की चेतावनी दी गई है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कलिंगा कंपनी गांव में प्रवेश करती है, सर्वे करती है या ग्रामीणों पर दबाव बनाने की कोशिश करती है, तो उसका जोरदार विरोध किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम की जिम्मेदारी एसईसीएल और जिला प्रशासन की होगी।

बैठक के दौरान जब एसईसीएल अधिकारी ने कहा कि 2004 और 2010 के बाद की भूमि मान्य नहीं होगी, तो ग्रामीण आक्रोशित होकर बैठक से बाहर चले गए। हालांकि कुछ लोगों ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन बैठक पूरी तरह संपन्न नहीं हो पाई।

अब देखना यह है कि एसईसीएल प्रबंधन इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेता है और आगे क्या कदम उठाता है। ग्रामीणों का रुख साफ है बिना संतोषजनक हल के कोई सर्वे या अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा।

इससे पहले भी कलिंगा कंपनी के खिलाफ मानिकपुर चौकी में मारपीट का मामला दर्ज हो चुका है, जिस पर अभी भी जांच जारी है, जहां कंपनी में भर्ती लेने को लेकर पैसे की मांग और गुंडागर्दी का मामला सामने आया था, इन सबको देखते हुए ग्रामीणों ने विरोध किया है।

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